आओ जानें दुनिया की छत तिब्बत बारे

प्यारे बच्चो, तिब्बत पूर्व एशिया के पश्चिमी हिस्से का एक बेहद खूबसूरत क्षेत्र है। यह ‘दुनिया की छत’ और ‘तीसरे ध्रुव’ के नाम से भी मशहूर है। यह क्षेत्र दुनिया के सबसे ऊंचे पठार पर स्थित है, जिसको ‘तिब्बती पठार’ कहते हैं। वर्णनीय है कि तिब्बती भाईचारे की यह मातृभूमि है, चाहे कि बड़ी संख्या में तिब्बती लोग हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज में भी रहते हैं। वर्णनीय है कि चीन द्वारा तिब्बतियों के गुरु दलाईलामा को 1959 में देश से निष्कासित करने के बाद दलाईलामा ने अपने पैरोकारों के साथ मैक्लोडगंज में शरण ले ली थी। तिब्बत समुद्री तल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 
यह दुनिया के 100 करोड़ लोगों की ताज़ा पानी की ज़रूरत को पूरा करता है। वास्तव में उत्तरी ध्रुव और अटलांटिका के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा ताज़ा पानी का स्रोत है। इसका कारण है कि इसमें से 6 बड़े दरिया निकलते हैं। यह हैं मेकांग, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, यांगटे, सलवीन और हवांग। हैरानी की बात है कि इन दरियाओं से आता पानी दक्षिण पूर्वी एशिया की आधी के करीब जनसंख्या (जोकि दुनिया की कुल जनसंख्या का 20 प्रतिशत बनता है) की ताज़ा पानी की ज़रुरत को पूरा करता है। 
ज़िक्रयोग है कि जिस पानी का हम घरेलू और रोजमर्रा के कार्यों के लिए, खेतों के लिए और उद्योगों के लिए उपयोग करते हैं उसी को ही ताज़ा पानी कहा जाता है। दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत माऊंट एवरैस्ट नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। यह समुद्री तल से 8848.86 मीटर ऊंचा है। यह इस क्षेत्र की खूबसूरती को चार चांद लगाता है। इस क्षेत्र में अनेक झीलें और ठंडे और गर्म पानी के झरने हैं। तिब्बती लोग बुद्ध धर्म को मानने वाले हैं। यहां के लोगों के अपने अलग रीति-रिवाज़ हैं। यह लोग अपने समाज के मृतक लोगों के शरीर को संस्कार के लिए खुले आसमान के नीचे ईल, भालू या गीदड़ के खाने के लिए छोड़ देते हैं। इसको उनकी भाषा में ‘जटौर’ कहा जाता है। 
इस परम्परा का कारण लकड़ी का न मिलना या ईलों को भोजन उपलब्ध करवाना हो सकता है। यदि कोई तिब्बती अमरीका में मर जाए तो संस्कार करने के लिए उसके संबंधी को छुट्टी लेकर तिब्बत आना पड़ता है। ल्हासा तिब्बत की राजधानी है और बुद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह एक पवित्र स्थान है। इसमें मौजूदा ‘पोटाला महल’ (भाव पवित्र भूमि) तिब्बती लोगों के लिए आस्था का अटूट केन्द्र है। यह तिब्बतियों के सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा की रिहायश के तौर पर मशहूर है।

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