पंजाब-पंजाबी, किसान-किसानी एवं कोरोना

पंजाब पूर्वी हो या पश्चिमी, पंजाब तो पंजाब ही है। पंजाबी सीमा के आर हैं या पार, पंजाबियों की सोच, आदतें, खाना-पीना, विवाह-शादियां, शरीकेबाज़ी, लड़ाई-झगड़े, लेन-देन, बोलचाल, इनकी दुख-सुख की कहानियां, यादों, उजाड़े-पुनर्वास की इच्छाएं दोनों तरफ एक जैसी ही हैं।  अपने मजबूरीवस छोड़ गए शहर, कस्बे, गांव, पुन: देखने के सपने सब पंजाबियों के एक जैसे हैं।  पूर्वी, पश्चिमी पंजाब के मौसम, फसलें, पशु, पक्षी, पेड़ इनमें कोई अंतर नहीं। केवल पंजाबियों के चेहरे, सूरतें एवं  फितरत ही एक नहीं हैं, अपितु इनकी रगों में दौड़ने वाला खून भी एक जैसा ही है।  जीते-जागते पंजाबियों के शरीरों में दौड़ते गर्म खून के बीच पड़ी दूरीयां अस्थाई हैं। जोश भरे इन लोगों को आगे स्थाई बांध नहीं बांधे जा सकते ।  दोनों पंजाब के पंजाबियों के बीच नफरतों के जो बांध बांधे गए थे, वे बांध कमज़ोर हो कर धीरे-धीरे टूटने की ओर बढ़ रहे हैं। एक न एक दिन इन्होंने टूट जाना है, सूखी और दीमक लगी लक्कड़ की तरह। जैसे कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया हुआ है, वैसे ही आर-पार का पंजाब और पंजाबी भी इसका शिकार बन रहे हैं। कुछ मर भी जाते हैं, अधिकतर मरते-मरते बच जाते हैं।  कोरोना बीमारी से बचने के लिए मुंह-नाक ढंकने और इन्सानों में आपसी थोड़ी सी (6 फुट) की दूरी बनाए रखना ज़रूरी है।  परन्तु पंजाबी तो पंजाबी हैं। 90 फीसदी पंजाबियों ने न तो मास्क डालना है, न समूहों में जुड़ कर बैठने से बचना है।  दोनों पंजाब के शहरों, कस्बों, गांवों, गलियों, बाज़ारों, मंडियों, मार्किटों में चलते-फिरते पंजाबी न मुंह-नाक ढंकते हैं, न आपसी दूरी बना कर रखने की तरफ ध्यान देते हैं। 
कोरोना महामारी  
दिसम्बर 2019 में चीन के शहर वुहान में इस वायरस ने तबाही मचानी शुरू की थी। चीनी भी अजीब लोग हैं। कुत्ते-बिल्ले, कीड़े-मकौड़े, चमगादड़ सब खा जाते हैं। लगता है कि चीनियों में एक ऐसी खौफनाक बला छिपी हुई है, जो हर तरह का मांस खाती है। यह बला विश्व भर के इन्सानों को ऐसी बीमारियां लगा रही हैं जो इससे पहले विश्व भर के इन्सानों ने न सुनी थी, न देखी थीं। कोरोना का पहला मरीज नवम्बर, 2019 में विश्व के सामने आया था। दिसम्बर 2020 में ही पूरा विश्व इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन  (डब्ल्यूएचओ) ने इस बीमारी को वैश्विक बीमारी करार दिया है।  अमरीका, इंग्लैंड, फ्रांस जैसे देश इस वायरस के आगे घुटनों के बल हो गए थे विश्व के इस मैदान में। इस कोरोना वायरस ने शक्तिशाली और प्रगतिवादी देशों को हरा दिया है। दिसम्बर, 2020 से कोरोना वायरस की दूसरी लहर हमारे जीवन के लिए मौत का रूप धारण किये हमारे ऊपर आ खड़ी हुई है।  शैक्षणिक संस्थान बंद, धार्मिक स्थल बंद, धांिर्मक स्थलों पर एकत्रिता पर पाबंदी। शहर और इसकी मार्किटों पर पाबंदी की शुरुआत। इस वायरस ने इन्सानी जीवन बदल कर रख दिया है। 
