मिज़ोरम के चुनाव परिणामों का महत्त्व

विगत दिवस हुये पांच राज्यों के चुनावों में चार राज्यों के परिणाम 3 दिसम्बर को आये थे, जबकि पांचवें राज्य मिज़ोरम के चुनाव परिणाम 4 दिसम्बर को घोषित किये गये। मिज़ोरम उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सात (7) राज्यों में से एक है। इसके साथ ही आठवां सिक्किम को भी ज़ोड़ लिया जाता है। चाहे इन राज्यों की जनसंख्या अधिक नहीं है, परन्तु इन पहाड़ी क्षेत्रों में अनेक कबीलों के बसे होने के कारण इनका महत्त्व अधिक है। इस क्षेत्र में यहां के स्थानीय कबीले तथा लोग अपनी-अपनी पहचान को मज़बूत बनाये रखने के लिए जाने जाते हैं। इन्होंने अपनी स्वतंत्र हस्ती कायम रखने के लिए भी लगातार जद्दोज़हद की है। इसी कारण यहां हथियारबंद तथा अलगाववादी लहरें उठती रही हैं, जो किसी न किसी रूप में अब भी जारी हैं। इन सात राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड तथा त्रिपुरा शामिल हैं। इस बार देश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में विधानसभा के लिए हुये पांच राज्यों के चुनावों में एक उत्तर-पूर्वी राज्य मिज़ोरम भी शामिल है। मिज़ोरम की जनसंख्या लगभग 11 लाख है। इसकी विधानसभा में 40 सदस्य हैं। इस क्षेत्र का बड़ा महत्त्व यह है कि इसके साथ देश की बहुत-सी अन्तर्राष्ट्रीय सीमाएं भी लगती हैं। चीन, म्यांमार, बंगलादेश, नेपाल तथा भूटान की लगभग 5000 किलोमीटर से अधिक सीमाएं इस क्षेत्र के साथ लगती हैं। भारत के साथ यह सिलीगुड़ी की ड्योढ़ी के ज़रिये जुड़ा हुआ है। 
मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा तथा मिज़ोरम राज्य 1972 में अस्तित्व में आये थे। पहले ये केन्द्र शासित प्रदेश ही होते थे। अपनी अलग पहचान बनाये रखने के कारण ज्यादातर यहां की स्थानीय राजनीतिक पार्टियों का ही इस क्षेत्र में दबदबा बना रहा है। इस बार चाहे भाजपा तथा कांग्रेस ने भी यहां के चुनावों में अपनी सक्रियता दिखाई थी परन्तु यहां की क्षेत्रीय पार्टी मिज़ो नैशनल फ्रंट का नई पार्टी ज़ोरम पीपल्ज़ मूवमैंट के साथ मुख्य मुकाबला था। मिज़ो नैशनल फ्रंट पुरानी पार्टी है तथा इस प्रदेश में उसका भारी दबदबा बना रहा है। इस समय भी यह पार्टी सत्तारूढ़ थी परन्तु इसके साथ-साथ ज़ोरम पीपल्ज़ कान्फ्रैंस, ज़ोरम नैशनलिस्ट  पार्टी, ज़ोरम एक्सोडम मूवमैंट, ज़ोरम डीसैंट्रलाइजेशन फ्रंट, ज़ोरम रिफोरमेशन फ्रंट तथा ज़ोरम पीपल्ज़ पार्टी स्थानीय तौर पर इस छोटे-से राज्य में अपना-अपना प्रभाव रखती थीं, परन्तु ज़ोरम पीपल्ज़ मूवमैंट जिसकी स्थापना वर्ष 2017 में हुई थी, ने कुछ ही वर्षों में यहां के लोगों में अपना बड़ा स्थान बना लिया है। इसके प्रमुख लालदुहोमा उच्च पुलिस अधिकारी रहे हैं। एक समय वह पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी भी रहे। उनका राजनीतिक स़फर तो चाहे लम्बा नहीं है परन्तु यह घटनाओं से भरपूर ज़रूर रहा है। कुछ ही समय में उन्होंने मिज़ो लोगों में अपने स्थान बना लिया है।
इस बार हुये दिलचस्प मुकाबले में ज़ोरम पार्टी ने मिज़ो नैशनल फ्रंट जैसी स्थापित पार्टी को भारी शिकस्त देते हुये 27 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि मिज़ो नैशनल फ्रंट को 10 सीटें ही मिल सकी हैं। एक अन्य दिलचस्प बात यह घटित हुई है कि पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की 2 सीटें थीं तथा भाजपा की एक सीट थी, परन्तु इस बार भाजपा को 2 सीटें मिली हैं तथा कांग्रेस को एक सीट ही मिली है। इस राज्य में जिस तरह विगत लम्बी अवधि से चुनावों में दिलचस्पी बनी रही है। उसने यह सिद्ध कर दिया है कि इस उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के ये प्रदेश देश के साथ संगठित रूप में खड़े होने को अधिमान दे रहे हैं। चाहे अनुमानों के हिसाब से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के ये राज्य समूचे देश का 8 प्रतिशत भाग ही हैं तथा सिक्किम सहित इन 8 राज्यों का क्षेत्रफल 2 लाख, 62 हज़ार किलोमीटर से कुछ अधिक है, परन्तु पांच देशों की सीमाएं इस क्षेत्र साथ लगने के कारण इसका महत्त्व और भी बढ़ गया है। खास तौर पर भारत के चीन के साथ सीमा-विवाद में चीन की नज़रें इस क्षेत्र पर केन्द्रित रहती हैं। वह अब भी इस क्षेत्र के एक भाग पर अपना दावा पेश करता रहता है। इस सन्दर्भ में मिज़ोरम के चुनाव भारत के लिए विशेष महत्त्व रखते हैं। इसलिए भी कि अब तक यहां अधिकतर राज्यों में राष्ट्रीय पार्टियां भारी यत्नों के बावजूद अपना स्थान बनाने में सफल नहीं हो सकीं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द