नये मोड़ पर अमरीकी राजनीति
अमरीका के प्रसिद्ध और बड़े शहर न्यूयार्क को विश्व की आर्थिक राजधानी माना जाता है। वहां प्रत्येक तरह की होती व्यापारिक गतिविधि का समूचे विश्व पर प्रभाव पड़ता है। यह भी बड़ा कारण है कि इस महानगर के मेयर के चुनाव को विश्व भर में दिलचस्पी से देखा जाता है। उतनी ही बड़ी दिलचस्पी इस चुनाव संबंधी होती है, जितनी अमरीका के राष्ट्रपति के चुनावों के लिए लोगों द्वारा दिखाई जाती है। अमरीका की राजनीति हमेशा हैरान करने वाली रही है। यहां की राजनीति बेहद तेज़ सक्रियता वाली होती है। चाहे लिखित संविधान में तो नहीं परन्तु यहां शुरू से ही यह परम्परा बन चुकी है कि चुना गया राष्ट्रपति अपने पद पर दो बार ही रहता है। राष्ट्रपति चुनाव प्रत्येक चार वर्ष बाद होता है। दूसरी तरफ चीन और रूस जैसे बड़े और शक्तिशाली देशों में पार्टियों के नाम पर तानाशाही ही चलती आ रही है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले लगभग 13 वर्षों से और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन 1999 से कभी प्रधानमंत्री और कभी राष्ट्रपति के रूप में सत्ता पर काबिज़ चले आ रहे हैं। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पहले रिपब्लिकन पार्टी की ओर से एक बार चुनाव जीत गए थे परन्तु अपनी दबंग नीतियों के कारण वह आगामी बार चुनाव हार गए थे, परन्तु 2024 में वह पुन: चुनाव जीत कर 20 जनवरी को पुन: राष्ट्रपति बन गए, जिससे विश्व भर में एक बार तो व्यापक स्तर पर आश्चर्य पैदा हुआ था। अपने लगभग 9 माह के कार्यकाल में अपनी नीतियों के कारण वह बेहद विवादग्रस्त राष्ट्रपति बन चुके हैं। उनके विरुद्ध देश भर में प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं, परन्तु उनकी नीतियों के कारण आज विश्व भर के ज्यादातर देश उनसे किसी न किसी तरह नाराज़ चल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर देश उनकी टैरिफ संबंधी नीतियों के कारण भी हैरान और परेशान हैं।
अब इसी दौरान अमरीका के प्रसिद्ध शहर न्यूयार्क के मेयर के चुनावों दौरान जो घटनाक्रम घटित हुआ है, वह आश्चर्यजनक है। यहां डैमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी जो पहले क्वीन्स से राज्य विधानसभा के सदस्य बन गए थे, वह न्यूयार्क के मेयर बन गए हैं। उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से मेयर पद के चुनाव लड़े थे। ये चुनाव इसलिए भी बड़ी चर्चा में रहे, क्योंकि इनमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार कर्टिस सलीवा और पूर्व मेयर एंड्रयू कियोमो की निराशाजनक हार हुई है जबकि डैमोक्रेटिक उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी को शानदार जीत प्राप्त हुई है। अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि ममदानी की उम्र सिर्फ 34 वर्ष है। उनकी पृष्ठभूमि भारतीय मूल की है। यह पहली बार है कि जब किसी दक्षिण एशिया के मुसलमान को इतने महत्त्वपूर्ण चुनाव में भारी जीत प्राप्त हुई है। वह भी उस समय जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लगातार ममदानी की आलोचना की थी और यहां तक धमकी दी थी कि यदि वह जीतता है तो अमरीका सरकार द्वारा न्यूयार्क को दिए जाते फंड बंद कर दिए जाएंगे परन्तु चार सौ वर्ष के इतिहास वाले इस शहर के इतिहास में यह पहली बार है कि इस जीत को मुअज़ज़ा माना जा रहा है। ममदानी की पृष्ठभूमि यह रही है कि वह स्टेजों पर गीत गाने के साथ-साथ संगीत और फिल्मी दुनिया में भी विचरण करते रहे हैं। उनकी माता मीरा नायर हैं, जो पंजाबी मूल की हैं और बहुत ही अच्छी हिन्दी और अंग्रेज़ी फिल्में बनाने के कारण वह भारत में बहुत लोकप्रिय और जाना-पहचाना नाम हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में विचरण के बाद 34 वर्ष के एक युवक ममदानी को मिला इतना बड़ा समर्थन आश्चर्यजनक है, क्योंकि वह मात्र 7 वर्ष पहले अमरीका के शहरी बने थे और पांच वर्ष पहले उन्होंने क्वीन्स एसैम्बली का चुनाव जीत लिया था। अपने चुनाव प्रचार में वह लोगों के साथ जुड़ी कुछ महत्त्वपूर्ण मूल बातों को उभारते रहे हैं। विशेष रूप से वह नौकरी-पेशा लोगों को सम्बोधित होते रहे हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने बच्चों की देखभाल के लिए नि:शुल्क प्रबंध करने, मकानों के किराए न बढ़ाने, बस सेवा मुफ्त करने और इससे भी आगे सरकार द्वारा करियाने की ऐसी दुकानें खोलने की बात की है, जिनमें सस्ते मूल्य पर प्रत्येक तरह की वस्तुएं बेची जाएंगी।
अपनी जीत के भाषण में उन्होंने विशेष रूप से भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा देश के स्वतंत्र होने के समय दिए गए पहले भाषण का ज़िक्र किया और न्यूयार्क में एक नई सुबह लाने की बात की। ममदानी की जीत को एक और महत्त्वपूर्ण पहलू के साथ भी जोड़ा जा रहा है कि, यह जीत राष्ट्रपति ट्रम्प की लगातार गिर रही छवि की निशानी है। इस ऐतिहासिक जीत के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए आने वाला समय बेहद चुनौतियों से भरपूर सिद्ध हो सकता है, जो देश की राजनीति का मार्ग बदलने की सम्भावना रखता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

