संगीत का मानव जीवन में अहम स्थान : डा. हमदर्द

अमृतसर, 17 फरवरी  ( राजेश कुमार शर्मा/गगनदीप शर्मा  ) :  संगीत का मानव जीवन में अहम स्थान है। ‘संगीत हमेशा ही मेरे साथ जुड़ा रहा है और बचपन से इसके साथ बना रिश्ता आज भी उसी तरह बरकरार है।’ इस बात का प्रकटावा ‘अजीत प्रकाशन समूह’ के मुख्य सम्पादक पदम भूषण डॉ. बरजिन्दर सिंह हमदर्द द्वारा मुहम्मद बख्श व सुलतान बाहू के कलामों पर आधारित अपनी 16वीं एलबम ‘माण ना कीजै’ के पंजाब नाट्यशाला अमृतसर में प्रमुख राजनीतिक, समाजसेवी व अन्य शख्सियतों की मौजूदगी में हुए रिलीज़ समारोह दौरान किया। डॉ. बरजिन्दर सिंह हमदर्द की 16वीं एलबम ‘माण ना कीजै’ तीन पड़ावों में रिलीज़ की गई। इस मौके डॉ. हमदर्द ने संगीत संबंधी बातचीत करते हुए कहा कि संगीत उनके मन व आत्मा को हमेशा से छूता आया है। हमेशा ही उनकी इच्छा रही है कि वह गायकी के क्षेत्र में उन रास्तों पर चलें जो प्रेरणादायक हों। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि जब इंसान दुनिया पर आया गायकी व कलाएं भी उस समय से साथ आई हैं। गायकी की परम्परा बड़ी महान है और पंजाबी गायकी ने विश्वभर में इस क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि मेरा यही प्रयास है कि जो अच्छी शायरी है और कोई बेहतर लिखता है उसे ही गाया जाए। डॉ. हमदर्द ने कहा कि उन्हें लोक गीतों व सूफी दरवेशों को पढ़ने का बेहद शौक रहा है और उसमें से भी कई लोक गीत चुनकर गाए हैं। संगीत के साथ उनका रिश्ता बचपन से रहा है। मानवता को प्रोत्साहन देने व ज़िंदगी की कोमल नैतिक मूल्यों के लिए संगीत की अहम भूमिका है। इसके बिना समाज में रहा नहीं जा सकता। हमारे महान ग्रंथ भी रागों पर आधारित हैं। मुझे विश्वास है कि जब तक यह गला चलता रहेगा वह संगीत से जुड़े रहेंगे। अपनी एलबम के रिलीज़ होने के बाद डॉ. बरजिन्दर सिंह हमदर्द ने उपस्थित शख्सियतों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनकी बड़े लम्बे समय से यह इच्छा थी कि वह अपनी एलबम अमृतसर में अपने दोस्तों-मित्रों के रूबरू होकर जारी करें, जो आज पूरी हो गई है। अमृतसर माझा का अहम नगर व रुहानियत का केन्द्र है। माझा का इतिहास बेहद गौरवशाली, स्वाभिमान व नम्रता वाला, हमेशा बेइंसाफियों के खिलाफ खड़ा होने वाला है, जिस पर बेहद गर्व किया जा सकता है। गुरु साहिब के इस नगरी को बसाया है। मिसलों की शक्ति केन्द्र भी यह नगर रहा। जब उन्हें करतारपुर में जंग-ए-आज़ादी यादगार बनाने का मौका मिला था तो पता चला कि इस नगरी की स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका रही है। यहां के लोगों द्वारा अंग्रेज़ों के खिलाफ जो संघर्ष शुरू किया गया था, वह बेहद यादगारी बना है। पंजाब नाट्यशाला बारे ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह वह मंच है जिसने कई कलाकारों को पैदा किया। उनकी यहां आने की बड़े लम्बे समय से तमन्ना थी जो आज पूरी हुई है। अपनी