एक बात यह भी है कि हिन्द-पाक की सरकारें जनता द्वारा आरंभ किये गए किसी भी आन्दोलन या संघर्ष को रोकने के लिए कोरोना वायरस का अवरोध पैदा कर देती हैं। इस वायरस का बहाना बना कर अपनी मांगें मनवाने के लिए इकट्ठा हुए लोगों की पुलिस या सिक्योरिटी के दूसरे संस्थानों के जवानों से मारपीट भी करवा देते हैं। दरअसल यह वायरस दोनों देशों की सरकारों के हाथ गरीब, मजदूर, किसानों और अपनी मांगों के लिए सर्दियों में सड़कों पर परेशान होने वालों के खिलाफ एक कारगर हथियार है, जो सरकारें अपने ही देश के लोगों पर अंधाधुंध प्रयोग करती हैं, विशेष तौर पर चाहे वह देश पाकिस्तान हो या हिन्दुस्तान। 
दोनों देशों की सरकारों की अपनी गरीब जनता बारे एक ही नीति है।
* जो हम चाहते हैं बस वही सोचें।
* जो हम चाहते हैं वही बोलें।
* जो हमारी मर्जी एवं हुक्म है, वही मानें
पाकिस्तानी और हिन्दुस्तानी रियासतों की यह रियासत नीति है कि किसानों के खेत एवं खेती का लाभ अमीर और कारोबारी वर्ग को दिया जाए। किसान का मेहनत, सांपों के सिर कुचल कर उगाई हुई फसल लूटने के लिए मंडियों की आढ़त और अमीरों के बनाए हुए कार्पोरेट संस्थानों को लूट-पाट वाले हथियारों के रूप में प्रयेग किया जाता है। 
पाकिस्तान की किसानी
पाकिस्तान में किसान-किसानी, खेत-खेती पूर्ण तौर पर बर्बाद हो चुके हैं। पाकिस्तान की सरकार की कोई वित्तीय नीति नहीं है। वित्तीय रिसर्च केन्द्र मुर्दा घोड़े हैं। फसलों एवं सब्ज़ियों के हाईब्रेड बीज किसानों का अधूरा और छोटा सपना हैं।  पश्चिमी पंजाब अनाज का घर था। यहां के पंजाबी किसान खुशहाल थे परन्तु अब किसान एवं उनके परिवार दो वक्त की रोटी से भी तंग होते जा रहे हैं। खाद और कीटनाशक दवाइयां पाकिस्तान में पूरी दुनिया से महंगी हैं। मौसमी सब्ज़ियों का सब्ज़ी मंड़ियों में काल पड़ा हुआ है। फारमी अंडा 16 रुपये का और देसी अंडा 25 रुपये का है। अदरक 900 रुपये किलो से 1600 रुपये किलो है। फारमी मुर्गे का मांस 300 रुपये किलो से भी अधिक मूल्य पर बिक रहा है। महंगाई ने पाकिस्तान कौम का हश्र-नश्र कर दिया है। गरीबी से तंग आए गरीब अपने बच्चों को नहरों में फेंकने लग पड़े हैं। पश्चिमी पंजाब की वित्तीय जमीन विश्व की बेहतरीन वित्तीय जमीन है। परन्तु चीनी, गेहूं और दालें बाहर से मंगवाई जाती हैं।  हिन्दुस्तान में खेत एवं कृषि बारे बनाए गए कानून के खिलाफ आन्दोलन चल रहा है। किसानों के बड़े-बड़े इकट्ठ हो रहे हैं। धरने दिए जा रहे हैं परन्तु पाकिस्तान में किसान इतने एकजुट नहीं हैं। पश्चिमी पंजाब के पंजाबी और विशेष कर पढ़े लिखे किसान डिश टी.वी. के माध्यम से पूरा दिन पूर्वी पंजाब के किसानों के आन्दोलन के बारे जानकारी लेते रहते हैं। हमारी सहानुभूति, मोहब्बतें और दुआएं आपके संग-संग हैं। आपको आपके संघर्ष में सोहना रब्ब सफलता दे।  रब्ब आपको फतेह पर बिठाए। अपना ध्यान रखें। रब्ब आपको सलामत रखे। आमीन।