हरियाणा के चुनावों का महत्त्व

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का कार्य पूर्ण हो गया है। इस बार कई पक्षों से यहां के चुनाव अहम कहे जा सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी 10 वर्ष तक यहां शासन चलाती रही है। इसकी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ही रही है। पहली बार वर्ष 2014 में भाजपा को प्रदेश की 90 में से 47 सीटें मिली थीं। इस तरह यह अपने दम पर सरकार चलाती रही थी। दूसरी पारी में वर्ष 2019 को हुये चुनावों में 68 प्रतिशत मतदान हुआ था। तब भाजपा को 40 सीटें तथा कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं। तब भाजपा अकेले अपने दम पर सरकार नहीं बना सकी। इसके लिए उसके जननायक जनता पार्टी की सहायता ली थी। चौधरी देवी लाल के पौत्र दुष्यन्त चौटाला इस पार्टी के नेता थे, जिन्हें 10 सीटें मिली थीं। दूसरी पारी में इन दोनों ही पार्टियों ने मिल कर सरकार चलाई तथा भाजपा के पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर दूसरी बार भी मुख्यमंत्री बने रहे, परन्तु इस मौजूदा वर्ष के शुरू में इन दोनों पार्टियों का आपसी समझौता टूट गया। भाजपा ने निर्दलीय उम्मीदवारों एवं कुछ छोटी पार्टियों को साथ मिला कर सरकार स्थापित किये रखी परन्तु मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के स्थान पर भाजपा के ही नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। इस समय में भाजपा का प्रभाव कम होता दिखाई दिया तथा सरकार विरोधी भावनाएं भारी होती प्रतीत होने लगीं। इन चुनावों में भी जो मुद्दे अधिक उभर कर सामने आये, उनमें किसान आन्दोलन, सेना की अग्निवीर योजना के साथ-साथ बेरोज़गारी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि शामिल थे। पिछली बार के मुकाबले इस बार 65 प्रतिशत मतदान हुआ दर्ज किया गया है।
नि:संदेह कांग्रेस ने इस बार सत्ता में वापसी के लिए पूरा ज़ोर लगाया तथा वह 10 वर्षों के बाद पुन:  प्रशासन चलाने की उम्मीद लगाए बैठी है। दूसरी तरफ भाजपा भी तीसरी बार प्रशासन चलाने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन चुनावों में अपना पूरा ज़ोर लगाया है। इन चुनावों में भाजपा के मुख्य चेहरे नायब सिंह सैनी, कांग्रेस के भूपिन्द्र सिंह हुड्डा के साथ-साथ पहलवान विनेश फोगाट एवं जननायक जनता पार्टी के दुष्यन्त चौटाला उभर कर सामने आये हैं। कांग्रेस ने एक सीट मार्क्सी पार्टी के लिए छोड़ी थी तथा भाजपा ने सिरसा की एक सीट हरियाणा लोक हित पार्टी के प्रमुख गोपाल कांडा के लिए छोड़ी थी। इसके साथ-साथ चौधरी देवी लाल के परिवार से संबंधित दो पार्टियां ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इंडियन नैशनल लोकदल पार्टी एवं जननायक जनता पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी तथा आज़ाद समाज पार्टी के साथ मिल कर ये चुनाव लड़े हैं।
कभी चौधरी देवी लाल के साथ बंसी लाल एवं भजन लाल का हरियाणा की राजनीति में अपना-अपना भारी प्रभाव था परन्तु आज यह प्रभाव बड़ी सीमा तक गुम हो गया दिखाई देता है। चाहे आज भी कई महत्त्वपूर्ण राजनीतिक परिवारों से संबंधित उम्मीदवार ज़रूर मैदान में हैं परन्तु दोनों ही प्रमुख पार्टियों में परिवारवाद भारी दिखाई नहीं दे रहा। पिछले दशकों में हरियाणा ने प्रत्येक पक्ष से अन्य प्रदेशों के मुकाबले में अपनी बेहतर कारगुज़ारी दिखाई एवं गिनाई है। अब नई बनने वाली सरकार के लिए विगत लम्बी अवधि की कारगुज़ारी एक अच्छा उदाहरण होगी। इसके साथ ही नई सरकार से पहले की भांति विकास के मार्ग पर नींव-पत्थर स्थापित करने की उम्मीद भी की जाएगी। चाहे चुनाव सर्वेक्षण कांग्रेस को आगे दिखा रहे हैं परन्तु 8 अक्तूबर को आने वाले परिणामों से ही पूरी तरह तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द