राहुल की ‘सक्रियता’
बिहार विधानसभा चुनावों की गतिविधियां तेज़ गति में चल रही हैं। इन चुनावों का पहला चरण 6 नवम्बर को खत्म हो गया था और दूसरे चरण के लिए मतदान कल 11 नवम्बर को पड़ेंगे परन्तु वहां प्रचार करने के स्थान पर राहुल गांधी दिल्ली से लगभग एक साल भर पहले हुए हरियाणा विधानसभा के चुनावों में हुई हेराफेरी की बातें कर रहे हैं। अब बिहार चुनावों के स्थान पर उन्होंने मध्य प्रदेश में जा कर वोट चोरी के आरोप लगाने और भी तेज़ कर दिये हैं। मध्य प्रदेश के पंचमड़ी में उन्होंने कहा कि हरियाणा की तरह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी वोट चोरी हुई थी। इस हेतु चुनाव आयोग जो कि भारत की एक संवैधानिक संस्था है, भी भाजपा के साथ मिला हुआ है।
हरियाणा के विधानसभा चुनाव पिछले वर्ष अक्तूबर में शुरू में हुए थे। इनमें भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, इंडियन नैशनल लोकदल (इनैलो) और कुछ अन्य छोटी पार्टियों ने पूरे ज़ोर शोर के साथ भाग लिया था। अब यहां इस बार भाजपा के नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री हैं, जो दूसरी बार इस पद पर विराजमान हुए हैं। भाजपा की हरियाणा सरकार का यह तीसरा कार्यकाल है। पहली बार अक्तूबर, 2014 में और दूसरी बार अक्तूबर 2019 में भी इस पार्टी ने प्रदेश का प्रशासन चलाया था। पिछले वर्ष विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 48 सीटें भाजपा ने जीती थीं, कांग्रेस को 37 सीटें मिली थीं, और इंडियन नैशनल लोकदल को सिर्फ दो ही सीटें मिल सकी थीं। उस समय चुनाव से पहले यह उम्मीद की जाती थी कि इस बार प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो सकता है परन्तु उसी समय प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में इस कदर फूट सामने आई थी कि उस से साफ ज़ाहिर होने लगा था कि ऐसी स्थिति कांग्रेस पार्टी के लिए घाटे वाली साबित हो सकती है, और हुआ भी यही। उस समय पार्टी हाईकमान द्वारा कोई भी ऐसा प्रभावशाली कदम नहीं उठाया जा सका था जो इन चुनावों में एकजुटता का प्रभाव पैदा करने वाला हो। इस कारण जहां कांग्रेस पार्टी को निराशा मिली, वहीं भाजपा तीसरी बार अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाब हो गई। इस सरकार को बने हुए एक वर्ष से कुछ ज्यादा समय हो चुका है परन्तु इस समय से लेकर अब तक किसी भी पार्टी या संस्था ने वहां हुए मतदान में हेराफेरी होने की बात नहीं की। यदि इस संबंधी बयान आए भी तो उनकी शिकायतें चुनाव आयोग के पास नहीं भेजी गईं परन्तु हां, कुछ उम्मीदवारों ने इस संबंधी निजी तौर पर ज़रूर अदालतों में पटीशनें डाली हुई हैं, परन्तु ये कांग्रेस पार्टी द्वारा नहीं हैं।
अब जबकि बिहार के विधानसभा चुनावों के पहले चरण के लिए मतदान 6 नवम्बर को हो चुका है और 11 नवम्बर को दूसरे चरण के होने वाले मतदान के अवसर पर राहुल गांधी को हरियाणा में वोट चोरी होने के बड़े घोटाले का ़ख्याल आया है। इस संबंध में उन्होंने लम्बे-चौड़े दावे करते हुए हरियाणा में तब 25 लाख मतदाताओं के जाली होने की बात की है। इससे साफ ज़ाहिर है कि बिहार चुनाव में कांग्रेस पार्टी को अपनी हार साफ दिखाई दे रही है, जिस कारण राहुल गांधी ने इन नतीजों से पहले ही ऐसे दोष लगाने शुरू कर दिए हैं। यहीं बस नहीं, उन्होंने वोट चोरी के मामले में विगत समय में देश भर में जिहाद खड़ा करने का यत्न भी किया है। सारी पार्टी को पूरी तरह सक्रिय होकर प्रदर्शन करने तथा धरने लगाने के लिए भी कहा है। ऐसा कांग्रेस पार्टी ने अपने सुप्रीम नेता के निर्देश पर किया भी, परन्तु इस संबंधी वे कोई भी लहर बनाने या इस मामले पर प्रभावशाली ढंग से लोगों को साथ लेने में सफल नहीं हो सके।
आश्चर्य इस बात का है कि गत वर्ष हुए हरियाणा के चुनाव की याद उन्हें बिहार के चुनाव समय क्यों आई? यहीं बस नहीं, उन्होंने वोट चोरी के आरोप कुछ घटनाओं को ब्यान करके महाराष्ट्र के चुनाव संबंधी भी लगाए हैं तथा भाजपा पर लोकतंत्र को नष्ट करने का दोष लगाया है। इसलिए ‘जेन ज़ी’ के नाम पर युवाओं को भड़काने का यत्न भी किया है। दूसरी ओर चुनाव आयोग ने उनके बयानों को निराधार बताते हुए इन्हें विरोधाभासी भी कहा है। एक ओर वह मतदता सूचियों में विशेष व्यापक गहन पुनरीक्षण (एस.आई.आर.) की देश भर में की जाने वाली कवायद का विरोध कर रहे हैं, तथा दूसरी ओर अनेक वर्षों से हो रहे चुनावों के प्रबंध में त्रुटि निकालने में लगे हैं।
दूसरी ओर चुनाव अधिकारियों ने यह भी कहा है कि यह निराधार आरोप है, क्योंकि हरियाणा में मतदान के समय गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की गई और न ही मतदान करने की घटनाओं में हुई किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत ही की गई है। राहुल ने अपने बंडलों को एच-फाइल्स का नाम दिया है और चुनाव आयोग पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। इस संबंध में उन्होंने न तो कोई लिखित रूप में चुनाव आयोग के पास अपनी ओर से शिकायत दी है और न ही अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है। ऐसा करके शायद वह देश में अनिश्चितता की स्थिति पैदा करना चाहते हैं, जिसमें वह सफल नहीं हो रहे। यदि भविष्य में कांग्रेस का उच्च स्तर का यह नेता अपनी इसी तरह की गतिविधियों को जारी रखता है तो नि:संदेह उसकी ऐसी गतिविधियां भविष्य में पार्टी के लिए बड़ी सीमा तक घाटे का सौदा ही सिद्ध होंगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

