संभव है खर्राटों से छुटकारा पाना

क्यों आते हैं खर्राटे 
 खर्राटे का कारण थकान व हाई ब्लडप्रेशर भी हो सकता है। इसके अलावा श्वसन में आने वाली बाधा के कारण भी खर्राटे आ सकते हैं। होता यह है कि सोते हुए जीभ पीछे को पलट कर तालू से चिपक जाती है। ऐसे में भीतर जाने वाली हवा जीभ और तालू को एक दूसरे के विरुद्ध कंपन करने को बाध्य करती है। इससे व्यक्ति खर्राटे लेने लगता है। ऐसा माना जाता है कि खर्राटेबाजों की सांस की नली अपेक्षाकृत संकरी होती है।
स्वास्थ्य पर बुरा असर 
वायुमार्ग बंद होने पर कई बार व्यक्ति सोते हुए श्वास लेना बंद कर देता है जिसके कारण दस सैकेंड से लेकर एक दो मिनट तक व्यक्ति बिलकुल निश्चल हो जाता है। इस लक्षण को ऑबस्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओ.एस.ए.) कहते हैं। प्रतिवर्ष कई लोग इसकी वजह से नींद में ही चल बसते हैं। खर्राटे लेने वालों के लिए आम धारणा है कि वे बड़े मजे में चैन की नींद सोते हैं लेकिन सच्चाई तो यह है कि उनकी नींद बाधित होने के कारण बार-बार टूटती है। इससे उन्हें विश्राम नहीं मिल पाता। दिमाग तरोताज़ा रखने के लिए एक अच्छी गहरी नींद अति आवश्यक है जो खर्राटे लेने वालों को नहीं आती। इसके अतिरिक्त खर्राटों का दिल पर बुरा असर पड़ता है क्योंकि सांस बंद होने पर रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है जिसकी आपूर्ति के लिए हृदय को अधिक श्रम करना पड़ता है। यह प्रक्रि या हृदय को क्षति पहुंचाती है।
कैसे छुटकारा पाएं 
सबसे पहले तो खर्राटों का कारण जानने का प्रयत्न करें और यह देखें कि वे किस हद तक ‘सीरियस प्रॉब्लम’ हैं। सामान्य मामलों में जीवन शैली का परिवर्तन आराम दे सकता है। कुछ सरल उपायों को अपनाया जा सकता है जैसे पीठ के बल लेटने के बजाए करवट से या पेट के बल से लेटना। दूसरा इस बात की जांच करवा लें कि नाक में कोई प्रॉब्लम तो नहीं क्योंकि कभी-कभी नाक में रचनात्मक विकृति के कारण खर्राटे आ सकते हैं। यह छोटे से ऑपरेशन से ठीक हो जाता है। नाक की सफाई ज़रूरी है क्योंकि कफ आदि श्वास लेने से अवरोध पैदा कर सकता है। तब सांस लेने के लिए जो जोर लगाना पड़ता है, इससे गले में वैक्यूम बन जाता है जो कंपन पैदा करता है। खर्राटे की आवाज इसी से निकलने लगती है।कभी-कभी तेज़ खर्राटाें से छुटकारा पाने के लिए सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है ।

(स्वास्थ्य दर्पण)