स्पूतनिक टीके की आमद

देश में अगले वर्ष जनवरी मास से कोरोना महामारी के विरुद्ध रूसी टीके स्पूतनिक-वी से व्यापक टीकाकरण अभियान शुरू हो जाने की घोषणा कोविड-19 से पीड़ित देशवासियों के लिए एक सुखद अनुभूति जैसी प्रतीत होगी। कोरोना महामारी ने पूरे विश्व के साथ-साथ भारत को भी बेहद त्रस्त एवं संतप्त किया है। अब तक इससे पूरे विश्व में लगभग 6 करोड़ लोग प्रभावित हो चुके हैं, और 14 लाख से अधिक मौतें भी हुई हैं। अकेले भारत में भी लगभग 92 लाख लोग इस महामारी से प्रभावित हो चुके हैं, तथा एक लाख 34 हज़ार 218 लोग मृत्यु का ग्रास भी बने हैं। विगत 10 मास से अधिक समय से जब से इस महामारी का प्रकोप शुरू हुआ है, इसके उपचार हेतु किसी प्रभावी औषधि अथवा टीके की आवश्यकता बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही थी। इस हेतु देश और विदेश की अनेक कम्पनियां एवं बड़े वैज्ञानिक निरन्तर अनुसंधान कर रहे थे। इस दौरान कोरोना से संक्रमित होने वालों का उपचार-कार्य स्थानीय औषधियों से किया जाता रहा, जिनमें भारतीय औषधि हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन की बड़ी भूमिका रही। कोरोना महामारी जब अपने पहले प्रहार में शिखर पर थी, तब विश्व भर में इसकी बड़ी मांग रही और भारत ने यथा सम्भव जिस-जिस देश को भी इसकी आवश्यकता पड़ी, उसे इसकी आपूर्ति भी की। अब भी भारत कोरोना निरोधी टीके की तलाश में विश्व के अन्य देशों के साथ शाना-ब-शाना चल रहा है, परन्तु फिलहाल देश में रूसी टीके स्पूतनिक-वी से उपचार को प्राथमिकता दी गई है, और अगले वर्ष जनवरी से देश में इसके टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू कर दिये जाने की भी प्रबल सम्भावना है।
रूसी स्पूतनिक अपने तीन चरणीय परीक्षणों के बाद 95 प्रतिशत कारगर बताया गया है, और अभी तक इसके किसी विपरीत एवं दुष्प्रभाव की भी कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन स्वंय इसके संतोषजनक होने का दावा कर चुके हैं। यह भी बहुत सम्भव है, कि अगले एक-दो मास में और भी कई कम्पनियों के टीके आविष्कार के धरातल पर उभर आएं, और यह भी कि भारत के अपने वैज्ञानिक भी निकट भविष्य में किसी सार्थक परिणाम पर पहुंच सकते हैं। अमरीकी कम्पनी फाईज़र और इसके जर्मन सहयोगी बायोएनटेक द्वारा आविष्कृत टीका भी अपने तीन परीक्षणों के बाद 95 प्रतिशत सफलता के दावे के साथ विश्व मार्किट में आने को तैयार है। इन कम्पनियों के प्रबन्धकों ने मानवता की सुरक्षा के दावे के साथ अमरीकी खाद्य एवं औषधि विभाग और देश के स्वास्थ्य अधिकारियों के पास टीकाकरण की प्रक्रिया की अनुमति देने हेतु आवेदन भी कर दिया है। बहुत सम्भव है कि यदि यह अनुमति मिल जाती है, तो अमरीका में आगामी मास किसी भी समय टीकाकरण शुरू हो सकता है। अमरीका की एक और कम्पनी मॉडेर्ना भी तीसरे परीक्षण के बाद अपने टीके को मार्किट में लाने को तैयार है। मॉडेर्ना ने भी अपने टीके की 94.5 प्रतिशत सफलता का दावा किया है।  योरुप और ब्रिटेन में भी दिसम्बर के मध्य तक कोरोना के विरुद्ध टीकाककरण अभियान शुरू हो जाने की सम्भावना जतायी गई है। फाईज़र ने पहले चरण पर टीके की 5 करोड़ डोज़ तैयार करने की घोषणा की है, जिसे 2.50 करोड़ लोगों को लगाया जाना है। भारत में आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा आविष्कृत टीके के उपयोग की भी बड़ी चर्चा होती रही है। इस टीके की लाखों खुराक तैयार होने का दावा भी किया गया है।  आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किये गये टीके कोविडशील्ड के भी 90 प्रतिशत तक सफल रहने का दावा किया गया है, और आक्सफोर्ड के साथ भारत का पहले से ही करार हो चुका है। इस टीके की एक विशेषता यह भी बताई गई है कि यह न केवल कोरोना संक्रमण को रोकने हेतु कारगर है, अपितु सामुदायिक प्रसार को भी रोकता है। भारत में स्वदेशी धरातल पर तैयार किये गये टीके को-वैक्सीन का तीसरा चरण भी पिछले दिनों रोहतक में शुरू हो गया है। तथापि, रूस के साथ सम्पन्न हुई सहमति के आधार पर आगामी जनवरी में स्पूतनिक-वी की भारत को आपूर्ति बड़े सुखद एहसास को जागृत करती है। इस टीके के अन्य वैक्सीन की अपेक्षा सस्ता होने, और इसके उत्पादन में तेज़ी होने के कारण इसकी आपूर्ति के मार्ग में कोई बाधा आने की सम्भावना भी नहीं है। रूस ने विदेशों में 50 करोड़ लोगों के लिए प्रति वर्ष उत्पादन व्यवस्था होने का दावा किया है। रूसी टीके को अधिक शांत वातावरण में रखने की भी कोई बड़ी समस्या नहीं है, अत: इसे भारतीय वातावरण के अधिक उपयुक्त माना गया है। नि:सन्देह भारत के दृष्टिकोण से यह एक बहुत अच्छी खबर है, हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि विश्व भर के वैज्ञानिक कोरोना-निरोधी टीके का आविष्कार कर लेने में प्राय: कामयाब हो चुके हैं, और इस हेतु अब अगले महीने में किसी भी क्षण, कहीं से भी घोषणा हो जाने की सम्भावना है। रूसी टीके स्पूतनिक-वी को लेकर पहले कुछ प्रश्न-चिन्ह और संशय उभारे गये थे, परन्तु अब भारत द्वारा किये गये करार के बाद एक ओर जहां इस टीके की विश्वसनीयता पुष्ट होती है, वहीं भारत के लिए यह आशा के एक नये संदेश जैसा सिद्ध हो सकता है। भारत के कई हिस्सों में इन दिनों कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के बरपा होने का ज़िक्र किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के मरीज़ों की संख्या बढ़ने से भी राष्ट्र-व्यापी चिन्ता पैदा हुई थी। देश में बड़ी शिद्दत से कोरोना वैक्सीन की प्रतीक्षा की जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान देश के लोगों को सजगता का सन्देश दिया जाना भी इसी चिन्ता का हिस्सा है। तथापि, अब स्पूतनिक-वी के साथ हुआ करार राष्ट्र के नेताओं और जन-साधारण के लिए उम्मीद को जगाने के साथ-साथ सुखद अनुभूति जागृत करने का वायस बना।