संगीत महाकुम्भ के रूप में जाना जाता है हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन

150वें संगीत सम्मेलन पर विशेष

पंजाब के जालन्धर शहर में उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्ति पीठ श्री देवी तालाब मंदिर के प्रांगण में हर साल दिसम्बर होने वाला ‘हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन’ शास्त्रीय संगीत के महाकुम्भ के रूप में जाना जाता है। जालन्धर में इस संगीत सम्मेलन का 150 साल का शानदार इतिहास गर्व की बात है। अुसंधानकर्ताओं के मुताबिक संस्कृति का सूर्य सबसे पहले पंजाब की धरती पर ही उदय हुआ, जिसे सांस्कृतिक रूप से श्रेष्ठ माना गया है। इसी धरती पर श्री बाबा हरिवल्लभ जी का जन्म हुआ, जिन्होंने ‘हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन’ की शानदार परम्परा की नींव रखी, जिसे आज दुनिया का सबसे प्राचीन शास्त्रीय संगीत सम्मेलन होने का गौरव हासिल है और इसका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में भी दर्ज है। 
इस साल 26 दिसम्बर से 28 दिसम्बर, 2025 तक होने वाला 150वां श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350 वर्षीय शहीदी दिवस को समर्पित है। बाबा हरिवल्लभ का जन्म 18वीं सदी के आखिर में होशियारपुर के पास बजवाड़ा में हुआ था। कम आयु में पिता का निधन हो जाने पर उनके नाना उन्हें अपने पास जालन्धर ले आए। वह प्रतिदिन अपने मामा पंडित जवंद लाल ज्योति के साथ श्री देवी तालाब मंदिर जाया करते थे, जहां उनकी मुलाकात स्वामी तुलजा गिरी से हुई। स्वामी तुलजा गिरी एक उच्च आध्यात्मिक संत, संस्कृत के विद्वान और उच्च दर्जे के संगीतकार भी थे। स्वामी जी से दीक्षा लेने के बाद वह उनकी सेवा करने लग गए। स्वामी जी ने हरिवल्लभ को आध्यात्मिक मार्गदर्शन के साथ-साथ संगीत की शिक्षा देनी भी शुरू की और दूसरे संगीत विद्वानों से सीखने के लिए प्रेरित किया। 
प्रसिद्ध संगीत विद्वान डॉ. गुरनाम सिंह के मुताबिक बाबा हरिवल्लभ ने सियालकोट के पंडित दुनी चंद उजाला से संगीत की शिक्षा ली थी। 
बाबा हरिवल्लभ को ध्रुपद गायन शैली में विशेष महारत हासिल थी। उन्होंने बहुत-से ध्रुपदों की रचना की। ध्रुपद गायन शैली के प्रचार के लिए प्रत्येक वर्ष हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन के पहले दिन किसी प्रसिद्ध ध्रुपद गायक को ही गायन पेश करने के लिए बुलाया जाता है। 1874 में स्वामी तुलजा गिरी ब्राह्मलीन हो गए और बाबा हरिवल्लभ उनके उत्तराधिकारी बने। 1875 में बाबा हरिवल्लभ ने पहली बार स्वामीजी की पुण्यतिथि के मौके पर एक सम्मेलन करवाया। 1885 में बाबा हरिवल्लभ ब्रह्मलीन हो गए और उनके शिष्य पंडित टोलो राम ने शास्त्री संगीत की इस महान परम्परा को जारी रखा। धीरे-धीरे यह सम्मेलन ‘हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन’  के नाम से प्रसिद्ध हो गया। 
डॉ. जोगिंदर बावरा के अनुसार पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर का एक समय इस समागम में आना एक यादगारी घटना है, जिससे इस समागम ने प्रसिद्धि के शिखर को छूआ। उनके साथ उनके शिष्य पंडित ओंकार नाथ ठाकुर और पंडित विनायक राव पटवर्धन भी थे। उसके बाद दुनिया भर से शास्त्रीय गायक और वादक बाबा हरिवल्लभ के दरबार में हाज़िरी लगाने लगे। पंडित भास्कर राव, उस्ताद फैयाज़ खान, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, श्रीमती हीरा बाई बरोडकर, पंडित रविशंकर, पंडित भीम सेन जोशी, उस्ताद अमीर खान, उस्ताद काले खान, उस्ताद बड़े गुलाम अली खान, सलामत अली खान व नज़ाकत अली खान (शामचुरासी) घराना तथा अन्य अनेक प्रसिद्ध फनकारों इस स्थान पर हाज़िरी लगाई। 
श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत महासभा जालन्धर और नॉर्थ ज़ोन कल्चरल सेंटर पटियाला के सहयोग से आयोजित करवाए जा रहे सम्मेलन की बागडोर लगभग तीन दशकों से अध्यक्ष श्रीमती पूर्णिमा बेरी के हाथ में है। दैनिक सवेरा के मुख्य सम्पादक श्री शीतल विज महासभा के चेयरमैन हैं। श्री दीपक बाली (महासचिव) तथा इंजी. सुरजीत सिंह अजीमल इसके निदेशक हैं, जिनके नेतृत्व में एक टीम समारोह की चढ़दी कला के लिए पूरी तनदेही से सेवा कर रही है। 
शास्त्रीय संगीत की इस महान विरासत को सम्भालने और युवा कलाकारों को उत्साहित करने के लिए सम्मेलन से पहले शास्त्रीय गायन, स्वर-साज़, तबला/पखावज वादन और ठुमरी/दादरा गायन की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। विदेश से भी युवा कलाकार इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं। संगीत प्रतियोगिता के लिए दो ग्रुप होते हैं। 10 से 16 साल के कलाकारों के लिए जूनियर ग्रुप और 16 से 25 साल के कलाकारों के लिए सीनियर ग्रुप। 
 इस साल  22 दिसम्बर (सोमवार) को सुबह 10 बजे श्री बाबा हरिवल्लभ की समाधि पर हवन के बाद संगीत प्रतियोगिता शुरू होगी जो 25 दिसम्बर 2025 तक चलेगी। श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत महासभा इस गौरवशाली परम्परा को कायम रखने तथा भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए पूरी तनदेही से सेवा कर रही है। जालन्धर वासियों को अपील है कि आओ सभी बढ़-चढ़ कर इस समारोह में उपस्थित हों और दुआ करें कि जालन्धर की धरती पर श्री बाबा हरिवल्लभ जी द्वारा जगाई गई शास्त्रीय संगीत की यह ज्योति हमेशा जगती रहे।  

-उपाध्यक्ष (संगीत प्रतियोगिता), 
श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत महासभा।
-मो. 94170-93935

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