एग्ज़ाम में ही नहीं, एकेडेमिक परीक्षाओं में भी स्मार्टनेस दिखाएं

अगले दो तीन महीने के अंदर तमाम एकेडमिक परीक्षाओं से लेकर अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलसिला शुरु होने वाला है। इसलिए परीक्षाओं की तैयारी और तैयारी के तरीके पर कुछ सोच, विचार करना ज़रूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि अपने देश में हर साल लाखों विद्यार्थी, कोई न कोई एग्जाम देते हैं। स्कूल की परीक्षाओं से लेकर बोर्ड परीक्षाओं और उच्च अध्ययन परीक्षाओं तक में एक विशेष प्रकार के परिश्रम की ही नहीं सजगता और कुशलता की भी ज़रुरत होती है, जिसे आजकल ‘स्मार्टनेस’ जैसे शब्द से संबोधित किया जाता है। जाहिर है इसकी ज़रुरत इसलिए पड़ती है कि स्कूली परीक्षाओं से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक सिर्फ दिन रात पढ़ाई करने वाले आखिर में अच्छे नंबरों और रैंक से परीक्षाएं नहीं पास करते बल्कि अपनी आंख, नाक और कान खुले रखने वाले परीक्षार्थी स्मार्टनेस का इस्तेमाल करके कम पढ़ते हुए भी ज्यादा बेहतर ढंग से इन परीक्षाओं को पास करते हैं या कर सकते हैं। इसलिए आज के इस डिजिटल युग में एग्जाम में ही स्मार्टनेस दिखाना ज़रूरी नहीं रह गया बल्कि थोड़ी बहुत स्मार्टनेस हमें एग्जाम की तैयारी में भी दिखाना चाहिए। अगर हम ऐसा कर लें तो नतीजे उम्मीदों से भी बेहतर आ सकते हैं। आइये कुछ ऐसी भावनाओं पर क्रमश: नज़र डालते हैं।
रटने से आगे बढ़ें
जी हां, स्मार्ट एग्जाम तैयारी का यह सबसे पहला और सटीक फार्मूला है कि एग्जाम अगर बेहतर ढंग से पास करना है, तो रटने के मंत्र से अपनी तैयारी को आगे ले जाएं। एक जमाना था जब हमारे सीनियर हमें व्यवहारिक सच्चाई का हवाला देकर समझाते थे कि घंटों-घंटों किताबों को पढ़कर घोट लो, तो एग्जाम अच्छे हो जाते हैं। लेकिन नये शिक्षातंत्र को यह मंजूर नहीं है। इसलिए अब फोकस रटने पर नहीं, कंसेप्ट की क्लीयरिटी पर रखें। अगर आपको किसी विषय या धारणा का कंसेप्ट क्लीयर होगा तो आप बहुत आसानी से इस विषय पर पूछे जाने वाले सवाल का जवाब लिख सकते हैं और वह भी रटी रटायी और बहुत बार तथा बहुत लोगाें द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा के इतर अपनी भाषा में। जानकारों का मानना है कि ऐसा करने पर न सिर्फ सफलता मिलनी तय होती है बल्कि परीक्षक, परीक्षार्थी से खुश भी होता है और उसे उदारता से नंबर देता है। इसलिए कोशिश करें कि रटने की जगह परीक्षाओं की तैयारी मूल विषयों की क्लीयरिटी पर जोर देकर करें और जो लिखकर आएं, वह किताबों में लिखी शब्दश: इबारत न हो बल्कि आपके दिल और दिमाग से निकले शब्दों की भाषा हो, तो बेहतर एग्जाम पास करने की उम्मीदें 70 से 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। इसमें पढ़ाई के दौरान एक स्मार्ट तरीका यह अपनाएं कि जो भी चैप्टर पढ़कर क्लीयर करें, उस चैप्टर में अपनी कल्पना से तरह तरह के सवाल पूछने की कल्पना करें और फिर उन्हें अपने शब्दों में जवाब दें। यह फॉर्मूला बेहद कारगर होता है। 
टाइम मैनेजमेंट
कुछ बातें सचमुच ‘ओल्ड इज गोल्ड’ की परिभाषा में फिट बैठती हैं। टाइम मैनेजमेंट की सजगता या तैयारी भी ऐसी ही बात है। आज के 50 साल पहले भी परीक्षाओं में समय बहुत महत्वपूर्ण था और आज भी जब यह तीव्रतम तकनीकी का युग है, तब भी परीक्षाओं में टाइम मैनेजमेंट उतना ही महत्वपूर्ण है। इसलिए पश्चिम में समय को लेकर एक जुमला इस्तेमाल होता है- टाइम इज द न्यू सिलेबस। वास्तव में आज भी अगर हम परीक्षा देते समय, समय की प्रतिबद्धता को लेकर सजग हैं, तो गैर सजग छात्रों के मुकाबले हमारे एग्जाम के 40 प्रतिशत तक बेहतर होने की उम्मीद आंख मूंदकर की जा सकती है। इसलिए आज एग्जाम की स्मार्ट तैयारी को इस मूलमंत्र से जोड़ा जाता है कि पढ़ाई को टाइम टेबल नहीं बल्कि टाइम टारगेट से जोड़ना चाहिए। इस स्मार्टनेस को आत्मसात करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हमें अपनी एग्जाम तैयारी के दिनों को तीन हिस्सों में बांट देना चाहिए। पहले हिस्से में पढ़ाई करें, दूसरे हिस्से में रिवीजन करें और तीसरे में इंटरटेन या रेफ्रेशमेंट हो। इससे टाइम मैनेजमेंट पर हमारी अच्छी पकड़ हो जाती है। इसके लिए मोबाइल एप जैसे गूगल कैलेंडर या नोशन से अपना शिड्यूल डिजिटली क्रैक करने की कोशिश करें और हर 25 से 30 मिनट की पढ़ाई के बाद खुद को 5 मिनट का ब्रेक ज़रूर दें। भले इस दौरान मस्ती ही क्यों न करें। 
फायदा उठाएं डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म्स का
जी हां, यू-ट्यूब चैनल, एआई आधारित आज डिजिटल दुनिया में हजारों एप्स हैं, जो छात्रों को उनकी व्यक्तिगत अध्ययन शैली के मुताबिक सिखा रहे हैं। ज़रूरी है कि आप भी इसका फायदा उठाएं। इस मामले में एक स्मार्ट स्टैप यह हो सकता है कि किसी ऑनलाइन टेस्ट सीरीज़ एग्जाम को ज्वाइन कर लें। अव्वल तो ऐसी सीरीज मुफ्त होती है, लेकिन अगर थोड़ा बहुत पैसा भी खर्च करना पड़े तो यह घाटे का सौदा नहीं है, क्योंकि यह नियमित रूप से ऑनलाइन टेस्ट सीरीज आपमें परीक्षा पास करने की मजबूत मन:स्थिति बना देगी। ..और हां, एआई नोट्स टूल से सहायता लेना आसान है, लेकिन इसे कम से कम लें। यह दोहराव कई बार आपको निर्भर कर सकता है। इसलिए अगर चैटजीपीटी या क्विजलेट, क्विज का इस्तेमाल करें, तो हूबहू न करें, अपने दिमाग को भी चलाएं। 
खुद को दिखाएं मूल्यांकन का आईना
जी हां, हर छात्र या परीक्षार्थी को परीक्षा की तैयारी करते समय सतत आत्म मूल्यांकन करना बहुत ज़रूरी होता है। खुद को तैयारी का आईना दिखाना ही चाहिए। इससे हमारी तैयारी किस स्तर की है, इसका आसानी से पता चलता रहता है। क्योंकि स्मार्ट तैयारी तभी पूरी होती है, जब हमारे पास कोई ऐसे टूल्स हों, जो हमारी तैयारी को रियल टाइम एनालिसिस कर सकें। इससे यह पता चलता है कि हम कौन से विषय में मजबूत हैं और किस विषय में हमें अभी सुधार की ज़रूरत है। इस कदम में एक स्मार्ट तरीका यह हो सकता है कि हर सुप्ताहांत सामूहिक रूप से मॉक टेस्ट प्रतियोगिताओं में शामिल हों, जहां किसी और को अपनी गलतियों का विश्लेषण करने दें। अगर इन पांच स्मार्ट तरीकों से आप एग्जाम देने के पहले ही अपनी एग्जाम की तैयारी करते हैं, तो तय है कि एग्जाम बेहतर ही होगा।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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