दूध न लेने की अफ़वाहों ने गुज्जर भाईचारे की कमर तोड़ी

गुरदासपुर, 7 अप्रैल (दीपक मोदी) : पिछले दिनों सोशल मीडिया पर गुज्जर भाईचारे के पास से दूध न लेने की अफ़वाहों ने इस भाईचारे की कमर तोड़ कर रख दी है। गुरदासपुर ज़िले अंदर बड़ी संख्या में गुज्जर भाईचारे के लोग मौजूद हैं। जिनकी रोज़ी रोटी दूध के कारोबार पर निर्भर करती है। इनमें से बहुत सी गुज्जर ऐसे भी हैं जो रोज़ दूध बेच कर रोज़ की नकदी प्राप्त करते हुए अपनी रोज़ी रोटी चलाते हैं। जबकि बहुत सी गुज्जर डेरियों आदि को भी दूध मुहैया करवाते हैं। परन्तु जो सोशल मीडिया पर गुज्जर भाईचारे के पास से दूध न लेने की अफ़वाह फैली थी, उस कारण गुज्जरों के पास से अब न तो लोग और न ही डेरियों वाले दूध ले रहे हैं। लोगों ने तो गुज्जरों को दूध न लाने के लिए साफ़ मना कर दिया है। जबकि कुछ डेरियों के मालिक गुज्जरों को यह कहते हैं कि वह पहले किसी सरकारी अधिकारी के पास से लिखवा कर ले आने या उनकी कोई अधिकारी ज़िम्मेदारी उठाये तो वह उन को के पास से दूध लेंगे। जिसके कारण गुज्जरों का दूध का कारोबार बिल्कुल ही ठप्प हो गया है। अब आलम यह हो चुका है कि जो गुज्जर दूध से होती रोज़मर्रा की आमदनी पर निर्भर करते थे, वह रोज़ी रोटी से भी दुखी हो बैठे हैं। इसी तरह गाँव मान चोपड़े के कुछ गुज्जरों की तरफ से अजीत को एक वीडियो भेजी गई जिस में वह दूध के बड़े- बड़े केन नहर में बहा रहे थे। वीडियो की पड़ताल करन के बाद जब अजीत की टीम गाँव मान चोपड़े इन गुज्जरों के पास पहुँची तो वहाँ मौजूद गुज्जर भाईचारो की औरतें और मर्दों ने भिंगी आँखों के साथ कहा कि दूध जैसी कीमती चीज़ वह रोज़ ही हज़ारें लीटरें के हिसाब के साथ नहरों और खालें में मजबूरी बहा रहे हैं। उन कहा कि पहले तो उन्हों ने लोगों को 20 रुपए किलो दूध देना शुरू किया। जब कि बाज़ार में उस की कीमती 50 रुपए था। परन्तु धीरे- धीरे लोगों को 20 रुपए से 10 रुपए प्रति लीटर के हिसाब के साथ बेचा और फिर लोगों की तरफ से उन का दूध लेना ही बंद कर दिया गया। गुज्जरों ने बताया कि यदि इस तरह ही चलता रहा तो जल्द उन के बच्चे भूखे सोने शुरू हो जाएंगे। गुज्जर भाईचारो के लोगों ने माँग की है कि लोगों को इन अफ़वाहों से जानकार करवाने और सचेत करवाने के लिए प्रशासन कोई प्रयास ज़रूर करे।
दूध न लेने की अफ़वाहों को पहले ही ख़ारिज कर चुके हैं डी. सी.
सोशल मीडिया पर जो गुज्जरों के पास से दूध न लेने की अफ़वाह फैली थी। डिप्टी कमिश्नर गुरदासपुर मुहम्मद इशफाक की तरफ से पहले ही इन अफ़वाहों को ख़ारिज कर दिया गया था और उन्हों ने यह भी कहा था कि कोई भी प्रशासनिक हुक्म ऐसा जारी नहीं हुआ जिस में गुज्जरों के पास से दूध लेने के लिए मनाही की हो। उन कहा कि यदि कोई ऐसीं झूठी अफ़वाहों फैलाता है तो उस के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। उन कहा कि गुज्जर भाईचारो की रोज़ी रोटी दूध पर ही निर्भर करती है। इस लिए मुसीबत की घड़ी में लोगों को गुज्जर भाईचारो के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। 
तबलीगी जमात के साथ गुज्जर भाईचारे का नहीं है कोई संबंध
दूध न लेने की फैली अफ़वाहों के बाद आर्थिक संकट में से गुज़र रहे गुज्जर भाईचारो ने कहा कि लोग पिछले सौ, दो सौ सालों से गुज्जर भाईचारे के पास से दूध ले रहे हैं और वह पके तौर पर पंजाब में कई पीड़ीयो से रह रहे हैं। उन कहा कि तबलीग़ी जमात का जब से कोरोना वायरस को ले कर मसला सामने आया है। तब से लोगों ने उन को भी शक की नज़र के साथ देखना शुरू कर दिया है। दूध न लेने का बड़ा कारण यह भी है। जब कि गुज्जर भाईचारो का तबलीग़ी जमात के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है। उन बताया कि वह सुन्नी जमात के साथ सबंधित हैं। यहा तक कि उन का कादिया के मुसलमानों के साथ भी कोई लेना देना नहीं है।