बचपन की यादें बयां करते हुए डॉ. हमदर्द ने कहा कि इस नगरी में समारोह करवाकर यहां की शख्सियतों से मिलना उनके लिए बड़ा ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि ‘अजीत प्रकाशन समूह’ ने हमेशा अपनी परम्पराओं व विश्वसनीयता, जो संस्थान के संस्थापक डा. साधु सिंह हमदर्द द्वारा शुरू किए गए थे, उन्हें कायम रखने के लिए हमेशा प्रयास किया है और विश्वसनीयता को कायम रखा है। उन्होंने कहा कि यह संतोषजनक बात है कि ‘अजीत’ ने हमेशा अपने समाज के लिए बनती ज़िम्मेदारी निभाई है।
डा. बरजिंदर सिंह हमदर्द का संगीत सफर
मंच संचालन करते हुए डा. लखविंदर सिंह जौहल द्वारा डा. बरजिंदर सिंह हमदर्द के संगीत सफर संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि डा. हमदर्द की यह 16वीं एल्बम है जो मोहम्मद बख्श तथा सुल्तान बाहू के कलामों पर आधारित है।  डा. हमदर्द ने 2003 में पंजाबी, हिन्दी और उर्दू के प्रसिद्ध शायरों अब्दुल हामिद अदक, फैज अहम फैज, तूफेल होशियारपुर तथा अमृता प्रीतम के लिखे गीतों और गज़लों सहित कुछ प्रसिद्ध फिल्मी गीतों को अपनी आवाज देकर ‘ज़ज़्बात’ एल्बम से संगीत दुनिया में विधिवत प्रवेश किया। इस क्रम को आगे चलाते हुए डा. हमदर्द द्वारा 2004 में एल्बम, ‘सिजॅदा’ द्वारा शायर शाह हुसैन, प्रो. मोहिन सिंह, शिव कुमार बटालवी, डा. साधु सिंह हमदर्द और तूफैल होशियारपुर की साहित्यिक कृतियों को सुर और संगीत में पिरोकर पंजाबी सुर मंडल में चमकते सितारे की तरह स्थापित किया। यह सिलसिला पड़ाव दर पड़ाव आगे बढ़ता रहा और 2005 में डा. हमदर्द द्वारा शायर फैज अहमद फैज, प्रवीण शाकिर, अमीर कजलबाश, निदा फाज़ली तथा जांनिसार अख्तर की रचनाओं पर आधारित एल्बम ‘आहट’ पेश की। इसी वर्ष ही डा. हमदर्द द्वारा प्रसिद्ध शायर अब्दुल हमीद अदम, साहिर लुधियानवी, मोइउद्दीन अहसान ज़ज़बी, फैज़ अहमद फैज़, अमीर कज़लबाश तथा फिराक गोरखपुरी के कलाब को अपनी एल्बम खुशबू द्वारा अपनी सुरीली आवाज द्वारा पेश किये। 2009 में डा. साधु सिंह हमदर्द की प्यारी गज़लों को अपनी एल्बम श्रद्धाजंलि में गाकर डा. बरजिंदर सिंह हमदर्द ने अपने पितृ ऋण को उतारने का एक सफल प्रयास किया। यह सिलसिला आगे बढ़ता गया और डा. हमदर्द द्वारा अलग-अलग गायकों द्वारा गाये प्रसिद्ध गीतों को अपनी आवाज देकर 2015 में ‘मेरी पसंद’ एल्बम लाये। इसके बाद 2016 मे लोक गीत एल्बम में डा. हमदर्द की गायन शैली का ऐसा श़िखर था जिसने संगीत जगत को झुंजला दिया। इसी वर्ष आपने आस्था संगीत एल्बम द्वारा अपनी गायकी के सफर को एक ओर मुकाम पर पहुँचाया। अपनी व्यस्त जीवन शैली के होते हुए उन्होंने 2017 में ‘कुसुंभड़ा’ रूपी एक ओर संगीतक तोहफा पेश किया जिसमें आपने पंजाबी के सूफी शायर बाबा बुल्लेशाह के 8 गीतों को अपनी आवाज दी। इस संगीत का दसवां पड़ाव 2018 में ‘सरघी’ डा. जगतार सिंह की शायरी में से प्रतिनिध गज़लें चुनकर एक नया गुलदस्ता संजोआ। 2019 में डा. हमदर्द बाबा बुल्ले शाह की 8 क़ाफीया को अपनी सुरीली आवाज द्वारा रूहानी रमजा द्वारा पेश किया। इस वर्ष डा. हमदर्द द्वारा सोहन सिंह मीशा की रचनाओं को अपने सोज़ भरी आवाज देकर ‘संवेदना’, ‘दर्द-ए-दिल’, ‘जुगनू’ तथा ‘दास्तान’ एल्बमों द्वारा मीशा की स्मृतियों को ताजा कर दिया। 
