लोकसभा चुनाव का एजेंडा तय करेंगे पांच विधानसभा चुनाव  

भारत के चुनाव आयोग द्वारा राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना तथा मिज़ोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मंच पूरी तरह तैयार हो चुका है। इन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 7 से 30 नवम्बर के मध्य होंगे, जिनके परिणाम 3 दिसम्बर को घोषित किये जाएंगे और 2024 के संसदीय चुनाव के लिए एजेंडा तय करेंगे। इस सम्भावित एजेंडे संबंधी ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा मीटिंगें की जा रही हैं। महिला आरक्षण में ओबीसी कोटे की मांग तथा भाजपा द्वारा चलाया जा रहा हिन्दुत्व का मुद्दा भी एजेंडे का हिस्सा बनेगा। उधर भाजपा ने जनवरी 2024 में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दृष्टिगत, देश भर के मंदिरों को रौशन करने के आह्वान से भावनाओं की लहर पर सवार होने की रणनीति बनाई है। इसके अतिरिक्त भाजपा का मुख्य उद्देश्य एक बड़े चुनाव वर्ग के तौर पर महिलाओं को लुभाने का भी है। दूसरी ओर नितीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, राहुल गांधी तथा मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे, ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता देश में दलितों, अति पिछड़े वर्गों, गरीबों की स्थिति का बेहतर मूल्यांकन करने के लिए देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाने की मांग कर रहे हैं और महिला आरक्षण में ओबीसी कोटे की वकालत कर रहे हैं। 
नितीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार द्वारा 2 अक्तूबर को जारी जातिगत जनगणना में बिहार के मुख्यमंत्री को हाशिये पर रहने वाले समुदायों के चैम्पियन के रूप में देखा गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जाति से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए नया नारा बनाया है—‘जितनी आबादी, उतना हक’। राहुल ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ तथा हिमाचल प्रदेश अपने-अपने राज्यों में जातिगत जनगणना करवाएंगे। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को उनकी आबादी के अनुसार सामाजिक न्याय तथा अधिकार दिलाने के लिए देशव्यापी जातिगत जनगणना महत्वपूर्ण है। 
स्पष्ट तौर पर यह संकेत मिलता है कि संसद में महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना तथा बिहार द्वारा जारी जातिगत जनगणना के आंकड़े 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कहानी तय करने का आधार बनेंगे। ऊंची जातियां मज़बूती से भाजपा के साथ हैं और मुस्लिम उसके खिलाफ हैं, पाला बदलने वाली वोट अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी), आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग (ईबीसी) तथा दलित भाईचारों की हो सकती है। 
कांग्रेस का ‘दलित गौरव संवाद’
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांगे्रस दलितों, अति पिछड़े वर्गों तथा अन्य दलित वर्गों को लुभाने के लिए नये सिरे से कोशिश कर रही है। इस संदर्भ में कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई ने 9 अक्तूबर को बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की बरसी के अवसर पर दलितों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए ‘दलित गौरव संवाद’ अभियान की शुरुआत की। लगभग दो माह तक चलने वाला यह अभियान, जो 26 नवम्बर को समाप्त होगा, ‘दलित अधिकार मांग पत्र’ के माध्यम से दलित भाईचारे की मांगों तथा इच्छाओं को जानने पर केन्द्रित है। 
पार्टी ने इस अभियान के तहत 4000 रात्रि चौपाल (प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 10), मंडल स्तर पर 10 यात्राएं तथा कम से कम 80 बड़े संवाद (प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में एक) आयोजित करने की योजना बनाई है जिसका उद्देश्य कम से कम एक लाख प्रमुख दलित शख्सियतों से सीधा संवाद करना है। पार्टी लगभग दो लाख दलित अधिकार ज्ञापनों को भर कर दलित भाईचारे की मुख्य मांगों का पता लगाने की कोशिश करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि ये पूरे राज्य में बिना किसी बाधा के भरे जाएं।
जातिगत जनगणना और आरक्षण 
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हाल ही में जारी हुई जातिगत जनगणना रिपोर्ट के संदर्भ में राज्य में आरक्षण व्यस्था पर फिर से विचार करने की अपनी योजना बारे संकेत दिया है। उन्होंने घोषणा की कि वह दिसम्बर में शुरू होने वाले शीतऋतु सत्र में विधानसभा में शिक्षा तथा सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों सहित राज्य के जातिगत सर्वेक्षण के सभी विवरण पेश करने के बाद ही आगे बढ़ेंगे। सूत्रों के अनुसार बिहार सरकार लम्बे समय से विभिन्न तरह की सकारात्मक कार्रवाईयों की योजना बना रही है और राज्य में एससी, एसटी, ईबीसी तथा ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ा सकती है।   

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