अमरीकी राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह
अमरीका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के राजधानी वाशिंगटन में 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के लिए विश्व भर में भारी उत्सुकता है। अमरीका विश्व का बड़ा देश है। यहां प्रत्येक चार वर्ष बाद इस उच्च पद के लिए चुनाव भारी दिलचस्पी वाले होते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का 4 वर्ष का कार्यकाल अत्यधिक विवादास्पद रहा है। ट्रम्प की ओर से उठाये गये पगों एवं दिये गये बयानों की निरन्तर भारी चर्चा होती रही है। हालांकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनके विशेष संबंध हैं। मोदी की अमरीका यात्रा एवं ट्रम्प का भारत दौरा लम्बी अवधि तक चर्चा में रहा था। चाहे इस काल में दोनों देशों में व्यापारिक संबंध तो बहुत नहीं बढ़े परन्तु चीन के ़खतरे को भांपते हुये अमरीका के साथ भारत के संबंध विश्वास बंधाने वाले बने रहे। यहां तक कि डोनाल्ड ट्रम्प ने इन संबंधों के लिए प्राय: पाकिस्तान को भी दृष्टिविगत किया। चाहे अफ़गानिस्तान के मामले पर उन्हें पाकिस्तान की भारी आवश्यकता बनी रही थी।
यह आम प्रभाव बना रहा कि ट्रम्प कोरोना महामारी के साथ निपटने में सफल नहीं हो सके, अपितु उनकी नीतियों के कारण इस महामारी ने अमरीका को पूर्णतया अपनी ज़द में ले लिया था। ट्रम्प के काल में ही जातीय विचारधारा ने बल पकड़ा। अनेक बार यह जातीय रूप में उभर कर सामने आई जिसने देश को कटुता से भर दिया। ट्रम्प प्रदूषण एवं अन्य अनेक अन्तर्राष्ट्रीय मामलों से भी गहन गम्भीर ढंग से निपटने में सफल नहीं हो सके। इन कारणों के दृष्टिगत डैमोक्रेटिक प्रत्याशी जो बाइडन ने उन्हें कड़ा मुकाबला दिया। अमरीका के 50 राज्यों में चुनावों के दौरान प्राय: भारी कटुता देखने को मिलती रही जो चुनावों के बाद मतगणना तक जारी रही। यहां तक कि जब भिन्न-भिन्न राज्यों से ट्रम्प की पराजय के समाचार आने लगे तो उन्होंने इन्हें मानने से इन्कार कर दिया एवं चुनावों में हेरा-फेरी किये जाने के आरोप लगाने शुरू कर दिये जिससे माहौल और भी कटु हो गया। 6 जनवरी को जब मतों की गणना अभी खत्म भी नहीं हुई थी तो उस समय ट्रम्प की ओर से दिये गये उत्तेजना-पूर्ण भाषण के दृष्टिगत उनके समर्थकों ने सशस्त्र होकर बड़ी संख्या में अमरीका की संसद, जिसे कैपीटल हिल के नाम से जाना जाता है, पर हमला कर दिया। इससे सांसदों की सुरक्षा भी ़खतरे में पड़ गई। इस गड़बड़ में पांच मौतें भी हो गईं जिन्होंने एकबारगी देश को हिला कर रख दिया। अमरीका के सैकड़ों वर्षों के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसी घटना पहली बार घटित हुई थी। ट्रम्प ही एक ऐसे राष्ट्रपति बने जिन पर पद पर रहते हुये दो बार महाभियोग का मुकद्दमा चलाया गया है।
अब जब नये अमरीकी राष्ट्रपति शपथ ग्रहण कर रहे हैं तो उस समारोह के लिए भारी सुरक्षा प्रबन्ध किये गये हैं क्योंकि बड़ी संख्या में ट्रम्प के समर्थकों की ओर से अभी तक भी गड़बड़ ़खतरा मौजूद है। भारी आर्थिक संकट में से गुज़र रहे देश को नव-निर्वाचित राष्ट्रपति की ओर से 138 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की गई है, जिसे आगामी समय में अमरीकी संसद से पारित करवाया जाएगा। इसमें बेरोज़गारी, कोरोना से निपटने के लिए व्यापक प्रबन्ध एवं आर्थिकता को सही स्थान पर लाने के लिए भारी योजनाओं की घोषणा की गई है, जिनमें छोटे कारोबार एवं कर्मचारियों की बेहतरी का भी प्रबन्ध है। चाहे अमरीका में भारतीयों की संख्या 2 प्रतिशत से अधिक नहीं, परन्तु अपने प्रशासन में जो बाइडन ने एक दर्जन से भी अधिक भारतीय मूल के अमरीकियों को शामिल किया है। निर्वाचित उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस भी अफ्रीकी-भारतीय मूल की सुलझी हुई महिला हैं। जो बाइडन के व्यक्तित्व एवं उनकी नीतियों से यह प्रभाव अवश्य मिलता है कि अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर वह भिन्न-भिन्न स्थानों पर तनाव को कम करने में सहायक हो सकेंगे तथा यह भी आशा की जाती है कि भारत के साथ भी अमरीका के अच्छे संबंध बने रहेंगे।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द