देश में कम नहीं हो रही है गरीबी 


जिस तरह आज़ाद भारत के 72 वर्ष बाद भी देश में गरीबी और बेरोजगारी कम नहीं हो रही है। उसी तरह देश की काफी प्रतिशत जनता को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी ही नहीं है। जो दबंग और दौलतमंद हैं उनके लिए सारे अधिकार हैं और जो गरीब, बेरोजगार और लाचार हैं उन्हें बहुत कुछ पाना है। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि ज्यादातर गरीब , गरीबी में पैदा होते हैं, गरीबी में ही जीते हैं और गरीबी में ही मर जाते हैं। गरीब और अमीर का इतना बड़ा अंतर है हमारे देश में और यह अंतर कब खत्म होगा या कब कम होगा यह कोई नहीं कह सकता है क्योंकि जिनमें समर्था है, जो अमीर हैं वह पूरी तरह गरीबों को भला करने में विश्वास नहीं रखते हैं। अगर हममें समर्था है तो हमें गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों की सहायता करनी चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है ज्यादातर।  अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब फकीर होते जा रहे हैं। इसका मतलब स्पष्ट है कि हमारे देश में दो भारत बसते हैं। आज हर तरफ चापलूसी, ईर्ष्या, लालच आदि का प्रचलन होता जा रहा है। क्योंकि नैतिक शिक्षा और इन्सानियत की कमी हर जगह दिखती है। जो बहुत समर्था से भरे हैं, जिनके पास बहुत दौलत है वह अपने आस-पास के कुछ चापलूस लोगों के बहकावे में आकर गरीबों, गुणों से भरपूर समर्था वाले व्यक्ति विशेष की मदद नहीं करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि जो ज़रूरतमंद है और गुणों से भरपूर हैं उसकी सराहना कम होती है और इसलिए वह तरक्की नहीं कर पाता है। 
—डॉ एम.एल. सिन्हा