मंदी के कारण पावरकाम भी खुद मंडी से खरीदने लगा बिजली

जालन्धर, 17 नवम्बर (शिव शर्मा) : देश भर में आई मंदी का असर पावरकाम पर भी पड़ा है क्योंकि शेष राज्यों की तरह पंजाब में भी 10 से 12 फीसदी बिजली की मांग घट गई है। उपभोक्ताओं का ज्यादा नुक्सान न हो व इस मंदी के दौर में पावरकाम को आप बिजली मंडी में से इस समय सस्ती बिजली की खरीद करनी पड़ रही है ताकि उसके खर्चे में ज्यादा वृद्धि न हो सके। देश में भारी मंदी के कारण ही असर हुआ था कि इस समय देश में 70 हज़ार मैगावाट बिजली उत्पादन करने वाले थर्मल प्लांट बंद पड़े हैं। पंजाब में भी इसका असर हुआ कि पावरकाम के पास इस समय उद्योग क्षेत्र से ज्यादा बिजली की मांग नहीं बढ़ी है। पावरकाम को पास की कीमत ही 3.60 रुपए प्रति यूनिट के लगभग देनी पड़ी है जबकि बिजली मंडी से उसको इन दिनों में दिन समय ही 3 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिल रही है। पावरकाम के सूत्रों का कहना है कि इस तरह से रोज़ाना 100 से 150 मैगावाट की बिजली की खरीद करके ही बचत की जा रही है। पावरकाम के पास इस समय दिन समय 5200 से लेकर 5300 मैगावाट के लगभग बिजली की मांग है जबकि रात को बिजली की मांग 4000 मैगावाट तक पहुंच जाती है। पावरकाम से इस समय दूसरा कोई राज्य बिजली की खरीद करने वाला नहीं है। सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश ने बिजली की खरीद के टैंडर मांगे हैं व इस तरह और भी बिजली की खरीद के टैंडर आए हैं। सूत्रों का कहना है कि चाहे यह टैंडर छोटे हैं, परन्तु इन टैंडरों को भर कर अपनी अतिरिक्त बिजली की खपत की जाएगी। पावरकाम के पास इस समय बिजली की ज्यादा मांग न होने के कारण रोज़ाना 1100 मैगावाट दूसरे राज्यों से बैंकिंग तहत जमा करवाई जा रही है। पावरकाम दूसरे राज्यों  से जो 1100 मैगावाट बिजली पहाड़ी राज्यों में जमा करवा रहा है, गर्मियों में वह आप प्रयोग के लिए इन पहाड़ी राज्यों से वापस ले लेगा। सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर बिजली उद्योग क्षेत्र में लगती थी व पावरकाम का कहना है कि वह पहले ही औद्योगिक क्षेत्र को सवा रुपए प्रति यूनिट बिजली दे रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में तो बिजली की मांग में वृद्धि नहीं हुई है। बल्कि घरेलू बिजली में 70 से 80 मैगावाट बिजली बनने से बिजली की मांग में वृद्धि नहीं हुई है। मंदी के दौर में पावरकाम को भी मौजूदा आर्थिक हालातों का सामना करना कठिन हो गया है। पावरकाम से कुछ समय पहले का 1500 करोड़ का भार पड़ा है, उससे पावरकाम को काफी बड़ा धक्का लगा है, क्योंकि वह पिछले दो से तीन वर्षों में कुछ बिजली खर्चे रोकने में सफल रहा है। मंदी के इस दौर में 1500 करोड़ का पावरकाम पर भार पड़ा है बल्कि अभी तक 4700 करोड़ की सब्सिडी की राशि न मिलने के कारण भी पावरकाम को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पावरकाम को इन  चुनौतियों का सामना बिजली चोरों से भी करना पड़ रहा है। एक अंदाज़े के अनुसार राज्य में 500 करोड़ से ज्यादा की वार्षिक बिजली होने की सूचनाएं हैं। बिजली चोरी करवाने वाले मीटरों को धीरे करवाने वाले गिरोह भी काबू किये हैं। पावरकाम के अनुसार बिजली चोरी पर ही नुकेल डाली जाए, ताकि उसको कुछ आर्थिक नुक्सान होने से बचाव हो सकता है।