मेल-मिलाप और साझ बनी रहे
अनेक पक्षों से भारत तथा कनाडा के गहरे रिश्ते बने रहे हैं। उनके दृष्टिगत दोनों देशों में पैदा हुये टकराव के कारण लोगों में आश्चर्य तथा चिन्ता बढ़ रही है। भारत द्वारा कैनेडियन नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं बंद करने के फैसले से स्थिति ने और भी गम्भीर मोड़ ले लिया है। ब्रिटेन के उपनिवेशवादी दौर में भी ये दोनों देश आपस में जुड़े रहे थे। कनाडा पर प्रत्येक पक्ष से अंग्रेज़ी प्रभाव कायम था। भारत में ब्रिटेन का शासन था। उस समय भी भारतीय किसी न किसी तरह कनाडा में जाकर रहते रहे तथा अपना कारोबार करते रहे थे। भारत की आज़ादी के बाद दोनों देशों में निकटता बढ़ी। इसके साथ-साथ दोनों देशों ने आपसी व्यापार के अलावा टैक्नालोजी, शिक्षा तथा व्यापारिक मेल-मिलाप भी बढ़ाया। विगत कुछ दशकों से बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थियों ने वहां शिक्षा तथा कामकाज करने को प्राथमिकता दी। कनाडा की समकालीन सरकारों ने ऐसे प्रवास के संबंध में कभी कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई, अपितु अपनी ज़रूरतों के दृष्टिगत प्रवासियों को वहां आने के लिए छूट प्रदान की। आज भारतीय मूल के भिन्न-भिन्न प्रदेशों से गये लोगों की वहां 19 लाख की जनसंख्या रहती है, जो वहां की जनसंख्या का 5.2 प्रतिशत बनती है। इस जनसंख्या में पंजाबी मूल के लोगों की भी संख्या लगभग 7 लाख 70 हज़ार है।
आज कनाडा के कुछ शहरों में तो पंजाबियों की बहुसंख्या हो चुकी है। वहां उन्होंने अपनी सांस्कृतिक पहचान भी बना ली है। अभी भी भारी संख्या में लाखों ही पंजाबी विद्यार्थी कनाडा जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारतीयों ने वहां आर्थिक रूप में भी अपना अहम योगदान डाला है परन्तु पिछले कुछ दशकों से पंजाब से गये ज्यादातर ऐसे लोगों का भी वहां जमावड़ा हो गया है, जो वहां पर भारत विरोधी गतिविधियों को भी अंजाम देते रहते हैं। उनकी ओर से खालिस्तान की मांग भी उठाई जाती रही है। इनमें से कुछ संगठनों के तार तो ऐसे देशों के साथ जुड़े रहे हैं, जो लगातार भारत में हिंसक गतिविधियां करवाने के यत्न करते रहे हैं। इस संबंध में विगत लम्बी अवधि से भारत द्वारा कनाडा की सरकार को अवगत भी करवाया जाता रहा है परन्तु इस बात का वहां की सरकार पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो तो विचारों की अभिव्यक्ति को लेकर इन संगठनों का पक्ष-पोषण ही करते रहे हैं। इस कारण भारत तथा कनाडा देश की सरकारों में दूरियां बढ़ती जा रही थीं। इसी सन्दर्भ में कनाडा के शहर सरी में जून मास में कुछ अज्ञात लोगों द्वारा खालिस्तान कमांडो फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की हुई हत्या ने दोनों देशों के संबंधों में तनाव और बढ़ा दिया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा वहां की संसद में बयान देते हुये निज्जर की हत्या के पीछे भारत की एजेंसियों का हाथ होने का गम्भीर आरोप लगाया गया। इसके साथ ही वहां की सरकार द्वारा एक भारतीय कूटनीतिज्ञ को देश से निकालने की घोषणा ने स्थिति को और भी बिगाड़ दिया, जिसके बाद भारत ने भी कनाडा के कूटनीतिज्ञ को देश से चले जाने का निर्देश जारी कर दिया। जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या को अपने देश की प्रभुसत्ता पर हमला करार दिया। भारत ने इन आरोपों को ‘बेतुका’ तथा ‘प्रेरित’ बता कर खारिज कर दिया। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी वहां से चलाई जा रही भारत विरोधी गतिविधियों को देश की प्रभुसत्ता के लिए ़खतरा बताया है।
हम जस्टिन ट्रूडो के बयान को परिपक्वता से रहित मानते हैं तथा उनके द्वारा की गई कार्रवाई को भी रोष तथा जल्दबाज़ी में उठाया गया कदम समझते हैं, जिसने भारत तथा कनाडा के संबंधों पर बेहद विपरीत प्रभाव डाला है। कनाडा की सरकार के पास यदि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में कोई ठोस प्रमाण हैं, तो उन्हें कूटनीतिक स्तर पर भारत सरकार के समक्ष रखा जाना चाहिए। दूसरी तरफ भारत सरकार द्वारा कैनेडियन नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं बंद करने को भी हम एक उचित फैसला नहीं समझते। इससे भारतीय मूल के बहुत-से उन नागरिकों की मुश्किलें बढ़ेंगी जिन्होंने कैनेडियन नागरिकता ली हुई है। भारत सरकार को इस ़फैसले पर पुन: विचार करना चाहिए। दोनों देशों के बढ़ते तनाव से आज कनाडा में विचरण कर रहे लाखों भारतीय विद्यार्थी, जिनमें पंजाब के विद्यार्थी अधिक हैं, भी अपने भविष्य को अनिश्चितता के साये में देख रहे हैं चाहे उनका किसी भी तरह की राजनीति के साथ कोई संबंध नहीं है। न ही वे कुछ संगठनों द्वारा भारत विरोधी की गई ऐसी गतिविधियों का ही हिस्सा हैं। आज व्यापक स्तर पर दोनों देशों के हित आपस में जुड़े हुये हैं, जिन्हें हर स्थिति में बरकरार रखा जाना चाहिए ताकि दोनों देशों में लम्बे समय की साझेदारी पर आंच न आ सके। सभी द्विपक्षीय मामले बातचीत से सुलझाये जाने चाहिएं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द