अमरीका एवं भारत की नई शुरुआत

अमरीका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प भारी अन्तर से जीत चुके हैं तथा वह अगले वर्ष 20 जनवरी को राष्ट्रपति के पद की शपथ ग्रहण कर लेंगे। इस बड़ी जीत के बाद एवं अमरीका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में पद सम्भालने के उपरांत प्राकृतिक रूप में अमरीका एवं भारत के आपसी संबंधों की बात दोनों देशों के एजेंडे पर आ जाएगी। डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से अपने पिछले कार्यकाल के दौरान अपनाई गई नीतियों की रौशनी में राजनीतिक एवं पत्रकारिता क्षेत्र में अब से ही इस संबंध में चर्चा छिड़ गई है। इससे पहले ट्रम्प वर्ष 2016 से 2020 तक देश के राष्ट्रपति बने थे। उसके बाद डैमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन ने देश का प्रशासन चलाया था। इसके बाद ट्रम्प का पुन: चुने जाना इसलिए भी आश्चर्यजनक माना जाता है, क्योंकि पिछले समय में वह काफी विवादों में घिरे रहे थे। देश की सर्वोच्च अदालत में उनके विरुद्ध देश-द्रोह का मामला भी विचाराधीन है, इस कारण भी ट्रम्प की जीत को बड़ा अहम माना जा रहा है।
चुनावों में उनका मुद्दा ‘अमरीका फर्स्ट’ का रहा है, अभिप्राय नीतियां बनाते समय अपने देश की बेहतरी को मुख्य रखना है। अमरीका विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश माना जाता है। इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उठते अहम मामलों में उसका हस्तक्षेप रहता है। इस समय रूस तथा यूक्रेन में भीषण युद्ध चल रहा है। गाज़ा पट्टी में इज़रायल तथा हमास में रक्तिम टकराव जारी है। अमरीका रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन के साथ खड़ा है। अब तक उसने अरबों रुपये के हथियार यूक्रेन को दिए हैं। इसी तरह मध्य-पूर्व में बहुत-से अरब देशों में घिरे इज़रायल की भी वह हथियारों के साथ-साथ बड़ी आर्थिक सहायता भी कर रहा है। इसका भारी बोझ उसके खज़ाने पर पड़ता है। डोनाल्ड ट्रम्प इन युद्धों को खत्म करने की बात कह रहे हैं क्योंकि घरेलू तौर पर वह अनेक तरह की आर्थिक एवं अन्य चुनौतियों का सामना कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर अपने देश को स्वर्णिम युग में लाने के बयान दे रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनके संबंध बेहद सुखद हैं। श्री मोदी ने तो इससे पिछले चुनावों में अपने अमरीका दौरे के दौरान ‘एक बार फिर ट्रम्प सरकार’ का नारा भी दे दिया था। चाहे उस समय ट्रम्प चुनाव हार गये थे परन्तु श्री मोदी के साथ उनके अच्छे निजी संबंध बने रहे थे। ट्रम्प ने पाकिस्तान से ज्यादा हमेशा भारत को प्राथमिकता दी है। उन्होंने पुलवामा हमले के बाद भारत की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई का भी समर्थन किया था तथा कहा था कि भारत को आत्म-रक्षा करने का अधिकार है। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने पाकिस्तान की नीतियों के कारण उसे अमरीका की ओर से दी जाती बड़ी सहायता भी रोक ली थी। इस बार दोनों देशों के संबंधों में ट्रम्प की नीतियों की कई पक्षों से परीक्षा होगी।
भारत के कनाडा के साथ संबंध बिगड़े हुए हैं। गुरपतवंत सिंह पन्नू अमरीका से भारत के विरुद्ध प्रतिदिन अपनी गतिविधियों एवं धमकियां जारी रख रहा है। इस संबंध में ट्रम्प को नई नीति बनानी होगी। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने एच.1-बी वीज़ा की शर्त कड़ी कर दी थी। इसका भारत के आई.टी. उद्योग से जुड़े लोगों पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ा था, परन्तु अपने पिछले कार्यकाल में कश्मीर संबंधी उनकी नीति ढिलमुल वाली रही थी। उस समय उन्होंने भारत को विश्वास में लिये बगैर ही तालिबान के साथ समझौता करके अ़फगानिस्तान से अपनी सेना वापिस बुला ली थी। अमरीका एवं भारत के बड़े व्यापारिक संबंध हैं। ट्रम्प इस संबंध में अपनी घरेलू नीतियों को प्राथमिकता देने के इच्छुक हैं। अपने इस कार्यकाल में वह इस क्षेत्र में भारत के साथ किस तरह एवं कितना सहयोग बढ़ाने के इच्छुक होंगे, यह देखने वाली बात होगी। दोनों देशों की अपनी-अपनी सीमाओं के बावजूद यदि दोनों देश क्रियात्मक रूप में ज्यादातर क्षेत्रों में आपसी विश्वास बना कर चल सकेंगे तो ऐसी नीति दोनों के लिए लाभदायक सिद्ध होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

#अमरीका एवं भारत की नई शुरुआत