दीवान सिंह कालेपानी की शहादत एवं वारिस

मैंने अपनी पढ़ाई के समय दीवान सिंह कालेपानी की कविता भी पढ़ी थी तथा उनकी शहादत बारे भी जानकारी ली। फिर दिल्ली जाकर रहते समय उनका बेटा हरवंत ढिल्लों कॉफी हाऊस में मेरा इतना करीबी हो गया कि मैंने उनकी बड़ी बेटी सुदर्शन कौर, छोटी इंदिरा बल्ल एवं बेटे दविन्दर तथा उनके परिवारों में पूरी तरह घुल-मिल गया। पूरा परिवार इतना सद्भावनापूर्ण है कि आप पहली मुलाकात में ही एक दूसरे के हो जाते हो। 
कुदरत का खेल यह कि इस परिवार के कई सदस्यों ने दीर्घायु नहीं भोगी। दीवान सिंह का 47 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका कारण तो कष्टों से पैदा हुई शहादत थी परन्तु बड़ा बेटा रछपाल सिंह 35 वर्ष की आयु में ही चल बसा। बड़ी बेटी लम्बा समय नहीं जीवित रह सकी। यह अलग बात है कि महिन्द्र सिंह, हरवंत सिंह तथा इंदिरा ने अच्छी उम्र भोगी और भोग रहे हैं। महिन्द्र सिंह ने तो न्यू चंडीगढ़ के निकट कुराली-बद्दी मार्ग पर सिस्वां क्षेत्र में एक अजायब घर बनाया जिसमें दीवान सिंह कालेपानी की सचित्र यादें प्रदर्शित हैं तथा उनके द्वारा लिखित पुस्तकें भी। अजायब घर के बाहर पिता की प्रतिमा भी है। इस सब कुछ की देखभाल के लिए परिवार ने उचित फंड का भी प्रबंध कर रखा है तथा इसके इस्तेमाल की जिम्मेदारी चंडीगढ़ रह रही महिन्द्र सिंह की जीवन साथी गुरदर्शन कौर को सौंपी हुई है। चारों ओर लगे फूलों, पौधों की देखभाल का खर्च उस फंड में से होता है। 
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 15 अगस्त को वहां आस-पड़ोस के सभी निवासी तथा उनके बच्चे बुलाये गये थे जिनके खेलने का पूरा प्रबंध था। दूरवर्ती राज्यों से रोज़ी-रोटी के लिए यहां आए यह लोग समूचे भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 
मुझे अपनी पत्नी सुरजीत, सुरजीत के सच्चे मित्र दलजीत एवं उनकी जीवन साथी इन्द्रजीत को बहुत अच्छा लगा। इस प्रकार की यादें बनाना तथा मनाना प्रत्येक किसी के बस की बात नहीं। डा. दीवान सिंह अमर रहे।
पाकिस्तानी गायक साईं ज़हूर एवं हीर वारिस 
लाहौर के रहने वाला साईं ज़हूर एक तारे से गाने वाला बड़ा नाम है। उन्हें बाबा फरीद, बुल्ले शाह, शाह हुसैन, वारिस शाह, हाशम सहित सूफी कलाम के अच्छे गायक के रूप में जाना जाता है। उसके द्वारा गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर गायी गई गुरवाणी आज तक चर्चा में है। उन्हें पाकिस्तान से बाहरी देशों से भी निमंत्रण आते है। अगस्त माह के अंतिम दिनों में लंदन के किसी कार्यक्रम में वारिस की हीर गाते समय शरीर में शूगर कम होने के कारण वह मंच पर ही गिर गये। गुरमति कालेज पटियाला की प्रिंसीपल हैरान थी कि वह चार दिन पहले लाहौर में उन्हें मिलने गई थी तो उस समय वह स्वस्थ थे। जसबीर नहीं जानती थी कि वह शूगर के मरीज़ है। उन्हें लंदन के अस्पताल में दाखिल करवाया गया तो अफवाह फैल गई कि उनका निधन हो गया है। यह गलत था। वापस लौट आने पर हर किसी ने सुख की सांस ली। 
बशिन्दर ग्रेवाल का कैलिफोर्निया 
मेरे पड़ोसी कर्नल ए.एस. ग्रेवाल का बेटा 1986 से अमरीका रह रहा है। वह बिजनेस मैनेजमैंट की पढ़ाई करके अमरीका चला गया था। उसकी व्यापारिक प्रबंधों से लम्बी नौकरी के कारण उसे हिताची अमरीका नामक कम्पनी ने अपने आधा दर्जन कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंप दी है जिसमें वाइप्रो तथा इनफोसिस भी शामिल हैं। भविष्य में बशिन्दर इस कम्पनी के लगभग पूर्ण तालमेल का प्रभारी होगा। बशिन्दर ने अपने परिवार का ही नहीं समूचे ग्रेवालों का नाम रौशन किया है। मुबारकां।
अंतिका
—महिन्दरदीप ग्रेवाल—
पतझड़ां नूं नाल लै के तुर रही है ज़िन्दगी,
ऐस विच्च वी पल रहीआं किन्नीयां बहारां।