बिगड़ते हालात

कश्मीर में पुलवामा हमले की घटना को घटित हुए साढ़े चार वर्ष से अधिक समय हो गया है। इस घटना में सुरक्षा बलों के 40 जवान शहीद हो गए थे। बाद में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के भीतर जाकर बालाकोट में हवाई हमला करके कार्रवाई की थी। इसके बाद दोनों देशों के संबंध बेहद बिगड़ गये थे। केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने भी प्रतिक्रिया स्वरूप भारत के साथ हर तरह के संबंध तोड़ने की घोषणा कर दी थी। कश्मीर के मामले पर दोनों देशों में कशमकश आज़ादी के समय से चलती आ रही है। इस मामले पर अब तक दोनों देशों के मध्य चार युद्ध भी हो चुके हैं। पाकिस्तान में लगातार घटित हो रहे नकारात्मक घटनाक्रमों से इसकी हालत बेहद दयनीय हो चुकी है। आर्थिक रूप से यह बुरी तरह टूट चुका है। इस देश में विश्व भर के आतंकवादियों ने अपना जमावड़ा कर लिया है। चाहे यह स्वयं को इस्लामिक देश कहता है परन्तु आज ज्यादातर इस्लामिक देशों ने इस मामले पर उससे दूरी बना ली है। इसका ताज़ा उदाहरण यह है कि विगत दिवस जी-20 की बैठक में भाग लेने भारत की राजधानी नई दिल्ली आये सऊदी अरब के शहज़ादे मोहम्मद-बिन-सलमान ने पाकिस्तान में आतंकवादियों की बात करते हुये यह संकेत दिया था कि उसे अपनी ऐसी नीति में बदलाव लाना ही पड़ेगा।
विगत अवधि में पाकिस्तान में कभी-कभार हुये चुनावों में बनी सरकारों ने अक्सर भारत के साथ किसी न ढंग से मेल-मिलाप की बात ज़रूर की थी परन्तु वहां की बेहद शक्तिशाली सेना का ऐसा एजेंडा नहीं रहा। इसका उदाहरण इसके तानाशाह शासक जनरल परवेज़ मुशर्रफ का भी दिया जा सकता है, जिन्होंने सैनिक जरनैल होते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शवाज़ शऱीफ द्वारा भारत की तरफ बढ़ाये दोस्ती के हाथ की चिन्ता न करते हुये अपने तौर पर कारगिल के भारतीय क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया तथा इस तरह दोनों देशों के मध्य कारगिल का युद्ध शुरू हो गया था। यह अक्सर देखा गया है कि सेना ने वहां निर्वाचित सरकारों को अपने ढंग-तरीके से ही चलाया है। यही कारण है कि आज पाकिस्तान विश्व से अलग-थलग हुआ दिखाई देता है। अपनी आर्थिक हालत के दृष्टिगत वह सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देशों तथा चीन की सहायता से ही स्वयं को स्थिर करने का यत्न करता रहा है। आज भी वहां राजनीतिक बिखराव देखा जा सकता है। इस कारण यह देश दिशाहीन हुआ दिखाई देता है। सेना ने अपनी अपनाई नीति पर चलते हुये कभी भी सीमा पर शांति नहीं होने दी। इसके लिए उसने वहां की सरज़मीन से हर तरह के आतंकवाद को भारी प्रशिक्षण तथा आधुनिक हथियार देकर भारत को रक्ति-रंजित करने के यत्न जारी रखे हैं।
इसी क्रम में विगत दिवस सुरक्षा बलों के तीन उच्च अधिकारियों के अनंतनाग में शहीद होने का समाचार प्राप्त हुआ है, जिसने दोनों देशों में माहौल को एक बार पुन: तनावपूर्ण बना दिया है। चाहे इस समय जम्मू-कश्मीर में बड़ी सीमा तक शांति तथा स्थिरता आई दिखाई दे रही है परन्तु ऐसी स्थिति  को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को लगातार प्रोत्साहन दे रहा है। उक्त जवानों को शहीद करने की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान से अपने आतंकवादी संगठन चला रहे संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली है। अपनी किसी भी नीति से यदि पाकिस्तान की सेना अपने ऐसे एजेंडे को जारी रखती है तो उससे पाकिस्तान के और कमज़ोर होने की सम्भावनाएं बनेंगी। ऐसी स्थिति में वहां के पहले ही आपदा में फंसे करोड़ों लोगों पर और भी बड़ी मुसीबतें पड़ जाएंगी, जिससे उनका जीवन बेहद दयनीय बन जाएगा। ऐसे हालात जहां भारत के लिए और भी ़खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं, वहीं विश्व भर के देशों के लिए भी ये बड़ी चुनौती पैदा कर सकते हैं। आज अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर इस मामले संबंधी बेहद गम्भीरता के साथ सोचने की ज़रूरत होगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द