रंगों बारे रोचक जानकारी

जब जगमगाते कांच के फानूस या विशेष कटाई वाले किसी नग को देखते हैं तो उसमें कई रंग दिखाई देते हैं, यद्यपि उन पर पड़ता हुआ प्रकाश सफेद ही दिखाई देता है। अर्थात् विशेष रूप से कटे हुए कांच या पानी की बूंद पर सफेद प्रकाश अनेक रंगों में घिंतरा जाता है। इन विभिन्न इंद्र धनुषी रंगों को प्रकाश वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) कहते हैं। सर आइजक न्यूटन 17वीं शताब्दी में हुए। सबसे पहले उन्होंने ही यह सिद्ध किया कि जब सफेद प्रकाश को त्रिकोणीय पारदर्शी (प्रिज्म) से गुजारा जाता है तो वह विभिन्न रंगों में छितरा जाता है। न्यूटन ने अपने एक कमरे के सब द्वार बंद करके उसमें अंधकार कर लिया। फिर उसने एक द्वार में बहुत पतला-सा छिद्र करके सूर्य के प्रकाश को एक प्रिज्म में से गुजारा तो पटल पर लाल, नारंगी, पीला, हरा नीला, जामुनी और बैंगनी रंग दिखाई दिए। उन्होंने प्रकाश के रंगों के संबंध में दो महत्त्वपूर्ण बातों का पता लगाया। पहली यह कि सफेद प्रकाश में विभाजित किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार का प्रकाश प्रयोग करने में विभिन्न वर्णक्रम प्राप्त होते हैं। यदि आप सामान्य बिजली और सड़क के सोडियम के प्रकाश को देखें तो आप को यह अंतर स्पष्ट हो जाएगा।
सोडियम का प्रकाश
सोडियम का प्रकाश विभिन्न रंगों में नहीं छितराएगा क्योंकि वह प्राय: पीला होता है। न्यूटन ने दूसरी बात का पता लगाया कि सफेद रंग का प्रकाश अनेक रंगों का सम्मिश्रण है। इसका परीक्षण आप इस प्रकार कर सकते हैं। एक गोल कागज़ की चकती पर विभिन्न रंगों को वर्णन क्रम के अनुसार अर्थात् अनुरूप पोतें। उसके बीच में एक कील लगाकर घुमाएं तो वह सारे रंग मिलकर भूरापन लिए हुए सफेद से दिखाई देंगे। इसका अर्थ यही है कि जब सफेद प्रकाश को देखें तो समझें कि उसमें सभी रंगों का मिश्रण है। हमारी आंख उन विभिन्न रंगों को तब तक नहीं पहचान सकती जब तक उन्हें पृथक करने वाली कोई वस्तु प्रयोग में न लाई जाए।

-राम प्रकाश शर्मा