ट्रूडो का भारत पर गम्भीर आरोप यात्रा को नाकाम बनाने के लिए की गई बड़ी साज़िश

ड्डटोरांटो/ ओटावा/ नई दिल्ली, 28 फरवरी (सतपाल सिंह जौहल/ एजैंसी) : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के 7 दिवसीय सरकारी दौरे के बाद गत दिवस पहली बार कनाडा की संसद में प्रश्नकाल के दौरान हाज़िर हुए। इस मौके ट्रूडो को जसपाल अटवाल को मुम्बई व दिल्ली में रिसैप्शन पार्टी का निमंत्रण दिए जाने के मामले में विपक्ष के कड़े सवालों का समाना करना पड़ा। ट्रूडो के एक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने गत दिवस कहा था कि भारत सरकार के एक भाग ने कनाडा के प्रधानमंत्री के दौरे को साबोताज करने के लिए जसपाल अटवाल मामले की साज़िश रची थी, जिसके तहत अटवाल का नाम काली सूची में से हटाया गया और भारत का वीज़ा दिया गया। सरकारी अधिकारी के उस बयान बारे विपक्ष के नेता एंड्रयू शियर ने संसद में ट्रूडो का विचार जानना चाहा तो उन्होंने (ट्रूडो) अपने सलाहकार की बात को नकारा नहीं। ट्रूडो ने बताया कि उनके वरिष्ठ कूटनीतिक व सुरक्षा अधिकारी सही जानकारी के आधार पर ही कुछ कहते हैं। जब विपक्ष द्वारा तीव्र हमलों में कहा गया कि इसका मतलब है कि ट्रूडो मानते हैं कि उनके दौरे को खराब करने के लिए भारत सरकार ने मदद की थी तो हाऊस आफ कॉमन्ज़ (लोकसभा) में मौजूद ट्रूडो चाहे माने तो नहीं पर अपनी सीट से उठकर इस बात से इन्कार भी नहीं किया। सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री रालफ गुडेल ने विपक्ष के आरोपों को निर्मूल बताया। लोक निर्माण मंत्री अमरजीत सोही ने इस मामले में कुछ कहने से इन्कार किया और कहा कि ऐसी बातों बारे अनुमान नहीं लगाए जाने चाहिएं। वहीं दूसरी ओर सरकार ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की यात्रा के दौरान खालिस्तान समर्थक जसपाल अटवाल की दिल्ली एवं मुम्बई में कनाडाई उच्चायोग में मौजूदगी को लेकर अपनी भूमिका से इन्कार किया है लेकिन उसे वीज़ा जारी किये जाने को लेकर अब भी चुप्पी साधे रखी है।  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कनाडा की संसद में उठे इस विषय को लेकर संवाददाताओं के सवालों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री के सम्मान में उनके उच्चायोग द्वारा दिल्ली एवं मुम्बई में आयोजित किये गये कार्यक्रम में जसपाल अटवाल को निमंत्रित किए जाने का मुद्दा कनाडा की संसद में उठाया गया है। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि अटवाल को निमंत्रण दिए जाने का भारत सरकार एवं उसकी सुरक्षा एजेंसियों से कोई लेना देना नहीं था।