अन्तरिक्ष अनुसंधान में भारत की बड़ी पुलांघ

भारत की ओर से एक साथ 19 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण जहां भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन—इसरो की बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाएगा, वहीं इस सफलता के साथ भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम ने विश्व व्यवसायिक मानचित्र पर भी अपने पक्ष में एक बड़ी एवं अमिट लकीर खींच दी है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से अन्तरिक्ष कक्षा में प्रक्षेपित इन 19 उपग्रहों में से एक ब्राज़ील का एमेज़ोनिया-1 भी शुमार है। इसके अतिरिक्त 13 छोटे-बड़े उपग्रह अमरीका के हैं जो सफलता से प्रक्षेपित हुए हैं। पांच अन्य ऐसे उपग्रह भी इस प्रक्षेपण अभियान में शामिल रहे जिन्हें देश के युवा एवं बाल वैज्ञानिकों की ओर से चेन्नई के  स्पेस किड्ज़ इंडिया के धरातल पर तैयार किया गया है। इसरो के अन्तरिक्ष राकेट पी.एस.एल.वी. की श्रीहरिकोटा केन्द्र से यह 53वीं उड़ान थी, और इस केन्द्र से अन्तरिक्ष में भेजा जाने वाला यह 78वां अभियान है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान केन्द्र इसरो की व्यवसायिक सफलता एवं प्रतिस्पर्धा क्षमता का अनुमान इस एक तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि अब तक इस केन्द्र से विश्व के 34 देशों के कुल 342 उपग्रहों को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया जा चुका है जिनमें से कई सफलता के साथ अभी भी अपने कार्य की सम्पन्नता कर रहे हैं। ताज़ा अभियान के अन्तर्गत प्रक्षेपित एमेज़ोनिया-1 की जीवन-अवधि चार वर्ष है, और कि यह ब्राज़ील के एमाज़ोन वन-क्षेत्र में वन-उन्मूलन अथवा वन-कटाई में निरीक्षण कार्यों को अंजाम देगा। प्रक्षेपित उपग्रहों में शामिल सतीश धवन उपग्रह पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चित्र उकरित होने के कारण इसका महत्व एवं प्रतिष्ठा और भी बढ़ जाती है। इसरो की उपलब्धियों से विश्व व्यवसायीकरण धरातल पर जहां भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम की प्रतिष्ठा बढ़ी है, वहीं इसरो भिन्न-भिन्न देशों के साथ भारत के आपसी संबंधों का भी पुन-र्निर्धारण हुआ है। इसका पता भारत एवं ब्राज़ील की ओर से संयुक्त रूप से दिये गये ब्यान से भी  चलता है। इसमें कहा गया है कि भविष्य में भारत और ब्राज़ील का इस क्षेत्र में आपसी सहयोग होता रहेगा। नये वर्ष में इसरो की यह पहली बड़ी सफलता है, और इसके साथ ही इसरो एवं कामयाबी एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। यह भी एक बड़ा तथ्य है कि जितने बजट में नासा जैसे अन्य संस्थान कोई परियोजना तैयार करते हैं, भारतीय वैज्ञानिक उतने दायरे में एक बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर लेते हैं। इस कार्यक्रम की सफलता पर जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों के बधाई दी है, वहीं इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने कहा है कि इस वर्ष इसरो का अन्तरिक्ष अभियान  व्यापक स्तर पर तैयार किया गया है और कि 14 और मिशन प्रक्षेपण की प्रतीक्षा सूची में हैं। नि:संदेह इसरो की अब तक की उपलब्धियों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अन्तरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत एक बड़ी शक्ति बन कर उभर रहा है और कि देश की यह बड़ी पुलांघ एक स्वागत-योग्य उपलब्धि कही जा सकती है।