ज्ञान की बुनियाद के लिए खतरा बन सकता है चैटजीपीटी


ओंटारियो, 01 फरवरी - इन दिनों इंटरनेट की दुनिया में चैट जेनेरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफॉर्मर यानी चैटजीपीटी को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं। ओपन-एआई कंपनी द्वारा तैयार किए गए इस चैटबॉट से आप जो भी सवाल करते हैं। उसका यह लगभग सटीक उत्तर देता है। हालांकि, अकादमिक और शिक्षा जगत के विशेषज्ञों ने इस बात पर चिंता जताई है। कनाडा के ब्रोक विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर ब्लायन हगार्ट के अनुसार, 'हमें केवल इतनी चिंता नहीं कि चैटजीपीटी का उपयोग कर रहे धोखेबाजों को कैसे पकड़ेंगे? बल्कि सबसे बड़ी चिंता है कि कोई चैटजीपीटी से ली जानकारियों को सच कैसे मान सकता है?' प्रो. ब्लायन के अनुसार, अपना स्रोत बताए बिना इनसे मिले लेख हमारे समाज की नींव कहे जाने वाले अकादमिक जगत, शिक्षण संस्थानों और प्रेस व मीडिया तक में भी उपयोग हो सकते हैं। यह पूरे सूचना तंत्र के लिए खतरा होगा। यही कारण है कि दुनिया के प्रमुख विश्वविद्यालयों, शैक्षिक संस्थाओं ने तो इसे प्रतिबंधित करना शुरू कर दिया है। इनमें फ्रांस का प्रख्यात साइंसेस पो प्रमुख है। कई ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय भी यह कदम उठा चुके हैं।