फिज़ूलखर्ची का बढ़ता फैशन 

दिन-ब-दिन मॉल, मल्टीपलेक्स, फास्टफूड, मोबाइल आदि का फैशन बढ़ता जा रहा है। बच्चे और युवा इन सब चीज़ों में ज्यादा पैसा खर्च करते हैं। आज के विद्यार्थियों और युवाओं में प्रतियोगिताएं इस बात पर होती हैं कि किसके पास कितना महंगा मोबाइल है, टी.वी. है, बाईक है आदि। टी.वी., सिनेमा आदि का इतना असर पड़ता है कि बच्चे और युवा अपने माता-पिता से ज़बरदस्ती रुपया लेकर महंगे शौक पूरे करते रहते हैं। माता-पिता भी बच्चों के प्यार में आकर उन्हें अपने सामर्थ्य के हिसाब से रुपया देते हैं फिज़ूलखर्ची के लिये,जो गलत है। 
माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को पूर्ण अनुशासन में रखें। बचत एक लम्बा सुख देने की राह है। लेकिन लोग ज्यादातर छोटे सुख पर ध्यान देते हैं। रुपया-पैसा की अहमियत को समझें और बचत की आदत डालें। अपने बच्चों, विद्यार्थियों, युवाओं को स्कूलों में भी बचत की अहमियत को सिखाना और बताना चाहिए ताकि बचपन में ही बचत की आदत एवं महत्त्व को विद्यार्थी युवा समझ सकें।

-डॉ. एम. एल. सिन्हा