हरियाणा में फिलहाल बना रहेगा भाजपा- जजपा गठबंधन

पिछले विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा में भाजपा और जजपा का गठबंधन हुआ था और दोनों दल करीब पौने 4 साल से प्रदेश में गठबंधन सरकार चला रहे हैं। पिछले चुनाव में भाजपा को 40 और जजपा को 10 सीटें मिली थीं। जजपा के कोटे से दुष्यंत चौटाला उप-मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र बबली कैबिनेट मंत्री व अनूप धानक राज्य मंत्री बनाए गए। इसके अलावा जजपा कोटे से प्रदेश के कई बोर्ड निगमों के चेयरमैन भी बनाए गए हैं। त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब जब से हरियाणा भाजपा के प्रभारी बनाए गए हैं, तभी से भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया था। 
प्रदेश भाजपा प्रभारी के कुछ ऐसे ब्यान भी आए थे जिससे यही संकेत जा रहा था कि गठबंधन किसी भी समय टूट सकता है। अब राजग की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा द्वारा जजपा के अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला और उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को शामिल होने का न्यौता मिलने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के साथ राजग नेताओं की बैठक में अजय चौटाला व दुष्यंत चौटाला के शामिल होने के बाद उन सभी अफवाहों पर विराम लग गया जो लगातार प्रदेश में गठबंधन के टूटने को लेकर चल रही थी। वैसे प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप- मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने गठबंधन को लेकर हमेशा यही कहा था कि दोनों दलों का गठबंधन बढ़िया चल रहा है और  कहीं कोई विवाद नहीं है। इस सबके बावजूद जो लोग मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं या जिनके अपने एजेंडे थे, वे लगातार इन प्रयासों में लगे हुए थे कि किसी न किसी तरह से गठबंधन को तुड़वाया जाए, लेकिन उनकी उम्मीदों पर अब पानी फिर गया है और एक बार फिर भाजपा नेतृत्व ने यह साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनावों की घोषणा तक तो यह गठबंधन तो जरूर चलेगा। 
गंभीर रूप धारण करती जा रही है क्लर्कों की हड़ताल
हरियाणा में क्लर्कों की हड़ताल धीरे-धीरे गंभीर रूप धारण करती जा रही है। पहली बार प्रदेश के सभी क्लर्क हड़ताल पर हैं और हड़ताल लगातार 3 सप्ताह से चल रही है। अभी तक हड़ताल खत्म होने के भी कोई आसार नजर नहीं आ रहे। क्लर्कों के संगठन ने सिर्फ एक मांग को लेकर हड़ताल शुरू की है और यह हड़ताल करने वाला क्लर्कों का संगठन भाजपा की मजदूर इकाई बीएमएस के साथ जुड़ा हुआ है। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार है और सरकार के खिलाफ आन्दोलन चलाने वाला संगठन भी भाजपा का ही है। इसी के चलते सरकार के सामने भारी दुविधा पैदा हो गई है। हड़ताल में प्रदेश के सभी विभागों, बोर्ड निगमों व अन्य संस्थानों के क्लर्क शामिल हैं। क्लर्कों की मुख्य मांग 35,400 रुपये का वेतनमान दिए जाने की है। प्रदेश में जब भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय अगस्त 2014 में हुड्डा सरकार ने प्रदेश मंत्रिमंडल में एक प्रस्ताव पारित करके क्लर्कों को 35,400 रुपए का वेतनमान दिए जाने का निर्णय लिया था। यह निर्णय लागू होने से पहले चुनावों की घोषणा हो गई और प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद यह फैसला लागू नहीं हो पाया था।
9 साल से रोका हुआ है फैसला
