पुरस्कार कैसे पाएं
विश्व का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहां पुरस्कार दिया लिया नहीं जाता हो। पुरस्कार लेने देने की परम्परा आज से नहीं बल्कि अनादि काल से चली आ रही है। अभिशाप या वरदान को भी हम पुरस्कार ही कहेंगे क्योंकि किसी पर जड़ से खुश होना या उसके आचरण से सुकून मिलना या दुख पहुंचाने के क्रम जो अगला जो देता है वह भी पुरस्कार के श्रेणी में ही आता है।
आज के संदर्भ में पुरस्कार देने की जो परम्परा चल रही है वाकई इसके अस्मिता व गरिमा को सुरसा की तरह निगल रही है। चापलूसी कानाफूसी का डोज देकर अगले को खुशी व आनंद की अनुभूति करा देने में बाजी मार लिए तो आप पुरस्कार का हकदार हो सकते हैं। आज बड़ा-बड़ा पुरस्कार ऐसे हाथों ने किया स्वीकार जिसे समाज सिरे से किया है इन्कार।
इसको पाने हेतु राजनीतिक गलियारों में तो होड़ लगा हुआ है। उसमें जिसका जुगाड़ या नेताओं से गठजोड़ हो तो आपके पुरस्कार पाने की संभावना प्रबल है, समस्या हल है। पुरस्कार देने वाला स्वयं चलकर आपके द्वार आएगा। आपके नाम का महिमा मंडित कर आपके व्यक्तित्व को उछाल आपके मोहल्ले में भूचाल ला सकता है। क्योंकि पुरस्कृत व्यक्ति समाज के नज़र में अव्वल हो जाता है। ये मामूली बात नहीं अगला राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता है। और पुरस्कृत व्यक्ति समाज के नज़रों में कभी तिरस्कृत दृष्टि से नहीं देखा जाता। उसका व्यक्तित्व उछाल मारते हुए पूरे शहर में बवाल मचा सकता है।
और इस पुरस्कार का आंखों देखा हाल जब उसी मोहल्ले के निवासी मित्र वरिष्ठ लेखक जहमतलाल ने मुझसे पुरस्कृत पत्रकार नौटंकीलाल का जिक्र किया तो हम दोनों फिक्र से हम दोनों की रात की नींद उड़ गई।
जबकि नौटंकीलाल को इस क्षेत्र में उतरे साल भी नहीं हुआ कि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बन गया। उससे बड़े-बड़े अनुभवी पत्रकार पुरस्कार विहीन घूम रहे हैं। शायद जुगाड़ टेक्नोलॉजी के बल पर ही पुरस्कार मिला है इस नौटंकी लाल को।
आज जिधर भी देखता हूं जो भी घिसा पिटा साहित्यकार है लेखक है उसके पास दर्जनों पुरस्कार है। सफलता के सीढी को दिन प्रतिदिन चूम रहा है लेकिन अभी तक अभागा हमारे जैसे कुछ लोग हैं जो निराधार आश लगाए वगैर पुरस्कार का चल रहा है। यह भी जीना कोई जीना है। जहां भी जिस साहित्यिक सम्मेलन में जाता हूं वहां इन कवियों लेखकों को पुरस्कार पाने की बातें सुन मन कुंठा से भर जाता है।
मैं अकेला बैठे-बैठे यही सोचता हूं कि पुरस्कार कैसे पाएं आप बताएं जब इस टॉपिक को सोशल मीडिया पर जैसे ही प्रेषित किया दो चार अनुभवी मनीषियों ने अपने सुझाव से अवगत कराया। जो जिस क्षेत्र में संलग्न है इस फार्मूले को यूज कर अगले को कन्फ्यूज कर पुरस्कार हथिया सकते हैं।
उनका सुझाव था आज जब आपको पुरस्कार का दरकार है तो आप निम्न उपाय अपनाइए पुरस्कार पाइए। यदि ऑफिस में कार्यरत हैं तो बॉस का दुम हिलाइए घर के सदस्यों के दिलों में जगह बनाइए। उनके यहां जो भी मेहमान आए उसे घुमाइए फिराइए।
यदि आप कवि लेखक साहित्यकार हैं तो लोकल पुरस्कार पाने के लिए अपने क्षेत्र के सीनियर साहित्यकार का चापलूसी कीजिए, मक्खन लगाइए। समय समय पर घर पर बुलाइए खिलाइए पिलाइए।
यदि राष्ट्रीय पुरस्कार चाहिए तो नेताओं व बड़े-बड़े अधिकारियों के आगे पीछे दुम हिलाइ, उसके बाद मनपसंद पुरस्कार पाइए। क्योंकि आज पुरस्कार वही पा रहा है जो टॉप मोस्ट का दुम हिला रहा है। मैं भी सोच रहा हूं। आप क्या कहते हैं।
-मो. 8329680650

