कैसे करें लक्ष्मी पूजन
दिवाली पूजन के वैसे तो सभी वर्गों/समाजों के अपने-अपने चलन हैं, लेकिन पूजा की विधियों के बारे में जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। एक सामान्य विधि-विधान के अनुसार दीवाली पूजन करते समय आचमन और प्राणायाम करके दायें हाथ में जल, कुमकुम, अक्षत तथा पुष्प लेकर संकल्प करें, ‘आज परम मंगल को देने वाले कार्तिक मास की अमावस्या को मैं (अपना नाम लें)’ उपनाम (यदि कोई हो, तो बोलें), गोत्र (अपना गोत्र बोलें) चिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए नीतिपूर्वक अर्थोपार्जन करते हुए सभी कष्टों को दूर करने, अच्छी अभिलाषा की पूर्ति के लिए तथा आयुष्य-आरोग्य की वृद्धि के साथ राज्य, व्यापार, उद्योग आदि में लाभ मिले, इसलिए गणपति, नवग्रह, महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती का श्रद्धाभाव से पूजन करता हूं।’
इसके बाद हाथ में ली हुई सामग्री धरती पर छोड़ दें, तिलक लगाएं तथा कलावा बांधें। गणपति भगवान का पूजन करें। उन्हें स्नान करवाकर जनेऊ, वस्त्र, कलावा, कुमकुम, केसर, अक्षत, पुष्प, गुलाल, अबीर चढ़ाकर गुड़ तथा लड्डू का नैवेद्य अर्पित करें। फिर गणपति देव का ध्यान और उनकी आरती करें। महालक्ष्मी पूजन के लिए चांदी के सिक्के को थाली में रखें। आवाहन के लिए अक्षत अर्पण करें। जल से तीन बार अर्घ्य दें, स्नान कराएं, फिर दूध, दही, घी, शक्कर तथा शहद से स्नान कराकर पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएं। कलावा, केसर, कुमकुम, अक्षत, पुष्पमाला, गुलाल, अबीर, मेंहदी, हल्दी, कमल गट्टे, फल तथा मिष्ठान्न अर्पण करके 108 बार एक-एक नाम बोल कर अक्षत चढ़ायें।
इसके बाद मिष्ठान्न प्रसाद स्वरूप वितरण करके पान, सुपारी, इलाईची, फल चढ़ाएं और प्रार्थना करें।
अपने घर, धर्मस्थल आदि के कलम, हथियार, बहीखाते, डायरी आदि नित्य प्राय: प्रयोग होने वाले साधनों में कलावा बांधें तथा उन पर पुष्प, अक्षत तथा कुमकुम अर्पण करके कहें, ‘ऊँ महाकालिये नम:।’ अंत में आरती पुष्पांजलि करके अपने परिजनों को प्रणाम करें, उनका आशीर्वाद लें। इस चांदी के सिक्के को लाल कपड़े में लपेट कर अपने पूजा स्थान में रख दें।
(सुमन सागर)