विधानसभाओं के चुनावों के बाद ही बसपा लेगी गठबंधन संबंधी फैसला  

उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए घोसी विधानसभा उप-चुनाव के परिणाम बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए खतरे की घंटी हैं, जिसने घोसी में पार्टी के अनुकूल जाति आधारित ढांचे के बावजूद कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। घोसी में दलित आबादी 22 प्रतिशत से अधिक है। बसपा के मैदान में न होने से इसमें बहुत-से वोट समाजवादी पार्टी को ंिमले, जो भाजपा तथा बसपा दोनों के लिए खतरनाक रुझान था। बसपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि दलित वोटों की उभरती तथा बदलती गतिशीलता पार्टी पर अपनी रणनीति का पुन: मूल्यांकन करने के लिए दबाव डाल सकती है। घोसी के परिणाम को देखते हुए देर-सवेर पार्टी को ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल होने पर अपना रुख स्पष्ट करना पड़ेगा, परन्तु उन्हें लगता है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान तथा तेलंगाना में विधानसभा चुनावों के बाद दिसम्बर तक ही मायावती कोई पहल कर सकती है। दूसरी तरफ बसपा ने ‘सर्व समाज’ के भीतर समर्थन आधार बढ़ाने तथा अपने दलित मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश करने के लिए गांवों में छोटी केडर आधारित बैठकें करके संगठन को मज़बूत करना शुरू कर दिया है। 
नितीश द्वारा स्वागत 
बिहार में जेडी (यू) ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जेडीयू कार्यालय में लगाए गए बैनरों में नारे लिखे हुए हैं, जिससे यह संदेश स्पष्ट हो गया है कि पार्टी अपने मुख्यमंत्री नितीश कुमार से राष्ट्रीय भूमिका निभाने की उम्मीद कर रही है। संसद में महिला आरक्षण बिल पारित किए जाने का स्वागत करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने न सिर्फ राज्यों में महिलाओं के उत्थान के लिए अपनी सरकार द्वारा उठाए गये कदमों को गिनाया, अपितु पूरे देश में जाति आधारित जनगणना की अपनी मांग भी दोहराई। नितीश ने कहा, ‘हमने वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। 2007 में हमने शहरी स्थानीय निगमों में भी महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की।’ हम यहीं नहीं रुके। 2006 से महिलाओं को प्राइमरी अध्यापक की भर्ती में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है और 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। जेडीयू नेता ने पिछड़ी तथा अति-पिछड़ी महिलाओं के लिए कोटे में आरक्षण की भी वकालत की है।  
भाजपा को नये चेहरों की तलाश
भाजपा ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव तथा 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए दिल्ली में अपनी तैयारियां तेज़ कर दी हैं। दिल्ली भाजपा में कयास लगाए जा रहे हैं कि केन्द्रीय भाजपा हाईकमान दिल्ली में कुछ उम्मीदवारों को बदल सकती है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. हर्ष वर्धन, सांसद गौतम गम्भीर तथा कुछ अन्य सांसद 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी टिकट गंवा सकते हैं। संभावना है कि पार्टी नये युवा चेहरों को टिकट देकर आगे बढ़ा सकती है। 
भाजपा-अन्ना डीएमके गठबंधन टूटा
तमिलनाडु में भाजपा-एआईएडीएमके नेतृत्व में तनावपूर्ण स्थिति तब सामने आई जब अन्ना डीएमके के वरिष्ठ नेता डी. जय कुमार ने गठबंधन तोड़ने की घोषणा की और कहा कि कोई भी संबंधित फैसला अगले वर्ष के लोकसभा चुनावों से पहले ही किया जाएगा। 
अन्ना डीएमके के प्रबंधकीय सचिव जय कुमार ने कहा कि अन्ना डीएमके पार्टी केडर भाजपा तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई द्वारा कथित किसी भी आलोचना को सहन नहीं करेगा। हालांकि अन्ना डीएमके ने पहले अन्नामलाई के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था, जब उन्होंने अन्ना डीएमके की नेता स्वर्गीय जय ललिता के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की बात की थी। उन्होंने कहा हमने पहले ही कहा थी कि यदि वे नहीं रुके तो हमें अपने गठबंधन बारे पुन: मूल्यांकन करना होगा। जय कुमार ने कहा कि कोई गठबंधन नहीं है। हालांकि भाजपा नेता ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अन्ना को बदनाम नहीं किया, अपितु सिर्फ इतिहास का हवाला दिया। अन्नामलाई ने कहा, ‘वह यहां भाजपा के विकास की इच्छा रखते हैं।’ 
उन्होंने स्वर्गीय जयललिता के पैरों पर गिरने वाले अन्ना डीएमके नेताओं की चापलूसी का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, ‘भाजपा में नेता बनने के लिए कोई भी किसी के पैरों पर नहीं गिरा। जबकि अन्ना डीएमके नेताओं की राय है कि वे 2019 के लोकसभा तथा 2021 के विधानसभा चुनावों सहित भाजपा के साथ गठबंधन कर लड़े सभी चुनाव हार गए थे। अब पार्टी भाजपा को महज़ एक बोझ मानती है। (आई.पी.ए.)