किस्सा ब्लैक होल का

यही नहीं ब्रह्मांड में जन्म और विकास के बचपन के दौरान सूक्ष्म ब्लैक होलें भी बार-बार पैदा हुए। परन्तु वह तुरंत ही लुप्त हो गईं। आपको स्मरण होगा कि जब सरन ने लार्ज हैडरन कोलाइडर में गाड पार्टीकल की खोज के लिए तजुर्बे शुरू हुए तो वैज्ञानिकों ने कहा था कि उच्च ऊर्जा कणों की अति ऊंची गतियों पर टक्करों के समय माइक्रो ब्लैक होल्ज़ पैदा हो सकते थे। डरपोक व्यक्तियों ने तब शोर मचा दिया कि जैनेवा में ब्लैक होल पैदा हो गया तो देखते-देखते वह पूरा यूरोप ही नहीं, सभी महाद्वीप हड़प जाएगा। बड़ी मुश्किल से उनको समझ आई कि ऐसा नहीं हो सकता। पहली बात तो यह कि माइक्रो ब्लैक होल्ज़ शायद ही पैदा हो। दूसरी बात कि अगर कोई पैदा हो भी गया तो उसकी ऊर्जा मच्छर जितनी भी नहीं होगी। तीसरी बात यह कि उसका जीवन काल बहुत छोटा होगा। एक सैकेंड का कितना हिस्सा। एक के आगे पांच शून्य लगा कर पढ़ें। सैकेंड के इतने छोटे हिस्से में मच्छर जितनी ताकत वाला ब्लैक होल किसी का क्या बिगाड़ लेगा। तो काफी लोग चुप हो गए। वास्तव में अधिक लोग यह समझते हैं कि ब्लैक होल एक बार पैदा हो गई तो मरती नहीं। वह तो ग्रह सूर्य-पृथ्वी खा-खा बढ़ती ही जाती है। परन्तु अगर खाने को कुछ न मिले तो क्या होगा। चाहे खरबों-खरब वर्ष ही लगें वह खत्म हो ही जाएगी। जो उपजियो सो बिनज है परओ आज की काल। सूक्ष्म और माइक्रो ब्लैक होल तो आंख झपकते मर जाते हैं। स्टिफन हाकिंग और पनरोजे ने ब्लैक होलों की थरमोडाइनैमिक्स पर खोज की। एंटीराफी और ब्लैक बॉडी के सिद्धांतों की अंतर-दृष्टि का प्रयोग करके हॉकिंग ने कहा कि, यह कहना पूरी तरह सही नहीं है कि ब्लैक होल में कुछ भी कभी भी बाहर नहीं निकलता। इनमें से हॉकिंग रेडिएशन निकलती है, जिसका तापमान ब्लैक होल के भार का विपरीत अनुपात है। हमारा सूर्य इन भारी ब्लैक होल में निकलती हॉकिंग रेडिएशन का तापमान 62 नैनो कैलविन होगा। नैनो कैलविन का मतलब है कैलविन का एक अरब हिस्सा। स्मरण रहे कि बिग बैंग के समय पैदा हुई रेडिएशन अब बहुत मद्धम होकर 2.7 के दर्जे पर कैलविन की कास्मिक माइक्रोवेव बैग्राऊंड रेडिएशन के तौर पर पूरे ब्रह्मांड में सभी और फैली हुई है। इतने तापमान वाली रेडिएशन के लिए कितना बड़ा ब्लैक होल होगा। सिर्फ 1/10 मिली मीटर व्यास की ओर यह हमारे चांद को इतने व्यास का किणका बना कर बनाएगी। माइक्रो ब्लैक होलों में निश्चय ही उच्च तापमान की रेडिएशन छोड़ कर आंख झपकते ही खत्म हो जाएगी। आंख झपकना भी दूर की बात है उसके भी लाख/करोड़ हिस्से में ही है। उदाहरण के लिए आपकी कार जितना भारी ब्लैक होल का व्यास होगी। 