जी-20 सम्मेलन और विपक्ष

एक मज़बूत, विश्वसनीय और प्रगतिशील लोकतंत्र के लिए एक संवेदनशील विपक्ष सदा स्वागतयोग्य माना गया है। वह समय-समय पर प्रश्न खड़े कर सकता है, आलोचना कर सकता है और जब ज़रूरत हो प्रबल विरोध भी प्रकट कर सकता है। इन सब गुणात्मक विशेषताओं के रहते उसे विरोध के लिए विरोध या अनावश्यक कड़वाहट से बचने की सावधानी बरतने की अपेक्षा भी रहती है। वह अपनी लड़ाई के मुद्दों का सावधानीपूर्वक चयन करें और बिना सोचे समझे सरकार की आलोचना न करें। विपक्ष की विश्वसनीयता भी विपक्ष की योजना का हिस्सा रहती है। जब अकारण कटु आलोचना की जाती है तब उसका व्यवहार भी आलोचना के दायरे में आ सकता है।
कुछ ही दिन पहले दिल्ली में जी-20 समिट अच्छे तरीके से सम्पन्न हुआ। सभी पत्रकारों ने भी माना कि नि:संदेह यह अब तक का सर्वाधिक सफल समिट ही था। यह एक योजनाबद्ध कार्यवाही, लगन और मेहनत से तैयार किया समिट था जिसके लिए पूरे देश में 200 भिन्न-भिन्न हिस्सों में बैठकें आयोजित की गई थीं। इस सबके साथ ही नई दिल्ली घोषणा-पत्र सामने आया, जिसमें सदस्य देशों के मतभेदों के बावजूद पूर्ण सर्वसम्मति निर्मित हुई। इसके लिए हम भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयंशकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विदेश मंत्रालय की पूरी टीम, हमारे सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात कर्मचारी सभी बधाई के पात्र हैं। जी-20 की सफलता सही योजना की सफलता तो थी ही, अनेक अन्य कारणों से भी सफलता हासिल हुई है।
पिछले कुछ समय से भारत ने लगभग हर ब्लॉक से अच्छे संबंध स्थापित किये हैं। कोविड के बाद भारत ने जिस वैक्सीन दोस्ती का परिचय दिया है। वह महत्त्वपूर्ण रहा है। विकासशील देशों से अच्छे संबंध बने। समिट का यह फैसला एक ज़बरदस्त फैसला कहा जा सकता है कि अफ्रीकन यूनियन को एक स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करवाया गया है। अफ्रीका को प्रभावित करने के लिए चीन भी काफी उत्सुक नज़र आया है। ऐसे में अपने संबंधों को मजबूत करना एक अच्छी युक्ति मानी जा रही है।
रूस-यूक्रेन युद्ध इस समय काफी घातक स्थिति तक पहुंच चुका है। भारत ने इस पर एक नपा-तुला रवैया ही रखा है। रूस भारत का पुराना मित्र है। भारत के साथ उसके बेहतरीन संबंध रहे हैं। इस रूस के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को अमरीका और पश्चिमी ताकतों के अपने से अलग किये बिना सम्भाल रहे हैं जबकि क्वाड एक ऐसा समूह जिसमें भारत, अमरीका, आस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं को फिर से मजबूती देकर चीन को एक साफ सन्देश दे रहे हैं कि वह भारत के प्रति आक्रामक व्यवहार रखने पर कई बार सोचे। आज भारत एक तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थ-व्यवस्था है, जिसने ऐसे हालात पैदा किये हैं कि दुनिया के अनेक देश, बेशक कुछ व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण ही सही, भारत की अपेक्षा नहीं कर सकते। बेशक बेहतर संबंध बनाने के भी इच्छुक हो रहे हैं। 
पहले चन्द्रयान की सफलता और फिर जी-20 की सफलता को देखकर साफ जाहिर होता है कि भारतीय जनता पार्टी आने वाले लोकसभा चुनाव में जब जनता के बीच जायेगी तब इसका गौरवपूर्ण उल्लेख कर भारतीय मतदाता को प्रभावित करने की कोशिश रहेगी। ऐसे में विपक्ष इसकी सफलता पर प्रश्न-चिन्ह लगा कर सफलता को मद्धम करना चाहता है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा- इनका जी-20, उनका समिट, कुछ ऐसे इवेंट होते हैं जो किसी पार्टी के नहीं पूरे देश के होते हैं। सत्ताधारी पार्टी के लिए यह अच्छा संकेत होता कि अगर समारोहों के लिए विपक्षी सांसदों को भी आमंत्रित किया जाता। खासकर विपक्ष के नेता मल्लिकाजुर्कन खड़गे को, लेकिन यह हो न पाया। ऐसा होता तो विदेशी मेहमानों के सामने हम एक सही लोकतंत्र की छवि पेश कर सकते हैं कि भारत विपक्ष को भी कम महत्त्व नहीं देता, परन्तु फिर भी यह कहना होगा कि यह एक सफल आयोजन रहा है। विपक्ष के पास भी कहां मुद्दों की कमी है?