राहुल गांधी ने भाजपा पर लगाए देश को बर्बाद करने के आरोप

 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। लोकसभा में केरल के वायनाड चुनाव क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में लोकसभा में पुन: सदस्यता बहाल होने के बाद उनका दिल्ली में कांग्रेस के मुख्य कार्यालय में ज़ोरदार स्वागत हुआ। इस अवसर पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने ‘न डरेंगे, न झुकेंगे’ तथा ‘नफरत हटाओ, भारत जोड़ो’ के नारे भी लगाए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले अपने कमरे में एक बैठक के दौरान विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं को मिठाई बांटी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल का जो भी समय बचा है, उसका विपक्षी नेताओं को निशाना बना कर लोकतंत्र को बदनाम करने के बजाय असल शासन पर ध्यान केन्द्रित करके इसका सही इस्तेमाल करना चाहिए। इस दौरान राहुल गांधी ने बुधवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी पर जम कर निशाने साधे और आरोप लगाते हुए कहा, ‘आप पूरे देश को आग में फेंक रहे हैं। पहले मणिपुर था, अब हरियाणा है। आप पूरे देश को जलाना चाहते हैं।’ मोदी तथा केन्द्र सरकार पर अब तक के सबसे तीव्र हमलों में राहुल गांधी ने मोदी पर पर ‘मणिपुर में भारत माता की हत्या’ करने का आरोप लगाया। 
कांग्रेस का नरम हिन्दुत्व स्वर 
मध्य प्रदेश में भाजपा का मुकाबला करने के लिए और ‘हिन्दू विरोधी पार्टी’ का लेबल लगने से बचने के लिए कांग्रेस नरम हिन्दुत्व का इस्तेमाल करने की ओर झुकी हुई है। ऐसा करके वह स्वयं को हिन्दू विरोधी होने के आरोपों से बचना चाहती है और हिन्दू आबादी में सकारात्मक छवि बनाए रखना चाहती है। कांग्रेसी सांसद तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि क्योंकि देश में 82 प्रतिशत लोग हिन्दू थे, इसलिए भारत पहले से ही एक हिन्दू राष्ट्र था। उन्होंने कथित धर्मगुरु धीरेन्द्र शास्त्री की हिन्दू राष्ट्र की मांग का ज़िक्र करते हुए यह बात कही। नाथ ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई बहस नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह आंकड़ों पर आधारित एक स्थापित तथ्य है। 
दूसरी ओर आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने छिंदवाड़ा में धीरेन्द्र शास्त्री की मेज़बानी के लिए कांग्रेस सांसद नकुल कमलनाथ की आलोचना की और आरोप लगाया कि बागेश्वर धाम प्रमुख  सरेआम भारत को हिन्दू राष्ट्र में बदलने का वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम शास्त्री का उनके हिन्दुत्व के एजेंडे के लिए विरोध कर रहे हैं। देश संविधान से चलता है, किसी अन्य की विचारधारा से नहीं। 
जातीय जनगणना के पक्ष में गहलोत
राज्य में विधानसभा चुनाव तथा 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सामाजिक न्याय की राजनीति पर ज़ोर देने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा की है कि उनकी सरकार जाति आधारित जनगणना करवाने के पक्ष में है और ओबीसी कोटा 6 प्रतिशत बढ़ा कर 21 से 27 प्रतिशत करने की दिशा में आगे बढ़ेगी, यह कदम ओबीसी वोट बैंक पर कांग्रेस पार्टी की स्थिति को मज़बूत करने पर केन्द्रित है। राजस्थान में ओबीसी आबादी 50 प्रतिशत से कुछ अधिक है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना सबसे पिछड़ी जातियों की पहचान करने में सहायता प्रदान करेगी और शायद यह देख सकेगी कि उन्हें आरक्षण का लाभ मिलता है या नहीं। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार से तुरंत जाति आधारित जनगणना करवाने की मांग की थी। 
 जातीय जनगणना की मांग
उत्तर प्रदेश में भाजपा तथा समाजवादी पार्टी ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी काडर को मज़बूत करने तथा सामाजिक न्याय की राजनीति को पुन: जीवित करने की कोशिश में समाजवादी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं, विशेष तौर पर पिछड़े वर्गों के नेताओं को, लोगों को सम्मिलित विकास के लिए जाति आधारित जनगणना की ज़रूरत के बारे बताने के लिए गांव स्तरीय बैठकें करने के निर्देश दिये हैं। 
दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भी जाति आधारित जनगणना की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसी जनगणना पूरे देश में होनी चाहिए, क्योंकि यह समाज के प्रत्येक वर्ग के विकास के लिए ज़रूरी है। मायावती ने कहा कि जाति आधारित जनगणना का मुद्दा, जैसे कि मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करना, न सिर्फ राजनीति के लिए अपितु सामाजिक न्याय का भी एक अनुकूल मामला है।  
नई भूमिका में नज़र आएंगी प्रियंका! 
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी में नई ज़िम्मेदारी मिल सकती है। प्रियंका को उत्तर प्रदेश के प्रभारी की भूमिका को छोड़ कर दूसरे राज्यों पर ध्यान देने की ज़रूरत पड़ सकती है। वह पहले ही मध्य प्रदेश में जबलपुर तथा ग्वालियर जैसे स्थानों का दौरा कर चुकी हैं, जहां उन्हें ज़बरदस्त प्रतिक्रिया भी मिली है। यदि प्रियंका को उत्तर प्रदेश के प्रभारी की भूमिका से मुक्त कर दिया जाता है तो उनके स्थान पर अनुभवी तारिक अनवर को उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनाए जाने की चर्चा है। जबकि प्रियंका को मध्य प्रदेश की प्रमुख महासचिव बनाया जाएगा और वह इस वर्ष के अंत में होने वाले चुनावों में पार्टी के अभियान में अहम भूमिका निभाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस को उन नेताओं के साथ सम्पर्क करने के लिए प्रियंका गांधी को मुख्य भूमिका देनी चाहिए, जो वास्तव में राहुल गांधी के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहे। (आईपीए)