किसी जन्नत से कम नहीं है भाल पदरी

फारसी के एक कालजयी शेर का अर्थ यह है कि अगर पृथ्वी पर कहीं जन्नत है तो वह कश्मीर है। इस सच से इंकार नहीं किया जा सकता। कुदरत के दिलकश नज़ारे, बर्फ की चादर से ढकी चोटियां और शांत वादियां कश्मीर की पहचान हैं। खिलते घास के मैदानों में चहलकदमी करते हुए सुंदर पेड़ पौधों व विविध जानवरों को निहारने के यादगार अनुभव को शब्दों में व्यक्त करना अक्सर कठिन हो जाता है। अब प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेने के लिए जम्मू कश्मीर ने पर्यटकों के लिए एक अतिरिक्त मोती का इज़ाफा किया है। कश्मीर घाटी ने पहली बार पर्यटकों के लिए भाल पदरी के दरवाज़े खोले हैं। इसलिए मेरा वहां जाना तो बनता ही था।
फूलों की वादी के नाम से विख्यात भाल पदरी डोडा ज़िले के गंदोह सबडिवीज़न में स्थित है। लोग वहां तक आसानी से पहुंच सकें, इसलिए एक नई सड़क निर्माणाधीन थी। यह उस समय की बात है, जब मैं वहां गया था। हो सकता है अब सड़क का कार्य पूरा हो चुका हो। ज़िला डोडा अपनी देवदार चोटियों, शांत मार्गों व पोस्टकार्ड-परफेक्ट नज़ारों के लिए जाना जाता है। घने जंगल से ढकी छोटी घाटियों के समूह के ऊपर स्थित इस हिल स्टेशन की वादियों से नदियां बहती हैं, जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं। भाल पदरी दो शब्दों से मिलकर बना है। भालेस्सा से भाल बना है और पास के पदरी दर्रा या पदरी टॉप से पदरी लिया गया है। भाल पदरी समुद्र की सतह से लगभग 11,000 फीट ऊपर है। यह पदरी से मात्र 10 किमी के फासले पर है, जोकि भदरवाह-चंबा सड़क पर सबसे ऊंचा पॉइंट है और जम्मू व हिमाचल प्रदेश को जोड़ता है। अपनी हरीभरी पहाड़ियों व मंत्रमुग्ध करने वाले लैंडस्केप के कारण भाल पदरी को ‘मिनी कश्मीर’ भी कहते हैं। इतनी सुंदर जगह का पर्यटक अभी तक लाभ नहीं उठा पा रहे थे; क्योंकि भाल पदरी में सुविधाओं का अभाव था और वहां तक पहुंचने के लिए रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर भी उचित नहीं था। अब राज्य सरकार सड़क निर्माण करा रही है और पर्यटकों के लिए दरवाज़े खोल रही है। पदरी में रहने के लिए कमरे और खाने के लिए रेस्तरां भी बनाये गये हैं।
मैं जब भाल पदरी गया था तो राज्य सरकार ने पदरी से भाल पदरी तक 10 किमी का रास्ता बनाया हुआ था, जिस पर अधिकतम काम तो पूरा हो चुका था और केवल ब्लैकटॉपिंग सड़क की अंतिम ऊपरी सतह शेष थी। मुझे बताया गया था कि यह काम भी जल्द पूरा कर लिया जायेगा और अगर मानसून की वजह से कोई रुकावट आयी तो 15 अगस्त के बाद तो निश्चितरूप से काम पूरा कर ही लिया जायेगा। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार एक अन्य 7 किमी की सड़क का निर्माण भी करा रही थी, जो भाल पदरी को गंदोह से जोड़ेगी।
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि भाल पदरी को कुदरत ने अपने हाथों से बहुत सुंदर बनाया है। इसका प्राकृतिक सौन्दर्य देखने दिखाने लायक है। लेकिन अभी यह ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ ही है, क्योंकि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इसमें कुछ अन्य चीज़ों की आवश्यकता है। जम्मू-कश्मीर का पर्यटन विभाग यहां स्कीइंग व चेयर-कार राइड्स के लिए क्षेत्र विकसित कर रहा है। एक बार जब इस क्षेत्र का निर्माण हो जायेगा तो भाल पदरी विंटर व स्नो एडवेंचर के लिए परफेक्ट स्थान हो जायेगा। इसलिए मैं दिसम्बर में एक बार फिर भाल पदरी जाने का इरादा अभी से बनाये हुए हूं। बहरहाल, अपनी इस यात्रा के दौरान में भाल पदरी के निकट थनाला गांव गया। अगर आप भाल पदरी जा रहे हैं तो इस गांव को अपनी बकट लिस्ट में अवश्य रखें। थनाला शत प्रतिशत आदिवासी गांव है। यहां के लोगों ने अपने आदर सत्कार और स्वभाव से मेरा दिल ही जीत लिया। मुझे आदिवासियों की विशिष्ट परम्परा व जीवनशैली के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। मैंने अनुभव किया कि जो जानकारी ज़मीन पर मिलती है, वह किताबों या अखबारी लेखों के माध्यम से मिल ही नहीं सकती। गुज्जर समुदाय के ये लोग मिट्टी के घरों में बिना बिजली के रहते हैं और सोलर-पॉवर लाइट्स का इस्तेमाल करते हैं। 
 भाल पदरी की एक अन्य खास बात मुझे यह लगी कि सूरज के उगने और सूरज के डूबने का जो ़गज़ब का नज़ारा यहां देखने को मिलता है, वह, मेरे अनुमान से, दुनिया में कहीं और नहीं मिल सकता। सुबह जब बर्फ से ढकी चोटियों की ओट में से आहिस्ता आहिस्ता सूरज उगता है और उसकी नरम किरणें दूर तक फैले हरे सब्ज़े पर पड़ती हैं, तो वास्तव में जन्नत में होने का एहसास होता है। फिर जब शाम को रंग बदलते आसमान में सूरज छुपने की तैयारी में होता है तो उस अलौकिक अनुभव को व्यक्त करने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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