10 की ताकत मनफी चौथी मीटर और यह एक सैकेंड के अरब हिस्से में ही उड़ जाएगी रेडिएशन बन कर। आने वाले समय के लिए इसकी चमक हमारे सूर्य से 200 गुणा होगी। बड़े ब्लैक होल की उम्र बड़ी होगी। हमारे सूर्य में जितने भार वाले ब्लैक होल को अगर हॉकिंग रेडिएशन के साथ मरने के लिए छोड़ दिया जाए तो भला कितने वर्षों के बाद यह मरेंगे। एक आगे 64 शून्य लगा लें। गिन लें कितने वर्ष बनते हैं। भला 100 अरब सूरजों जैसा बड़ा सुपर मैसिव ब्लैक होल को मारने के लिए कितने वर्ष लगेंगे। 2 के आगे 100 शून्य लगा लें और बैठ कर करें हिसाब। जितना समय हम अन्य बातों पर लगाते हैं उतना ब्लैक होल पर भी लगाएं। मैं कभी-कभी सोचता हूं कि ब्लैक  होल को अंधे कुएं के साथ उपमा देने के साथ पूरी बात नहीं बनती। यह कोई कुआं या छेद वाली शह नहीं। यह तो बहुत बड़ी मात्रा में पदार्थ का पहाड़ है। जिसका अपना गुरुत्वाकर्षण इतना बड़ा है कि इसके इलैक्ट्रोन अपने एटम की नाभि में समाने के लिए मजबूर है। सभी एटम एक बिन्दू में समाने के लिए जल्दी में हैं। क्या होता है इनका? पूरा पदार्थ पूरी स्पेस 1 प्वाइंट में इकट्ठी हो जाती है। इसके वैज्ञानिक रैगूरेलटी कहते हैं। इसके पदार्थ और स्पेस की घनत्व आनंत होती है। इस नुस्खे के आस-पास रहस्यों का घेरा है। यह घेरा कुआं है या पहाड़। पता नहीं। यहां जो भी जाता है वापिस नहीं आता। ब्लैक होल शब्द से पहले डार्क स्टार और रहस्यमयी इलैक्ट्रोन डीजैनरेट पदार्थ और सम्भावित  सिगूंलेरिटी। सिंगूलेरिटी पदार्थों के साथ अंतरिक्ष में पदार्थ के इस विचित्र व्यवहार की चर्चा होती रही। रोशनी भी यहां वापिस नहीं जाती। इसके लिए इसके अस्तित्व के संकेत इस बात से मिलते हैं कि इसके आस-पास का पूरा पदार्थ किसी रहस्मय शक्तिशाली आकर्षण के साथ एक नुस्खे की ओर भेज कर उसी में समा जाता है। एक ओर ही नहीं, सभी ओर ही।  ब्लैक होल शब्द/संकल्प उभरने के बाद स्टीफन हॉकिंग और पैनरोज ने इस क्षेत्र के लिए काफी काम किया। व्हीलर ने भी सैद्धांतक और व्यावहारिक किया। सभी ने मिल-जुल कर ब्लैक होल की बनावट की कल्पना करने के हालात बनाए। आज हम यह कह सकते हैं कि ब्लैक होल के मूल/केन्द्र में एक नुस्खा है। एक सिंगूलेरिटी जहां हमारे भौतिक विज्ञान के सभी नियम-जवाब आ जाते हैं। उसके आस-पास दूर तक इनर इवेंट होराइजन है, जिसमें पड़ा पूरा पदार्थ हमारे लिए अदृश्य हो जाता है। इससे बाहर वह बाहरली चार-दीवारी में आऊटर इवेंट होराइजन है, जहां रोशनी वापिस नहीं आ सकती। यानि यहां नोटिस बोर्ड है। सावधान आगे जाना मना है। आगे केवल मौत ही है। इस आऊटर सरहद के ऊपर प्रकृति की रोशनी के चमकते घेरे होंगे। इससे आगे अंधेरा है। वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की तस्वीर की ऐसी ही कल्पना की। अरबों-खरबों मील दूर की ब्लैक होलों की तस्वीर के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के टैलीस्कोपों के साथ कई यत्न किए गए, लेकिन बात नहीं बनी। अगर बात बनी है तो यही विगत अप्रैल, 2019 में।