श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
समारोह के दौरान डॉ. बरजिन्दर सिंह हमदर्द द्वारा अपनी नई एलबम ‘माण ना कीजै’ के सुलतान बाहू व मुहम्मद बख्श के कलाम श्रोताओं के रूबरू होकर गायन किए। करीब एक घंटे तक डॉ. हमदर्द द्वारा अपनी गायकी का दौर जारी रखते हुए सबसे पहले सुलतान बाहू का कलाम ‘ऐ दिलबर इस बेदिल उते, नज़र करम दी पाईं। तेरे बाझों दर्द मेरे दा वाकफ कोई नाहीं’ पेश कर उपस्थित श्रोताओं की वाह-वाह बटोरी। उन्होंने सुलतान बाहू का दूसरा कलाम ‘बेपरवाह माही कोलों मेरी कूक दुहाई। उस बिन होर ना मेरा कोई, उस नूं ़खबर ना काई’ व तीसरा कलाम ‘जो दिल मंगे होवे नाही, होवण रिहा परेरे हू। दोस्त न देवे दिल दारू, इश्क ना वागां फेरे हू’ की प्रस्तुति के ज़रिये हाज़िर श्रोताओं को सूफी रंग में झूमने पर मजबूर कर दिया। अपने संगीत प्रस्तुति को आगे बढ़ाते हुए डॉ. बरजिन्दर सिंह हमदर्द द्वारा अपनी 16वीं एलबम के ‘टाइटल’ कलाम ‘माण ना कीजै रूप घणे दा वारिस कौण हुसन दा। सदा ना रहिसण साखां हरीयां, सदा ना फूल चमन दा’ का गायन कर संगीत प्रेमियों व प्रमुख शख्सियतों को मंत्रमुग्ध किया।
पंजाब नाटशाला में डा. हमदर्द का पहली बार आना एक ऐतिहासिक दिन : जतिंदर बराड़
पंजाब नाटशाला के संस्थापक जतिंदर सिंह बराड़ ने डा. बरजिंदर सिंह हमदर्द के नाटशाला में पहली बार पहुँचने पर अपनी एल्बम रिलीज़ करने के लिए उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी बड़े समय से डा. हमदर्द को इस स्थान पर लाने की इच्छा थी जो आज पूरी हुई है, उनकी खूबसूरत गायकी की यह शाम वाला दिन पंजाब नाटशाला के इतिहास में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रहेगा। उन्होंने संस्था द्वारा डा. बरजिंदर सिंह हमदर्द को 16वीं एल्बम के लिए बधाई देते हुए स्मृति चिन्ह व दुशाला भेंट कर सम्मानित भी किया।
 डा. हमदर्द महान शख्सियत के मालिक : माणक
इस मौके पर ‘अजीत’ के कार्यकारी संपादक सतनाम सिंह माणक ने डा. बरजिंदर सिंह हमदर्द के जीवन, पत्रकारिता और उनकी गायन कला संबंधी बोलते हुए कहा कि डा. हमदर्द महान सख्शियत के मालिक हैं, जो पत्रकारिता की व्यस्त जीवन शैली के बावजूद संगीत के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने हमेशा ही समाज को दिशा तथा सकून देने वाली सूफी गायकी को पहल दी है। उन्होंने कहा कि डा. हमदर्द के नेतृत्व में अजीत प्रकाशन समूह सामाजिक बुराईयों प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अहम भूमिका निभा रहा है।
डा. हमदर्द द्वारा संगीतकार गुरदीप सिंह व अन्यों का सम्मान
