गर्मियों में अमृत है मट्ठा या छाछ

सदियों से हमारे देश के ग्रामीण इलाकों के खानपान का सबसे अहम हिस्सा दूध, दही और छाछ रहे हैं। लेकिन इन दिनों जिस तरह की आग उगलती गरमी पड़ रही है, उससे दही और छाछ की खपत के सारे रिकॉर्ड शहरों में टूट रहे हैं। ऐसा हो भी क्यों न? छाछ इन तपते दिनों में दिल से लेकर दिमाग तक को तृप्त जो कर रहा है। यूं तो हमेशा से देश में दूध दही और मट्ठा के शौकीन रहे हैं; लेकिन इधर अगर पूरे देश में बहुत तेजी से छाछ या मत्ठा की मांग बहुत बढ़ गयी है तो इसका कारण तेज़ गर्मी है। मट्ठे के स्वाद और स्वास्थ्य को इससे होने वाले लाभ के कारण आज सभी दुग्ध-उत्पादक कंपनियां पैकेटबंद अलग-अलग स्वाद की छाछ बाज़ार में बेच रही हैं। इन्हें खरीदकर पीने वाले ग्राहकों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। 
दरसल दही से बनने वाली छाछ के गुण और बढ़ जाते हैं, जब इसे दही से मट्ठा बना दिया जाता है। मट्ठे में मौजूद लैक्टिव नामक जीवाणु आंतों में क्रियाशील हानिकारक कीटाणुओं का जड़ से नाश कर देता है, यह हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, गर्मी के दिनों में तो यह एक औषधि का काम करता है। आयुर्वेद में तो कहा भी गया है कि दोपहर के भोजन के अंत में मट्ठा पीना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
और भी हैं खासियतें 
मट्ठा, दूध और दही दोनों की अपेक्षा हल्का और पाचक होता है। अगर इसे गर्मी में पिया जाये तो यह शरीर में आलस्य पैदा नहीं करता और इससे पेट में भारीपन नहीं होता। कमजोर पाचनशक्ति वालों के लिए भी यह उपयोगी होता है। इसमें लैक्टिक एसिड प्रधान होने के कारण यह आंतों में होने वाली संड़ाध को रोकता है। यह भोजन को जल्दी पचाने में भी सहायक होता है। यही वजह है कि चिकित्सक पेट के रोगों में इसे पीने की सलाह देते हैं। इससे कब्ज़ और दस्त दोनों ही सही हो जाते हैं।
कैसे बनता है मट्ठा
दूध को उबालकर उसे ठंडा करने के बाद उसकी मलाई निकाली जाती है और दही जमायी जाती है। दही को मथकर उसका मक्खन निकाला जाता है और उसे मट्ठा कहा जाता है। मट्ठा बनाते समय उसमें अगर थोड़ा-थोड़ा पानी डाला जाये तो धीरे-धीरे मक्खन ऊपर आ जाता है, मक्खन को अलग निकालकर रख दिया जाता है। कुछ लोग मट्ठे में भी मलाई मिलाकर उसका स्वाद लेते हैं। हृदय रोगियों के लिए मट्ठा विशेषतौर पर लाभदायक होता है। क्योंकि इसमें चिकनाई कम होती है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर, दमा, गठिया आदि बीमारियां मट्ठे के सेवन से पास नहीं फटकती हैं।
लेकिन ऐसा हो मट्ठा
मट्ठा ऐसा होना चाहिए जिसमें ऊपर घी तैरता हुआ दिखायी न दे। मट्ठे का सेवन जहां तक हो सके सुबह नाश्ते के समय और दोपहर के भोजन में ही करना चाहिए। मट्ठा ताजा पीएं। मट्ठे को कई घंटों तक किसी धातु के बर्तन में रखकर नहीं पीना चाहिए। इसे मिट्टी के या कांच के बर्तन में पीना चाहिए।
८ ठंड लगने की स्थिति में या सर्दी के मौसम में अगर शरीर में कफ बन रहा हो, तो मट्ठे से दूर रहना चाहिए। 
८ बारिश के मौसम में इसे ज्यादा नहीं पीना चाहिए।
८ ज्यादा खट्टा मट्ठा शरीर को फायदा पहुंचाने की बजाय नुकसान पहुंचा सकता है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर