रामराज में स्थित बिना छत का शिव मंदिर

उत्तर प्रदेश में बिजनोर से 32 किमी दूरी पर बसा है कस्बा रामराज। इस कस्बे के निकट भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जिसमे कोई गुम्बद या छत नहीं है। यह मंदिर में खुले आसमान के नीचे बिना छत का बना हुआ है।
 यह मंदिर अपने आप में बहुत सुंदर, भव्य, आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है। तभी तो यहां आकर सुखद शांति का अनुभव होता है। इस बिना छत के शिव मंदिर देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आए दिन आते रहते हैं। 
कहते है कि इस शिव मंदिर पर जब भी छत डालने की कोशिश की गई, वह सफल नही हो पाई क्योंकि हर बार डाली गई छत गिर जाती है। इस अद्भुत चमत्कार के पीछे कहा जाता है कि भगवान शिव यहां खुले आकाश के नीचे ही प्राण प्रतिष्ठित होकर रहते हैं। बिना छत के इस शिवमंदिर का खास पौराणिक महत्व भी है।
इस शिव मंदिर के निकट एक सुरंग भी है जो महाभारत कालीन है और जो हस्तिनापुर तक जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यह सुरंग बंद की हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी जमाने में इस शिव मंदिर स्थल पर एक गाय आकर खड़ी होती थी जिसके थनों से दूध स्वत: निकलने लगता था। बाद में यहां खुदाई की गई तो इस स्थान पर एक शिवलिंग खुदाई के दौरान मिला। शिवलिंग पर गाय व त्रिशूल की आकृति बनी हुई थी। खुदाई के दौरान यहां से पीपल का पेड़ भी निकला था। बताते हैं कि जब  शिवलिंग के बराबर में खुदाई की गयी तो शिवलिंग का आकार स्वत: बड़ा हो गया था।
रामराज कस्बे के निकट फिरोजपुर नामक गांव में मौजूद इस प्राचीन शिवमंदिर में महाभारत काल के समय ऋषि दुर्वासा ने यहां कठोर तपस्या की थी। महर्षि दुर्वासा ऋषि अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे। ऋषि दुर्वासा को शिव का अवतार भी माना जाता है लेकिन जहां भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद आसान माना जाता है, वहीं ऋषि दुर्वासा को प्रसन्न करना सबसे कठिन था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध चल रहा था तब अपने पुत्रों की विजय के लिए आशीर्वाद मांगने कौरवों की माता गांधारी एवं पांडवों की माता कुंती दुर्वासा ऋषि के पास पहुंची थीं। पांडवों की ओर से इंद्रदेव ने आकाश से शिवलिंग पर फूलों की वर्षा कर पांडवों को विजयश्री का आशीर्वाद दिलाया था। धार्मिक मान्यता है कि जो भी इस शिव मंदिर में शिवलिंग के दर्शन करता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। सावन में तो शिवभक्तों का यहां भव्य मेला लगता है। शिवभक्त कांवड़िए हरिद्वार से बिजनौर होकर यहां के इस शिव मंदिर में गंगा जल लाकर चढ़ाते है।
फिरोजपुर गांव का हर व्यक्ति मंदिर की देखभाल करता है। जिन्हें ध्यान-साधना के लिए शांत वातावरण चाहिए, उनके लिए तो यह मंदिर वरदान स्थली है। (उर्वशी)

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