डा. बरजिंदर सिंह हमदर्द ने अपनी 16वीं संगीतक एल्बम के रिलीज मौके एल्बम के संगीतकार गुरदीप सिंह तथा गायन प्रस्तुति दौरान साथ देने वाले संगीत वादकों राहुल, पारस तथा नीरज को सम्मानित किया गया। 
सीकेडी तथा पत्रकारों द्वारा डा. हमदर्द का सम्मान
समारोह दौरान समारोह से पहले डा. बरजिंदर सिंह हमदर्द के पंजाब नाटशाला पहुँचे पर चीफ खालसा दीवान द्वारा प्रधान निर्मल सिंह, भाग सिंह अनखी तथा सुरिंदर सिंह रूमालीया वालों द्वारा यादगारी चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।  समारोह दौरान ही ‘अजीत प्रकाशन समूह’ के उप कार्यालय अमृतसर के समूह पत्रकार स्टाफ की ओर से डा. हमदर्द को श्री हरिमंदिर साहिब का माडल भेंटकर सम्मानित किया गया।
यह रहे मौजूद
इस समारोह में पूर्व केबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, पूर्व सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सांसद जसबीर सिंह डिम्पा, विधायक तेजिंदर सिंह बिट्टू, सांसद गुरजीत सिंह औजला, सूफी गायक पदमश्री पूर्ण चंद वडाली, गुरू नानक देव विश्वविद्यालय के उपकुलपति डा. जसपाल सिंह, डिप्टी कमिशनर शिवदुलार सिंह ढिल्लों, मेयर कर्मजीत सिंह रिंटू, अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा, विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया, प्रेम सिंह एडवोकेट, गुरचरण सिंह सियाल डा. जे.एस. सैनी, लवली ग्रुप के चेयरमैन रमेश मित्तल, पिंगलवाड़ा की चेयरमैन बीबी इन्द्रजीत कौर, प्रसिद्ध अभिनेत्री दीपा साही, एसजीपीसी के सी. उपप्रधान भाई राजिंदर सिंह मेहता, विधायक सुखविंदर सिंह डैनी बंडाला, ‘अजीत प्रकाशन समूह’ के चीफ एगजीक्यूटिव श्रीमती गुरजोत कौर, सुरिंदरपाल सिंह ग्वालियर, सरब मल्टीप्लैक्स के डायरैक्टर परमवीर सिंह, हरप्रीत सिंह विक्का, अमृतसर विकास अथार्टी के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बख्तावर सिंह, डा. अवतार सिंह, डा. गुरचरण कौर, सी. अकाली नेता तलबीर सिंह गिल, सीकेडी प्रधान निर्मल सिंह, भाग सिंह अनखी, खालसा कालेज से डीएस रटौल, साहित्कार डा. धर्म सिंह, राकेश गोयल, प्रणव गोयल, प्रो. गुरविंदर सिंह, डा. कुलबीर सिंह सूरी, कुलवंत सिंह सूरी, राकेश गोयल, खालसा कालेज के प्रिं. डा. महिल सिंह, फोर एस के डायरैक्टर प्रि. जगदीश सिंह, पंजाब नाटशाला के संस्थापक जतिंदर बराड़, शिरोमणि कमेटी मैंबर भाई राम सिंह, रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा, प्रि. इन्द्रजीत सिंह गोगोआनी, जिला कांग्रेस देहाती प्रधान भगवंत पाल सिंह सच्चर, जसविंदर सिंह एडवोकेट, सूचना केन्द्र के अधिकारी स. जसविंदर सिंह जस्सी, आर्ट गैलरी के महासचिव अरविंदर सिंह चमक, सरकारी स्वरूप रानी कालेज फार विमन की प्रि. सविता सचदेवा, धर्मशाला सैंट्रल यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी, गायक याकूब गिल, एडवोकेट तजिंदर सिंह अरोड़ा, रजिंदर सिंह रूबी सहित पत्रकार भाईचारे के लोग मौजूद थे।