एटम की खोज किसने की ?

‘दीदी, क्या किसी भी चीज़ में सबसे छोटा संभावित पार्टिकल एटम है?’
‘नहीं। एटम के अंदर भी अन्य छोटे-छोटे पार्टिकल हैं, जैसे इलेक्ट्रान, प्रोटोन आदि।’
‘फिर यह धारणा कैसे बनी कि एटम सबसे छोटा पार्टिकल है।’
‘यह विचार कि एटम सबसे छोटा पार्टिकल है, प्राचीन यूनान के ज़माने से चला आ रहा है। लेकिन आज हम जानते हैं कि यह बात सही नहीं है क्योंकि एटम के अंदर भी अति सूक्ष्म पार्टिकल हैं।’
‘अच्छा।’
‘..और हम यह भी जानते हैं कि एटम के बारे में अब भी बहुत सी चीज़ें हैं जिनके बारे में हम कुछ जानते नहीं हैं।’
‘वैसे एटम की खोज किसने की थी?’
‘यह बताना तो बहुत कठिन है; क्योंकि प्राचीन यूनान में भी, जैसा कि मैंने बताया, एटम का ज़िक्र मिलता है। लेकिन वैज्ञानिक एटॉमिक थ्योरी के बारे में बताया जा सकता है।’
‘क्या?’
‘यही कि इसे विकसित करने वाले पहले व्यक्ति जॉन डाल्टन थे।’
‘वह कौन थे?’
‘वह इंग्लिश केमिस्ट थे, जो 19वीं शताब्दी के शुरू में रहते थे। उन्होंने पाया कि गैस, ठोस व तरल पदार्थ अविश्वसनीय सूक्ष्म पार्टिकल्स से बने होते हैं, जिन्हें उन्होंने भी प्राचीन यूनानियों की तरह एटम कहा। उन्होंने उन एलिमेंटस के एटम्स का रिलेटिव वेट निकाला, जिनसे वह परिचित थे।’
‘फिर यह थ्योरी आगे कैसे बढ़ी?’
‘’19वीं शताब्दी के अंत में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने ‘सोलर-सिस्टम’ एटम का विचार विकसित किया। एटम में होता है केन्द्र, भारी नाभिक, जो बिजली का पॉजिटिव चार्ज कैरी करता है और उसे घेरे होते हैं नेगेटिवली चार्जड इलेक्ट्रान। इलेक्ट्रान नाभिक के गिर्द ऐसे घूमते हैं जैसे ग्रह सूरज के गिर्द।’
‘तो यह एटम की नई थ्योरी है।’
‘नहीं। बाद में नील्स बोहर ने एटम की एक नई थ्योरी विकसित की। उन्होंने दिखाया कि इलेक्ट्रान सिर्फ निश्चित ऑर्बिट या एनर्जी स्तरों में ही घूम सकते हैं। जब वह एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाते हैं तो ऊर्जा देते हैं। लेकिन नये प्रयोग व नई जानकारी एटम का स्ट्रक्चर निरंतर बदल रही हैं।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर