पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का महत्त्व

देश के पांच राज्यों में सम्पन्न होने जा रहे विधानसभा चुनावों की शुरुआत छत्तीसगढ़ से हो गई है, जहां विगत सोमवार पहले चरण के लिए मतदान हुआ। यह मतदान प्रांत के केवल 18 क्षेत्रों में ही हुआ। इसका मुख्य कारण यह है कि छत्तीसगढ़ में न्यूनतम विगत पांच वर्ष से माओवादी पूर्णतया सक्रिय हैं। एक प्रकार से इस प्रांत को नक्सलवादियों का गढ़ माना जाता है। इसीलिए ये चुनाव भी पहले उन क्षेत्रों में करवाए गए जो नक्सलवाद से पूर्णतया प्रभावित हैं। यहां माओवादी संगठनों ने चुनाव न होने देने के लिए धमकियां दे रखी थीं तथा मतदाताओं को ये चेतावनियां जारी की गई थीं कि वे इन चुनावों में भाग न लें। मतदान से लगभग एक सप्ताह पूर्व नक्सलवादी कार्रवाइयां शिखर पर पहुंच चुकी थीं तथा इनमें अनेक सुरक्षा कर्मी, आम नागरिक एवं कुछ माओवादी भी मारे गए थे। परन्तु इस सब कुछ के बावजूद यहां 70 प्रतिशत से अधिक मतदान होना यह आशा अवश्य प्रकट करता है कि इन क्षेत्रों में अत्याधिक गरीबी में ग्रस्त लोगों ने अपनी तमाम सीमाओं एवं कठिनाइयों के बावजूद लोकतंत्र में अपना विश्वास व्यक्त किया है। बेशक इस प्रणाली में अनेक प्रकार की त्रुटियां मौजूद हैं। इसी कारण पिछले लम्बे समय से यहां चली तीव्र लहरों ने गुरबत से दबे आदिवासी कबीलों को भी प्रभावित किया है, परन्तु इसके बावजूद उन्होंने इस प्रणाली पर आस व्यक्त की है। आगामी दिसम्बर के महीने तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम एवं तेलंगाना शामिल हैं। मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में विगत लम्बी अवधि से भाजपा की सरकारें कायम हैं। नव-गठित प्रांत तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार चली आ रही है। एक लम्बे संघर्ष के बाद आंध्र प्रदेश से अलग होकर वर्ष 2014 में तेलंगाना नाम का नया प्रांत बनाया गया था, जिसके मुख्यमंत्री चंद्र शेखर राव बने थे। परन्तु उन्होंने आठ महीने पहले ही प्रदेश विधानसभा को भंग करने की घोषणा कर दी थी, जिसके कारण तेलंगाना के चुनाव भी इन राज्यों के साथ ही हो रहे हैं। देश के  उत्तर पूर्व में स्थित मिज़ोरम भी ऐसा ही एक छोटा प्रांत है जहां कांग्रेस सत्तारुढ़ है। इन पांचों राज्यों में होने वाले चुनावों को छ: मास बाद होने वाले लोकसभा चुनावों के संदर्भ में देखा जाएगा। देश के राजनीतिक क्षेत्रों में यह जानने की उत्सुकता रहेगी कि लोकसभा चुनावों के निकट होने वाले इन विधानसभा चुनावों में इन राज्यों के मतदाता क्या फतवा देते हैं, अथवा इन चुनावों के परिणामों का लोकसभा चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। नि:संदेह जहां भारतीय जनता पार्टी के लिए ये चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, वहीं कांग्रेस के लिए ये इसलिए एक बड़ी चुनौती हैं कि इन विधानसभा चुनावों में इस पार्टी के उभार के साथ ही यह भाजपा के खिलाफ बने किसी महा-गठजोड़ में अपनी महत्त्वपूर्ण अदा कर सकेगी। राजस्थान एवं मध्य प्रदेश बड़े राज्य हैं। जहां मध्य प्रदेश में विगत 15 वर्षों से शिवराज चौहान मुख्यमंत्री बने हुए हैं, वहीं राजस्थान में प्रत्येक बार कांग्रेस अथवा भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है। इस बार भी वहां की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अनेक चुनौतियों से परिपूर्ण समय में से गुज़रना पड़ रहा है जिसके कारण विजय प्राप्त कर पाना उनके लिए अत्याधिक कठिन हो गया है। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने अपनी तीन पारियां पूरी कर ली हैं, परन्तु अब मायावती की बहुजन समाज पार्टी एवं अजीत जोगी की छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी के गठबंधन ने रमन सिंह के लिए चुनौती अवश्य पैदा की है। इन राज्यों में अधिकतर मुख्यमंत्रियों की ओर से मतदाताओं को लुभाने के लिए बहुत बड़े-बड़े वायदे किए जा रहे हैं। केन्द्र की योजनाओं उज्ज्वल मुद्रा बैंक लोन, ग्रामीण आवास योजना एवं जन-धन योजना के अन्तर्गत गरीबों के बैंकों में खाते खोलने की बातों को भाजपा ने अपना मुख्य मुद्दा बनाया है। इन पांचों राज्यों के लोकसभा चुनावों में 83 सीटें हैं। विगत लोकसभा में इन राज्यों से कांग्रेस के हिस्से केवल 5 सीटें ही आई थीं। चाहे कांग्रेस ने राफेल, वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.), नोटबंदी, बेरोज़गारी एवं ग्रामीण कृषि संकट आदि को चुनावी मुद्दे बनाया हुआ है तथा ये मुद्दे केन्द्र सरकार के लिए भारी पड़ते भी दिखाई दे रहे हैं, परन्तु इस समय तक भी नरेन्द्र मोदी भाजपा के एक ऐसे बड़े नेता बने हुए हैं, जिनके मुकाबले का कांग्रेस के पास कोई नेता नहीं है। यह देखने वाली बात होगी कि इन चुनावों में नरेन्द्र मोदी का जादू किस सीमा तक चलता है। आगामी दिनों में इन राज्यों में जहां बहुत राजनीतिक हलचल दिखाई देगी, वहीं इन चुनावों से आगामी लोकसभा चुनावों के संबंध में लोगों के रुझान का कुछ न कुछ पता अवश्य चलेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द