प्रदेश में मनोहर लाल के नेतृत्व में 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद हुड्डा मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया फैसला न तो रद्द किया गया और न ही उसे लागू किया गया, बल्कि उस फैसले को रोक कर रख दिया। पिछले करीब 9 सालों से यह फैसला होल्ड पर है। अब तक प्रदेश के क्लर्क गाहे-बगाहे सरकार से इस फैसले को लागू करने की मांग करते रहे हैं लेकिन कभी इस मांग को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब भारतीय मजदूर संघ से जुड़ा हुआ हरियाणा राज्य कर्मचारी संघ की क्लर्कों की एसोसिएशन सरेआम आन्दोलन पर आ गई और प्रदेश में 5 जुलाई से आन्दोलन शुरू हो गया है। क्लर्कों की हड़ताल को खत्म करवाने के लिए पहले क्लर्कों के संगठन और मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव के बीच एक बैठक भी हुई थी, लेकिन वह बैठक पूरी तरह से बेनतीजा रही। इसके बाद आन्दोलनकारी क्लर्कों के संगठन की मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी. उमाशंकर के साथ भी एक बैठक हुई लेकिन इस बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया। हड़ताल के साथ-साथ क्लर्कों ने अब कर्मिक भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है। आन्दोलनकारी क्लर्कों व सरकार के बीच तीसरे दौर की बातचीत भी जल्द होने के आसार हैं।
बीएमएस से जुड़े हैं हड़ताली
अभी तक तो हड़ताली कर्मचारी भारत माता की जय के नारे लगाते हुए 35,400 का पे ग्रेड दिए जाने की मांग कर रहे हैं। हरियाणा राज्य कर्मचारी संघ प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण लाल गुज्जर का कहना है कि क्लर्क अपने कार्य समीक्षा के आधार पर यह वेतनमान मांग रहे हैं और अब क्लर्कों के कामकाज में पहले से बहुत ज्यादा बढ़ौतरी भी हो गई है। क्लर्कों को कम्प्यूटर पर काम करने के अलावा डायरी डिस्पैच सहित अनेक काम करने पड़ते हैं और बिजली बोर्ड सहित कईं बोर्ड निगमों में क्लर्कों को पहले से ही 35,400 या इससे ज्यादा का वेतनमान मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्दी ही क्लर्कों की इस जायज मांग  जो प्रदेश मंत्रिमंडल से पहले ही मंजूर की जा चुकी है, को उसे लागू न किया तो कर्मचारियों को मजबूरन कड़े कदम उठाने पड़ेंगे और कर्मचारी आमरण अनशन से लेकर जेल भरो आन्दोलन का भी निर्णय ले सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 2 अगस्त को प्रदेशभर में आन्दोलनकारी कर्मचारी उपायुक्तों के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजेंगे और फिर भी उनकी एकमात्र मांग को अनसुना किया गया तो वे अगले चरण में प्रदेश के तमाम विधायकों और मंत्रियों के आवास का भी घेराव करेंगे। आन्दोलन करने वाला संगठन क्योंकि भाजपा की मजदूर इकाई बीएमएस के साथ जुड़ा हुआ है, इसी के चलते सरकार आन्दोलनकारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम भी नहीं उठा रही। 
क्लर्कों का सबसे सफल आन्दोलन
प्रदेश में पहली बार क्लर्कों का आन्दोलन इतने बड़े व व्यापक स्तर पर सफल हुआ है और प्रदेश में बीएमएस का भी यह अब तक का सबसे सफल आन्दोलन है। इस आन्दोलन को चाहे बीएमएस से जुड़े हुए कर्मचारी संगठन ने शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे प्रदेश के अन्य कर्मचारी संगठन भी क्लर्कों की इस मांग को जायज़ बताते हुए खुलकर इस आन्दोलन के साथ जुड़ गए हैं। सरकार इस आन्दोलन को शांतिपूर्वक समाप्त करवाने के लिए प्रयासरत है और सरकार की यह भी कोशिश है कि कोई बीच-बचाव का रास्ता तलाश कर लिया जाए। लेकिन आन्दोलनकारी क्लर्कों का संगठन सिर्फ इस बात की मांग कर रहा है कि अगस्त 2014 में मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में क्लर्कों को 35,400 का पे ग्रेड देने का जो निर्णय मंत्रिमंडल ले चुका है और जिसे अब तक रोक कर रखा गया है, उस फैसले को बिना कोई किन्तु-परंतु लगाए लागू किया जाए। सरकार अगर क्लर्कों की यह मांग स्वीकार कर लेती है तो भाजपा के मजदूर संगठन बीएमएस के साथ जुड़े हुए कर्मचारी संगठन की बल्ले-बल्ले हो जाएगी और अगर बीएमएस के कर्मचारी संगठन को बिना मांग मनवाए अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा तो यह बीएमएस के लिए भारी झटका होगा और अन्य कर्मचारी संगठनों के सामने वह कमजोर पड़ जाएगा। आने वाले दिनों में सरकार क्लर्कों के आन्दोलन को कैसे निपटती है और आन्दोलनकारी कर्मचारी क्या कदम उठाते हैं, फिलहाल सभी की नजरें इस ओर लगी हुई हैं। 
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