ऊर्जा की बचत करना हमारा दायित्व

सामान्य रूप से जब हम ऊर्जा की बचत की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय मूलत: बिजली, पेट्रोलियम पदार्थों  एवं खनिज कोयले की बचत से ही होता है। भू-गर्भीय पेट्रोलियम पदार्थ एवं कोयला करोड़ों वर्षों की नैसर्गिक प्रक्रि या से बने हैं। इनके भंडार सीमित हैं। भावी पीढ़ी के प्रति हमारा दायित्व है कि हम निहित वर्तमान के स्वार्थ हेतु, प्रकृति के इन अनमोल भंडारों का हृस न कर डालें। ये प्राकृतिक वरदान भविष्य के लिये संरक्षित रखना भी हमारा दायित्व है।  ऐसा तभी संभव है जब हम आवश्यकता के अनुरूप ऊर्जा का उपयोग करें। ऊर्जा का दुरुपयोग अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारने जैसा मूर्खतापूर्ण कार्य है। माचिस की एक तीली तेल के कुंए में आग लगा सकती है। ज्वलनशील प्राकृतिक गैस के भंडार, ऊर्जा के प्रति हमारे दायित्व बोध के अभाव में बेकार हो सकते है एवं प्रदूषण का कारण बन सकते हैं जबकि इनके न्यायिक उपयोग हेतु धरती ने अब तक इन भंडारों को हमारे लिये, करोड़ों वर्षों से कई किलोमीटर नीचे अपने गर्भ में संजो कर रखा है। पेट्रोलियम पदार्थ  तथा विद्युत की बढ़ती कीमतों के बाद भी इनकी मांग बढ़ती जा रही है। उसका कारण यही है कि आज ऊर्जा के ये संसाधन जीवन की प्राथमिक अनिवार्यता बन चुके है किंतु केवल इनका मूल्य चुका देने भर से हम इनके दुरुपयोग के अधिकारी नहीं बन जाते क्योंकि ये प्रकृति प्रदत्त उपहार भविष्य की धरोहर हैं।  भारतीय परिवेश में तो इन ऊर्जा स्रोतों पर शासन बड़ी मात्र में सब्सिडी भी दे रहा है, अर्थात् बिजली, पेट्रोल, गैस का जो मूल्य हम चुकाते हैं, उसका वास्तविक मूल्य उससे कहीं ज्यादा है।
ऊर्जा की बचत करके न केवल हम अपने बिलों में कमी करके आर्थिक बचत कर सकते हैं वरन् बिजली की कमी पूरी करने में भी अपना सामाजिक दायित्व निभा सकते हैं। सुबह और शाम जब लगभग एक साथ ही सारे कारखाने, कार्यालय आदि प्रारंभ होते हैं, एवं शाम को सारे प्रकाश स्रोत एक साथ जलाये जाते हैं तो बिजली की मांग एकाएक अपने शीर्ष पर पहुंच जाती है।  
इस समय में मांग एवं आपूर्ति में अधिकतम अन्तर होता है। इससे निपटने के लिये जल विद्युत उत्पादन का सहारा लिया जाता है क्योंकि उससे ही त्वरित रूप से विद्युत उत्पादन बढ़ाया या घटाया जा सकता है। आम नागरिक का दायित्व है कि हम सब जिनके पास इनवर्टर, जनरेटर आदि विद्युत उत्पादक उपकरण हैं, हम उनका उपयोग पीक आवर्स में अवश्य करें। इससे हमारे ये उपकरण रोज चलते रहने से, चार्ज-डिस्चार्ज होते रहने से खराब भी नहीं होंगे और ऊर्जा समस्या के समाधान यज्ञ में हम भी अपनी एक आहुति डाल सकेंगे।  बूंद-बूंद से ही घट भरता है। पीक अवर्स में हम सब का कर्त्तव्य है कि हम बिजली का कम से कम उपयोग करें।  केवल अति आवश्यक उपकरण ही चलायें।  हम सबके सामूहिक सहयोग से ही ऊर्जा की कमी की इस समस्या का निदान संभव है।
पम्प आदि बड़े उपकरणों के साथ कैपेसिटर्स स्वयं ही लगायें जिससे इन उपकरणों के चलाने पर वोल्टेज हानि न हो। मशीनों के मैकेनिकल हिस्सों पर तेल, ग्रीज आदि का नियमित उपयोग करें जिससे घर्षण से ऊर्जा की हानि न हो। घरेलू उपयोग में हमारा दायित्व है कि हम कमरे की दीवारें हल्के रंगों से पुताई करवाएं जिससे प्रकाश हेतु इनर्जी एफीशियेंट कम खपत वाले उपकरणों का उपयोग किया जा सके। दिन में प्राकृतिक प्रकाश का उपयोग किया जाए। परिवार के प्रत्येक सदस्य आदत डालें कि कमरे से बाहर जाते समय सारे स्विच बंद करके ही निकलें। वाशिंग मशीन का उपयोग उसकी क्षमतानुसार पर्याप्त कपड़े एकत्रित होने के बाद ही करें। बिजली के सारे उपकरण आईएसआई मार्क ही उपयोग करें। यह सुरक्षा की दृष्टि से भी आवश्यक है। 
इसी तरह पेट्रोलियम पदार्थों के मामले में एक ही ओर आने जाने हेतु वाहन पूल करें। टायरों में समुचित एयर प्रेशर रखें।  इंजन ट्यून करवाएं। आइल ग्रीज का उपयोग करें तो ऊर्जा की पर्याप्त बचत संभव है।  पेट्रोलियम गैस खाना बनाने हेतु उपयोग की जाती है। गैस बर्नर की समुचित सफाई, तांबे की तली वाले, चपटे सतह के बर्तन उपयोग से ऊर्जा बचती है। प्रेशर कुकर में भोजन कम समय एवं कम ऊर्जा में पक जाता है। इस तरह ये छोटी छोटी बातें ऊर्जा की बचत हेतु हमारा दायित्व बोध कराती हैं। सौर ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिये। सोलर कुकर एवं सोलर वाटर हीटर हम सबके लिये सुलभ है। यदि हम ऊर्जा क्षेत्र में अपने दायित्वों को समझ कर उनका निर्वहन करें तो ऊर्जा समस्या का कुछ निदान संभव है। (अदिति)