विश्व के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा रूस-यूक्रेन युद्ध

रूस-यूक्रेन युद्ध अब केवल दो देशों का संघर्ष नहीं रह गया है, बल्कि यह सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा बनता जा रहा है। यह युद्ध आधुनिक सभ्यता के सामने एक ऐसी चुनौती प्रस्तुत कर रहा है जिसमें मानवीय संवेदनाएं, वैश्विक शांति और राजनीतिक संतुलन सब कुछ दांव पर लगा हुआ है। रूस की बौखलाहट, अमरीका और नाटो देशों के हस्तक्षेप के साथ मिलकर इस युद्ध को तीसरे विश्व युद्ध की दहलीज़ पर ला खड़ा कर चुकी है। रूस ने अमरीका को खुले शब्दों में चेताया है कि यदि पश्चिमी देश इसी तरह यूक्रेन की आर्थिक और सामरिक मदद करते रहे तो उसे परमाणु या जैविक हथियारों के प्रयोग पर विवश होना पड़ सकता है। यह चेतावनी केवल शब्दों का खेल नहीं बल्कि आने वाले संकट का संकेत है, क्योंकि कीव पर हाल में किए गए रूस के हवाई हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पुतिन अब किसी भी हद तक जा सकते हैं। 
अमरीकी अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरस ने दावोस में अपने वार्षिक संबोधन में कहा था कि रूस और चीन का सीमा-विहीन गठबंधन वैश्विक शांति के लिए बेहत खतरनाक है। यदि पुतिनए शी जिनपिंग और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के बीच यह रणनीतिक गठबंधन गहराता गया तो विश्व युद्ध का खतरा और बढ़ सकता है। सोरस के अनुसार यह संघर्ष अगर अनियंत्रित हुआ तो हमारी सभ्यता इसे झेल नहीं पाएगी और यह युद्ध समस्त मानवीय मूल्यों को मलबे में बदल देगा। पुतिन और शी जिनपिंग ने अपने हालिया संयुक्त बयान में स्पष्ट कर दिया था कि उनके संबंधों और सहयोग की कोई सीमा नहीं है। यह बयान एक नई ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का संकेत है जिसमें चीन और रूस एक साथ पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देने की तैयारी में हैं। पुतिन ने शी जिनपिंग को यूक्रेन पर विशेष सैन्य अभियान की जानकारी भी पहले ही दे दी थी, जिससे स्पष्ट है कि यह सब एक सुनियोजित रणनीति के अंतर्गत हुआ था। इसी बीच जहां रूस के एक राजदूत ने इस्तीफा देकर पुतिन की कार्रवाई का विरोध किया, वहीं युद्ध में मारे गए सैनिकों के परिवारों ने भी देश के भीतर असंतोष प्रकट किया है। 
यूक्रेन पर आक्रमण के समय पुतिन को यह भ्रम था कि यूक्रेन में रहने वाले रूसी भाषी नागरिक उनका समर्थन करेंगे, परंतु हुआ इसके विपरीत। उन्होंने यूक्रेन पर हमले की निंदा करते हुए रूस से नाता तोड़ लिया। यह पुतिन के लिए सबसे बड़ा झटका था।  रूस-यूक्रेन युद्ध अब तक लगभग तीस लाख करोड़ रुपये निगल चुका है और इसका अंत अभी दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता। अमरीका और नाटो देश रूस का मुकाबला करने के लिए यूक्रेन को लगातार हथियार, आर्थिक सहायता और युद्धक रणनीति मुहैया कर रहे हैं। इस सहायता से यूक्रेन न केवल मुकाबला करने में सफल रहा है, बल्कि उसने रूस के कई मोर्चों पर पलटवार भी किया है। अब यूक्रेन के पास न धन की कमी दिखाई दे रही है, और न ही हथियारों की। हालांकि युद्ध की विभीषिका भयंकर है। मारियोपोल जैसे शहरों में इमारतों के मलबे के नीचे से शव निकल मिल रहे हैं। लगभग एक करोड़ यूक्रेनी नागरिक पोलैंड और अन्य यूरोपीय देशों में शरणार्थियों की तरह जीवन बिता रहे हैं। इस युद्ध की आंच अब एशिया-प्रशांत क्षेत्र तक फैलने लगी है। चीन और रूस के गठबंधन के खतरे को देखते हुए अमरीका ने जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ टोक्यो सम्मेलन में सैन्य-रणनीतिक गठबंधन मज़बूत करने का निर्णय लिया। क्वाड जैसे संगठन चीन की विस्तारवादी नीतियों का प्रतिरोध कर रहे हैं। अमरीका ने 13 देशों का एक आर्थिक समुदाय गठित कर चीन को वैश्विक व्यापारिक योजनाओं से अलग करने की प्रक्रिया शुरू की। 
अमरीका और पश्चिमी देश अब रूस-चीन गठबंधन को वैश्विक स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं और विश्व को इनके विरुद्ध एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि यह युद्ध अनियंत्रित हुआ तो न केवल यूरोप, बल्कि एशिया और अमरीका तक भी इसका प्रभाव दिखाई देगा। इसलिए अब केवल एक ही विकल्प शेष है कि इस युद्ध को शीघ्र समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएं।
आज विश्व के समक्ष एक प्रश्न खड़ा हो गया है कि  क्या हम शांति कायम करने के लिए एकजुट होंगे या अहंकार, शक्ति और स्वार्थ के कारण विश्व को खतरे में डाल देंगे। यदि यह युद्ध अब भी नहीं थमा तो इसके परिणाम बेहद भयावह होंगे। 
 

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