तपस्या एवं त्याग की प्रतिमूर्ति थे कमल शर्मा 

स्वर्गीय कमल शर्मा भारतीय जनता पार्टी के अजातशत्रु थे। अपने आप में एक संस्था थे। कमल शर्मा भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा के लिए जीने-मरने वाले व्यक्ति थे। उनके खून के एक-एक कतरे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा, देश के लिए जीना-मरना, दोनों भरे पड़े थे। आतंकवाद का वो दौर, जब स्कूल कॉलेज में भारत माता की जय कहना मुश्किल था, जब आतंकवादी राष्ट्रभक्त शक्तियों को दबा रहे थे, बड़े-बड़े राष्ट्रभक्तों को दिन-दहाड़े मारा जा रहा था, गोलियां चल रही थीं, बम विस्फोट किए जा रहे थे, ऐसे समय में 14 वर्ष का कमल शर्मा पाकिस्तान के साथ लगते बॉर्डर के शहर फिरोजपुर में ‘मैं शिवाजी, मैं शिवाजी’ खेल के माध्यम से देशभक्ति की भावना अपने जीवन और चरित्र में गढ़ रहा था। 
उन्होंने बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया। उस समय पंजाब में आतंकवाद के काले दिनों में संघ की शाखाओं में जाना मौत को दावत के समान था। स्कूल, कॉलेजों में छात्रों के अंदर देशभक्ति की भावना और ‘राष्ट्र ही देव है’,सोच लेकर कमल शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्त्ता बने और पूरा जीवन देशभक्ति से ओतप्रोत परिषद एवं संघ की विचारधारा को पूजते रहे। कॉलेज में पढ़ते हुए कमल शर्मा ए.बी.वी.पी. की गतिविधियों में शामिल होने लगे और 1988 में पंजाब इकाई के सचिव बने। विद्यार्थी नेता रहते हुए उन्होंने श्रीराम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लेते हुए अपने राष्ट्रीय दायित्वों का पालन किया। 1994 में ए.बी.वी.पी. के राष्ट्रीय सचिव, 1996 में प्रदेश संगठन मंत्री तथा 1997 से 2003 तक राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहे। इस प्रकार कमल शर्मा ने 19 वर्ष तक ए.बी.वी.पी. के लिए कार्य किया। 
वर्ष 2007 से 2013 तक पंजाब भाजपा के महामंत्री रहे। 15 जनवरी, 2013 को उन्हें पंजाब भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और इन्होंने रिकार्ड 23 लाख सदस्य बनाकर भाजपा को पंजाब और पंजाबियों की पार्टी बनाया। इनके कार्यकाल में राज्य में हुए ग्रामीण निकाय चुनावों में भाजपा ने रिकार्ड सफलता हासिल करते हुए 32 जिला परिषदों व 300 से अधिक ब्लॉक समितियों में सफलता के झंडे गाड़े। 
एक बड़ा हृदयघात होने के बावजूद संगठन के कार्यों में सक्रिय रहे तथा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें गुरदासपुर संसदीय सीट का प्रभारी नियुक्त किया गया, जहां अभिनेता सनी देओल ने कांग्रेस के दिग्गज नेता व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को भारी मतों से हराया। कमल शर्मा धनी व्यक्तित्व के मालिक थे। अपने मृदुल स्वभाव के कारण सभी आयु वर्ग में लोकप्रिय थे। वह जिस घर में जाते थे, बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक उनको अपना मित्र समझते थे। कोई भी लालच, द्वेष या दबाव कमल शर्मा को उनके राष्ट्रवादी, सादगी, सदाचार एवं समर्पण के गुणों से डगमगा नहीं सका। बड़ी से बड़ी सत्ता भी उन्हें आदर्श जीवन शैली पर चलने से रोक नहीं सकी। पंजाब प्रदेश के अध्यक्ष जैसे शीर्ष पद पर पहुंचकर भी उनकी जीवनशैली में कोई फर्क नहीं आया। इसलिए उनसे प्यार करने वालों की संख्या कभी कम नहीं हुई। राजनीतिक कारणों से जो लोग उनसे मतभिन्नता रखते थे, वे भी अकेले में उनकी सादगी, मेहनत, संगठन पर उनका अटूट विश्वास, ईमानदारी, सदाचार की प्रशंसा करते थे। इन गुणों के कारण वह जीवन भर अजातशत्रु बने रहे। 1986 में वह अमृतसर में एक विस्तारक कार्यकर्त्ता के नाते आए थे। उस समय मैं विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्त्ता के रूप में काम कर रहा था और उनके साथ अमृतसर के सभी स्कूल-कॉलेजों में जाकर ए.बी.वी.पी. के गठन के माध्यम से राष्ट्रभक्त विद्यार्थियों को लामबंद करना, उन्हें राष्ट्रहित कार्यों में लगाने का क्रम, आतंकवाद के उन काले दिनों में हमने किया था। वह मेरे बड़े भाई जैसे थे, एक शिक्षक थे, एक मित्र थे। एक ऐसा सखा थे जिसके साथ आप दिल की हर बात कर सकते हैं। एक ऐसा मित्र जो हर मुसीबत में आपके साथ खड़ा हो, एक ऐसा भाई जो आपके लिए रास्ता बनाता है, एक ऐसा शिक्षक जो आपकी हर गलती को सुधार कर आप को सही रास्ते पर लाता है।   अमृतसर की गलियों, मोहल्लों, अमृतसर के स्कूल-कॉलेजों के अंदर हमने ए.बी.वी.पी. का महल खड़ा किया था। 27 अक्तूबर, 2019 को दीवाली वाले दिन हार्ट अटैक से 49 वर्ष की आयु में श्री कमल शर्मा का निधन हो गया।
वह अपने पीछे धर्मपत्नी श्रीमती शशि शर्मा, पुत्र सुसमति शर्मा व पुत्री शुभा शर्मा व मेरे जैसे हजारों-लाखों अनुयायियों को रोते हुए छोड़ कर स्वर्ग लोक को चले गए। कमल जी का संपूर्ण जीवन संगठन एवं कार्यकर्त्ताओं के उत्थान के लिए समर्पित रहा। बेशक आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका योगदान व विचार हम सब को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।