उत्सव एक, रंग अनेक

भारत में विजयदशमी का महोत्सव अनेक रूपों में मनाया जाता है। कई शहरों में नवरात्र के नौ दिनों तक रामलीलाएं होती हैं। दसवें दिन पुतलों के रूप में बनाये रावण, मेघनाथ तथा कुम्भकर्ण को जलाया जाता है। कुछ शहरों में मिट्टी के रावण, कुम्भकर्ण बनाये जाते हैं और उनका वध किया जाता है लेकिन दशहरा को केवल हमारे देश में ही नहीं मनाया जाता बल्कि यह पर्व दुनिया के अनेक देशों में अपनी-अपनी संस्कृति और घटनाक्र म के आधार पर मनाया जाता है।
*  नाइजीरिया  के पूर्वी क्षेत्रों में शक्ति की देवी ’डायना’ की उपासना सात दिन तक की जाती है। आठवें दिन मिट्टी की एक मूर्ति बनाकर उसमें मंत्रोच्चार करते हुए जंगली फल-फूलों से भरकर इस मूर्ति को बाज के खून से नहलाकर पवित्र किया जाता है। आदिवासी अपने वस्त्र उतारकर मूर्ति की बारी -बारी से तीन-तीन परिक्र मा कर अपना सिर फोड़ते हैं। फिर सिर के गंभीर घाव में मूर्ति की मिट्टी भरते हैं। मान्यता है कि मिट्टी में देवी की शक्ति आ जाती है और वह शक्ति घाव के द्वारा मानव के पूरे शरीर में पहुँच जाती है। इस पर्व को ‘शक्ति’ के नाम से अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है।
*  दशहरा मनाने का निराला रूप गुयाना में देखने को मिलता है जहां भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के पुतले आम चौराहों पर जूते मारे जाने के बाद पूरे हर्षोल्लास के साथ जलाये जाते हैं।
*  मिस्र में वहां के आदिवासी अपनी फसल पकने के उपलक्ष्य में एक दैत्य का पुतला बनाकर जलाते हैं। वे मानते हैं कि ऐसा करने से दैत्यों का नाश हो जाता है।
*  आस्ट्रेलिया में कुछ जगहों पर दो पहलवानों में राम-रावण युद्ध का नाटक खेला जाता है। जो पहलवान पराजित हो जाता है, उसकी शक्ल का विचित्र आकृति वाला पुतला बनाकर दर्शकों के सामने जलाया जाता है।
* बेबिलोनिया में मूर्ति जलाने की परम्परा है। मान्यता है कि प्राचीन काल में शक्ति की देवी इश्तार थी। वह तम्मुज नामक सुंदर नवयुवक से प्रेम करती थी। वह युवक अचानक मर गया। उस नवयुवक की स्मृति में वहां की स्त्रियाँ दशहरे जैसा त्यौहार प्रतिवर्ष मनाती हैं जिसमें उसकी मूर्ति को जलाया जाता है।
*  चीन में भी एक जानवर की आकृति का पुतला बनाकर नगर के पूर्वी द्वार के बाहर खड़ा कर दिया जाता है  जिसे गवर्नर छड़ी से खूब पीटता है। जब पुतला काफी टूट-फूट जाता है तो उसमें आग लगा दी जाती है। लोगों की भीड़ उन जले हुए टुकड़ों की राख लेने के लिए टूट पड़ती है। मान्यता है कि वे टुकड़े सौभाग्यप्रद होते हैं।
*  जावा द्वीप के ‘बाजंग जोंग’ नामक थियेटर में रामायण के आधार पर राम-रावण युद्ध के नाटक खेले जाते हैं। यह यहाँ का राष्ट्रीय थियेटर भी है। 
* प्राचीन यूनान में हताश प्रेमिकाएं अपने धोखेबाज प्रेमियों के पुतले बनाकर आग में फूंका करती थीं। प्राचीन सीरिया में भी दशहरा जैसा पर्व मनाने का उल्लेख मिलता है।
इस प्रकार दशहरा पर्व भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में भी किसी न किसी रूप में बड़े धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

(युवराज)