हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का धन्यवाद

समय-समय पर इतिहास में कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती हैं जो मन में गहरा उतर जाती हैं और उनकी स्मृति हमेशा बनी रहती है। 41 वर्ष पहले देश में घटित सिख विरोधी दंगों की याद चार दशक व्यतीत हो जाने के बाद भी उसी तरह दिलों में बनी रही है। संत जरनैल सिंह भिंडरांवाले जिस तरह पंजाब की धार्मिक और राजनीतिक स्थिति में उभर कर सामने आए, उसके बाद पंजाब में जिस तरह का हिंसक घटनाक्रम घटित हुआ, जिस तरह उस समय के प्रतिनिधि अकाली दल के साथ-साथ अन्य राजनीतिक पार्टियां भी हाशिये पर जा खड़ी हुईं, यह सब कुछ अब इतिहास का हिस्सा है। पवित्र श्री दरबार सिंह की सीमाओं के भीतर भी क्या कुछ अनचाहा घटित होता रहा और आखिर पूरे घटनाक्रम के बाद किस तरह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इशारे पर दरबार साहिब में सेना भेजी गई और भयावह तबाही के दृश्य देखने को मिले, यह उस समय घटित हुआ ऐसा घटनाक्रम था, जिसके संबंध में अब तक बहुत कुछ बोला और लिखा गया है।
आगामी समय में भी इस संबंध में अपने-अपने प्रभावों के अनुसार लिखा और बोला जाता रहेगा। इतिहास के पृष्ठों में दर्ज हो चुके इस विनाशक और दुखद घटनाक्रम संबंधी भिन्न-भिन्न पक्षों पर लगातार विश्लेषण किए जाते रहेंगे। इसके उपरांत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके ही दो सुरक्षा गार्डों द्वारा गोली मारे जाने के बाद देश भर में सिखों के प्रति जो सुनियोजित साज़िश के तहत हिंसक कार्य किए गए, वे बेहद दुखद घटनाक्रम था, जिसकी दर्दनाक स्मृति हमेशा इतिहास के पृष्ठों पर दर्ज हो गई है। नि:संदेह इस घटनाक्रम ने भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार किया था। उस समय हज़ारों सिखों का अमानवीय ढंग से नरसंहार हुआ। उनकी अरबों की सम्पत्ति और घर-परिवार जला दिए गए। इससे भी शर्मनाक बात यह है कि ऐसा सब कुछ सुनियोजित साज़िश के तहत हुआ। आज तक भी लाख यत्नों के बावजूद इस घोर अन्याय का सन्तोषजनक ढंग से हिसाब-किताब नहीं हो सका और न ही आरोपियों को इसके लिए बड़ी सज़ाएं दी जा सकी हैं। चाहे केन्द्र की भाजपा सरकार ने इस संबंध में ईमानदारी से ही कार्रवाइयां ज़रूर जारी रखी हैं परन्तु अधिक समय व्यतीत हो जाने और उस समय के सबूतों को मिटा दिए जाने के कारण बहुत से हत्यारे इन्साफ के दायरे से बाहर निकल जाने में सफल हुए, परन्तु अब तक भी उस समय के दुखदायी घटनाक्रम के इन्साफ के लिए कई पक्षों द्वारा यत्न जारी रखे गए हैं। इन दंगों में मानवीय नुकसान के साथ-साथ जो उजाड़ा हुआ, जिस तरह लोग घरों से बेघर हुए और सब कुछ से वंचित हो गए, उसके दर्द की एक लम्बी दास्तान है, जिसका प्रत्येक घटनाक्रम रौंगटे खड़े कर देने वाला है। पीड़ित परिवारों के ज़ख्मों पर मरहम लगाने के लिए हरियाणा की नायब सिंह सैनी की सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और किए जा रहे यत्नों की हम प्रशंसा ज़रूर करते हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कुछ समय पहले हरियाणा में इन दंगों के दौरान जो लोग मारे गए थे, उनके पारिवारिक सदस्यों को नौकरियां देने की घोषणा की थी। उस समय हरियाणा की सरकार ने इन दंगों में उखड़ चुके परिवारों की अपने वित्त के अनुसार सहायता भी की थी। अब हरियाणा कैबिनेट की हुई बैठक में हरियाणा कौशल रोज़गार निगम द्वारा 1984 के सिख विरोधी दंगों में मारे गए व्यक्तियों में से प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का फैसला किया गया है। यह भी कि उस समय हरियाणा में रहते जिन परिवारों के प्रदेश से बाहर बसते पारिवारिक सदस्य मारे गए थे, उन्हें भी सरकारी नौकरी देने की इस योजना में भागीदार बनाया जाएगा। प्रदेश में हुए इस संबंधी उजाड़े की भरपाई करने और उन्हें एक बड़ा आश्रय देने की योजना पर किए जाने वाली ऐसी प्रक्रिया की हम भरपूर प्रशंसा करते हैं और उनके बेहद धन्यवादी हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द 

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