मन की बात


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अपने मासिक रेडियो प्रसारण का यह कार्यक्रम बड़ी सीमा तक सफल रहा है। इसमें कुछ महत्वपूर्ण पहलू उभरे हैं। आज जबकि तकनीकी युग में अनेक प्रकार के अद्भुत आविष्कार सामने आ रहे हैं, तो दशकों पुराने रेडियो का महत्व इनके सामने फीका पड़ता दिखाई देता रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने इस रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से एक बार फिर लोगों के रेडियो सुनने के शौक  को बढ़ाया है। इस मासिक कार्यक्रम की 100वीं कड़ी पूरी होने पर इसे योजनाबद्ध ढंग से प्रत्येक स्तर पर उजागर किया गया है। ऐसी ही योजना इस कार्यक्रम के शुरू होने से अब तक बड़ी सोच समझ कर बनाई गई थी ताकि इसे अधिक से अधिक  लोग सुन सकें। इस संबंधी श्री मोदी की हम बड़ी सफलता इस बात में समझते हैं कि उन्होंने इसके माध्यम से आम लोगों के साथ-साथ हाशिये पर चले गए लोगों का भी ज़िक्र विस्तार में किया है। देश के सामाजिक जीवन में छोटे से छोटे मासले को लेकर जन-साधारण में उस के महत्व को उजागर किया है। देश भर के अनेक क्षेत्रों में से उत्साह से भरपूर कुछ व्यक्तियों की प्रेरणादायक वार्ताओं को देश के करोड़ों लोगों से साझा किया है। इनमें से कुछ कड़ियां बेहद साधारण थीं परन्तु उनके भीतर के उत्साह से देशवासियों की साझ डालना तथा उनको एक सूत्र में पिरोने का यत्न करना अनूठी एवं एक नई मिसाल थी, जो अपने उद्देश्य में सफल हुई है। 
छोटे-छोटे यत्नों से पानी को कैसे बचाना है, गांवों, कस्बों एवं शहरों में रहते लोगों को अपने आस-पास को स्वच्छ रखने के लिए किस प्रकार सचेत करना है। पुरुष की मानसिकता को बदलने हेतु बच्चियों से प्यार करना और देश का भविष्य बताना भी इस कड़ी में शामिल था। कोविड जैसी महामारी के दौरान लोगों को अपने ढंग-तरीके के साथ नये से नये उदाहरण देकर उत्साहित किये रखने का यत्न भी इस प्रोग्राम का हिस्सा रहा है। ज़रूरतमंद गरीबों और दयनीयता की ज़िंदगी जी रहे लोगों की हर दिन की समस्याओं के साथ सांझ डालने और देशवासियों को इसके प्रति सचेत करना सही दिशा में उठाए गये कदम कहा जा सकता है। अपने देश में उदाहरण देकर हर प्रकार के छोटे उद्योगों को लगाने की प्रेरणा, कृषि के साथ जुड़े अन्य व्यवसायों को अपनाने के लिए उत्साहित करना, अपनी धरती को हरा-भरा करने के लिए वृक्ष लगाने, खेलों और योगा को उत्साहित करना, देश के अनेक त्योहारों के साथ सब की साझ डालना आज के तकनीकी युग में किताबों की महत्ता को दर्शाने का यत्न करना, इस कड़ी का एक हिस्सा रहा है। 
नि:संदेह इस कड़ी ने अलग-अलग समाजों को जोड़ने और एक सूत्र में पिरोने का काम किया है। खासतौर पर नौजवानों के अनेक मामलों को अपने ढंग-तरीके के साथ उजागर करना और गुमनाम लोगों के अच्छे और उत्साह देने वाले कामों को सबसे साझा करना ऐसा यत्न है जो लोगों के मन में स्थाई प्रभाव डालने की अभिव्यक्ति करता है। आज के जीवन में अनेक छोटे-छोटे प्रेरणा-स्त्रोत अकस्मात ही गुज़र जाते हैं उनको केन्द्र बिन्दु बनाने का यत्न भावपूर्ण माना जा सकता है। हम प्रधानमंत्री के इस प्रेरणामय कार्य के लिए उनको शुभकामनाएं देते हैं। नि:संदेह ऐसे यत्न देश को एक मज़बूत सूत्र में बांधने में सहायक होते हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द