सच्ची श्रद्धांजलि

गत समय के दौरान अधिक चर्चा में रहे करतारपुर गलियारे संबंधी दोनों ही तरफ से गतिविधियां तेज हो गई हैं। इसके लिए हम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की प्रशंसा करते हैं कि उन्होंने इस उत्तम कार्य के संबंध में अधिक उत्साह और सक्रियता दिखाई है। चाहे पहले भी और अब भी दोनों देशों में बेहद तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। स्थिति विस्फोटक है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस संबंध में बड़ी चर्चा हो रही है। आगामी समय में बड़ी हिंसक कार्रवाईयां होने के सन्देह भी व्यक्त किये जा रहे हैं। दोनों देशों की सीमाओं पर नित्य दिन गोलाबारी होने के समाचार मिल रहे हैं। कश्मीर के हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। घाटी में आम जीवन भी बड़ी सीमा तक ठप्प ही पड़ा है। परन्तु इस सब कुछ के बावजूद पहले ऐलान किये गये करतारपुर गलियारे का कार्य लगातार जारी है। ज्यों-ज्यों दोनों देशों के संबंधों में तनाव आता गया, त्यों-त्यों इस बात की चिंता बढ़ रही थी कि इसका असर करतारपुर गलियारे पर पड़ेगा। परन्तु पाकिस्तान की तरफ से निर्धारित योजना के अनुसार यह कार्य निरन्तर जारी रहा। 28 दिसम्बर को करतारपुर में निर्माण शुरू करवाया गया था। प्राप्त समाचारों के अनुसार उधर अब तक अधिकतर कार्य मुकम्मल कर लिया गया है। रावी दरिया पर पुल का निर्माण करना, दर्शनी डियोढ़ियां बनाना, ज़ीरों लाइन से गुरुद्वारा साहिब तक सड़क का निर्माण, इमीग्रेशन सैंटर, यात्री कक्ष, लंगर हाल, दीवान अस्थान, अजायब घर और लाइब्रेरी के कार्य लगभग मुकम्मल हो चुके हैं। भारत से हर रोज़ पांच हज़ार श्रद्धालुओं के गुरुद्वारा साहिब के दर्शन के लिए प्रबंध किये जा चुके हैं। भारत की तरफ से डेरा बाबा नानक से ज़ीरों लाइन तक सड़क का निर्माण, इमीग्रेशन सैंटर, टर्मिनल आदि के निर्माण के लिए भी कार्य जारी है। इसके साथ-साथ गुरु नानक देव जी के 550 वर्षीय प्रकाश पर्व को मनाने के लिए सुल्तानपुर लोधी, जहां गुरु साहिब ने काफी वर्ष बिताये थे, में भी 5 से 15 नवम्बर तक किये जाने वाले समारोहों संबंधी तैयारियां की जा रही हैं। हम यह बात बहुत अफसोस से लिख रहे हैं कि इन समारोहों के लिए अब तक सरकार और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में कोई बेहतर तालमेल नहीं बनाया जा सका। इस संबंध में बड़े स्तर पर बयानबाज़ी अवश्य होती रही है। कुछ मंत्रियों और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधिकारियों की बैठकें भी हुईं, परन्तु गम्भीर और समझदार सोच वाले प्रयासों की कमी से आपसी तालमेल अभी भी आधा-अधूरा ही प्रतीत होता है। इस मामले पर छिड़ा विवाद भी दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारी यह इच्छा है कि विशाल हृदय और अच्छी भावनाओं को मुख्य रख कर महान गुरु के समारोहों को साझे रूप में मनाया जाना चाहिए। पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और कुछ अकाली नेताओं द्वारा अलग तौर पर राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री को समाराह पर पहुंचने के निमंत्रण दिये गये। अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 12 नवम्बर को सुल्तानपुर लोधी में किये जा रहे समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। मुख्यमंत्री ने स्वयं भी यह ऐलान किया था कि वह पाकिस्तान की ओर से ऐलान किये गये 9 नवम्बर को उद्घाटन के दिन भारत से श्रद्धालुओं के जाने वाले पहले जत्थे का नेतृत्व करेंगे। इसके लिए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को भी निमंत्रण दिया है। गुरु नानक देव जी के 550वें ऐतिहासिक पर्व को श्रद्धा से मनाने के लिए दुनिया भर के श्रद्धालुओं में बड़ा उत्साह दिखाई दे रहा है। गुरु साहिब के उपदेशों के अनुसार इसको नम्रता, सम्मान और शांति से ही मनाया जाना चाहिए। ताकि इन समारोहों से उत्साह लेकर समाज एक बार फिर स्वयं को नया निरोल और हर पक्ष से स्वस्थ महसूस कर सके। यही उस महान आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द