स्वच्छ भारत के लिए कचरे का उचित प्रबंधन ज़रूरी

 

आधुनिक भारत में बदलती जीवनशैली, अनियोजित शहरीकरण और औद्योगीकरण फलस्वरूप देश के नगर निकायों के लिए कचरे के निबटान की समस्या एक गम्भीर समस्या बन के उभर रही है। भारत में नगरपालिका क्षेत्र में ठोस कचरे की संरचना में बायोडिग्रेडेबल, प्लास्टिक, कागज़ एवं अन्य जिसमे कपड़ा, कांच, धातु, नाली गाद, सड़क की सफाई इतियादि का कचरा शामिल है। भारतीय शहरों में गीले कचरे का मिश्रण दीर्घ काल तक रहता है। कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए लैंडफिल विकसित करने के लिए सरकार द्वारा भूमि निर्धारित की गई है। इन लैंडफिल स्थानों में कचरे के ढेर वातावरण में कार्बनिक पदार्थ का निरन्तर अपघटन करते रहते हैं और ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ावा दे रहे हैं। बढ़ते ओद्योगीकरण के दौर में आज कचरे का उचित प्रबंधन समय की मांग हो गयी है क्यों कि आज विश्व में यह अवधारणा प्रबल हो चली है कि ‘वेस्ट इज़ नॉट वेस्ट’।
भारत में एक लैंडफिल के बारे में सोचें तो दिमाग में कूड़े का विशाल ढेर, ज़हरीली बदबू, आकाश में मंडराने वाले पक्षियों के झुंड और कूड़ा बीनने वाले की तस्वीर उभर कर सामने आती है। डंपिंग ग्राउंड को अपने तरह का विहंगम पार्क का रूप किस तरह से प्रदान किया जा सकता है। इस तरह का उदहारण महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के वेंगुरला में देखने को मिलता है, जो आज हर साल लाखों पर्यटकों का गवाह बना हुआ है। स्वच्छ भारत अपशिष्ट पार्क नामक इस लैंडफिल को नगर पालिका के अधिकारियों के सहयोग से एक सुंदर पर्यटक आकर्षण में बदल दिया गया है। इसी तरह के डंपिंग ग्राउंड को खेल का मैदान एवं पार्क में बदलने का काम विभिन्न शहरों में बढ़ रहा है। इन शहरों में डंपिंग ग्राउंड का स्वरूप बदलने से पूर्व कचरे के उचित निबटान व सुप्रबंधन के फलस्वरूप ही कचरे को लेकर एक क्रान्ति की शुरुआत संभव हो पाई है। डंपिंग ग्राउंड को खेल के मैदान या फिर पार्क में परिवर्तित करने में मिश्रित कूड़ा ही एक मात्र समस्या है जो कि वर्तमान में पर्यावरणीय क्षरण का कारण बना हुआ है। वैसे तो सूखा कचरा जिसमे धातु, कागज़ इतियादि पहले ही बीन लिए जाते हैं। यह मिश्रित कचरे का कुप्रबंधन ही है जो कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए भी ज़िम्मेदार बना हुआ है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सर्वप्रथम शहरों में प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करना होगा। इसमें पहले तत्काल प्रभाव से 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध लगाना होगा और नागरिकों द्वारा पेपर बैग के प्रयोग को अनिवार्य करना होगा। कचरा प्रबंधन के अंतर्गत नगर निकायों द्वारा गीले और सूखे कचरे को अलग करने की व्यवस्था करनी होगी तथा पर्यावर्णीय सुधार हेतु कठोर कदम तत्काल प्रभाव से कार्यन्वित करवाने होंगे, जिनमें एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाना होगा एवं विक्रेताओं और दुकानदारों को कुछ घंटे के लिए प्लास्टिक का उपयोग बंद करने के लिए उत्प्रेरित करना होगा। इसकी शुरुआत सरकारी भवनों से आरम्भ करनी होगी तथा सरकारी भवनों में प्लास्टिक की किसी भी वस्तु का निषेध करना होगा। नगर निकायों द्वारा कचरा ढोने वाले वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए भी काम करना होगा ताकि कचरा संग्रहण त्वरित गति से संभव हो सके। इसमें सोशल मीडिया का सहयोग लिया जा सकता है।

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