उपलब्ध स्रोतों का संतुलित बजट


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू की सरकार ने यद्यपि वित्तीय घाटे में चल रही अपनी सरकार के पहले बजट में कोई नया कर नहीं लगाया है, किन्तु प्रदेश का राजस्व बढ़ाने के लिए गौ-कर लागू करके एक तीर से दो-दो शिकार करने की कोशिशें अवश्य की गई हैं। प्रदेश में शराब की प्रत्येक बोतल पर दस रुपये न्यूनतम का शुल्क लगा कर एक ओर तो दुग्ध उत्पादकों को लाभ पहुंचाने का दावा किया गया है, वहीं इससे सरकारी कोष में भी वृद्धि होने की बात कही गई है। इस गौ-कर से एक सौ करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व एकत्रित किये जाने की उम्मीद है। गौ-कर के नाम पर पहले भी देश की कई सरकारें शराब पर शुल्क लगाती रही हैं, किन्तु अक्सर इस शुल्क से प्राप्त राशि का सदुपयोग नहीं होता रहा है। इसके साथ ही चालू वर्ष हेतु 13 नई योजनाएं शुरू करने की भी बजटीय घोषणा की गई है।
मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू द्वारा विधानसभा में स्वयं पेश किये गये 53413 करोड़ रुपये के बजट में युवाओं और महिलाओं को आकर्षित करने के लिए अनेक घोषणाएं की गई हैं जिनमें से 90 हज़ार युवाओं को नौकरी जैसा रोज़गार दिये जाने की घोषणा भी शामिल है। इन 90 हज़ार रोज़गारों में से 30 हज़ार नौकरियां सरकारी धरातल पर होंगी। आऊट-सोर्स कर्मचारियों को मानदेय के रूप में दी जाने वाली राशि को बढ़ाना भी युवाओं के हित में फैसला है। इससे नि:सन्देह एक ओर युवाओं में रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं विकास की धारा को भी बल मिलने की बड़ी सम्भावना है। इसके साथ ही, प्रदेश की सभी दो लाख तीस हज़ार से अधिक महिलाओं को 1500 रुपये की राशि दिये जाने की बात भी कही गई है जिसका स्पष्ट अभिप्राय प्रदेश की महिला शक्ति को चुनाव-पूर्व समय में दी गई एक बड़ी गारंटी को पूरा करना है। युवाओं को रोज़गार की गारंटी हेतु वित्त वर्ष 2023-24 में 20,000 करोड़ रुपये के निजी निवेश का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। इस प्रकार मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू की सरकार की ओर से पेश किया गया पहला बजट यथासम्भव दी गई गारंटियों को पूरा करने, और अधिकाधिक जन-समर्थन जुटाये जाने पर केन्द्रित दिखाई दिया है। बजट में वित्तीय कमियों को पूरा करने के लिए 4000 करोड़ रुपये बिजली पर शुल्क लगा कर एकत्रित किये जाने का प्रावधान किया गया है। नि:सन्देह पानी और बिजली पर प्रदेश का स्वामित्व अधिकार जताये जाने और बिजली उत्पादन पर शुल्क लगाये जाने का अतिरिक्त अधिभार पंजाब और अन्य पड़ोसी प्रांतों पर भी पड़ेगा।
बजट में हिमाचल को हरित प्रदेश बनाये जाने की जो घोषणा की गई है, उसके पक्ष में यह बात भी जाती है कि मुख्यमंत्री स्वयं ही वित्त मंत्री भी हैं, अत: इस योजना हेतु आबंटित राशि के लिए कोई समस्या नहीं आ सकती। इस हेतु विद्युत वाहनों के प्रचलन पर बल देने के लिए 50 प्रतिशत तक सबसिडी का प्रावधान एक सशक्त पहलू है। बजट में राजीव गांधी माडल डे-बोर्डिंग स्कूलों हेतु घोषणा शिक्षा के धरातल पर एक आकर्षक पक्ष हो सकता है। हम समझते हैं कि नि:सन्देह रूप से मुख्यमंत्री ने घाटे की अर्थ-व्यवस्था के बीच उपलब्ध स्रोतों के आंकड़ों का एक निजी गणित तैयार करके अपने पहले प्रयास के रूप में एक अच्छा बजट पेश किया है। किन्तु वित्तीय घाटे और राजस्व घाटे की भारी-भरकम राशियों के बीच प्रदेश की आर्थिकता को मज़बूत सम्बल दिये रखना एक बड़ा कठिन और श्रम-साध्य कार्य हो सकता है। मुख्यमंत्री इस हेतु पूरे वर्ष में कैसा उलट-फेर करते हैं और क्रियान्वयन का क्या तरीका अपनाते हैं, यह अभी देखने वाली बात होगी।