गांवों को भी स्मार्ट बनाया जाना चाहिए

विदेश की तरह भारत में भी अनेक शहरों को स्मार्ट सिटी का दर्जा देकर सारी सुविधाएं दी जा रही हैं। इसी प्रकार गांव को भी स्मार्ट गांव में तब्दील उसे विकास की मुख्य धारा में लाया जाए। विदेशी गांवों की तर्ज पर ही भारत देश के गांवों को भी विकास की ज़रूरत महसूस हो रही है। वहां के निवासियों की सभी ज़रूरतों को त्वरित व तेज़ी से पूरा किया जाना चाहिए। गांवों में भी शहरों की तरह सभी सुविधाएं कम सेवा मूल्य पर और आसानी से उपलब्ध होनी चाहिएं। वहां लोगों के जीवन यापन के तरीके इतने सुलभ व संतुलित हो कि सड़कों, पानी, बिजली की सुविधा आसानी से उपलब्ध हों सके। गांववासियों को घर में बैठे-बैठे इंटरनेट पर सभी प्रशासनिक सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। आम नागरिक आधारभूत सुविधाएं प्राप्त करने के लिए अभी तक जूझ रहा हैं। स्मार्ट शहर की स्थापना किया जाना केंद्र सरकार का लक्ष्य बन गया है। क्या भारत के गांवों को भी स्मार्ट बनाया जा सकता है।  
यदि सरकार और आम नागरिकों का दृढ़ संकल्प हो और आपसी सहयोग तथा सामंजस्य बेहतर तरीके से हो जाए तो भारत में स्मार्ट सिटी एवं स्मार्ट गांव की परिकल्पना यथार्थ रूप ले सकती है। ऐसी स्मार्ट सिटी का निर्मा्रण हो जिसमें पर्याप्त बिजली, पानी, भोजन, घर आदि की उपलब्धता के साथ-साथ स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, मनोरंजन, यातायात की सुविधाएं भी आसानी से प्राप्त हो जाएं और आरामदायक जीवन से संबंध सभी आर्थिक गतिविधियों का संचालन सुचारू रूप से होता रहे। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 100 से ज्यादा शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा भी की हुई है। और इसके लिए उन्होंने 9 हज़ार करोड़ रुपयों का बजट का प्रावधान भी रखा है। वैसे तो प्रधानमंत्री के इस स्वप्निल विचारों को मूर्त रूप देने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा एक पूरा मैनुअल जारी किया गया है। यह परियोजना आने वाले वर्षों में मूर्त रूप लेगी। देश के 40 लाख से अधिक आबादी वाले 9 शहरों, 10 लाख से 40 लाख आबादी वाले 44 शहरों, 5 लाख से 10 लाख आबादी वाले 20 शहरों, सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियों के अंतर्गत आने वाले लगभग 37 शहर सहित पर्यटन व धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण 15 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना है।
नए प्रारूप में सर्वप्रथम केंद्रीय शासन द्वारा दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, देहरादून, हरिद्वार, बोधगया, भोपाल, इंदौर, कोच्चि, जयपुर और अजमेर को स्मार्ट सिटी के रूप में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है। भारत में स्मार्ट सिटी बनाने की इस नई परियोजना में विदेशों ने भी गहरी रुचि दिखाई है। जापान ने वाराणसी शहर को एक अच्छी विकसित सर्व सुविधा सम्पन्न स्मार्ट सिटी बनाने रुचि दिखाई है। कतर देश के प्रिंस शेख हमद बिन नासिर ने दिल्ली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 100 अरब रुपये की योजना बनाकर निवेश करने की इच्छा जताई है। नासिर ने अपने एक पार्टनर दिल्ली के नितेश शर्मा के साथ मिलकर देश में स्मार्ट शहरों की निर्माण हेतु एक लाख करोड़ रुपये निवेश करने का प्रावधान रखा है। सिंगापुर ने भी भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए सहयोग देने की बात कही है। उन्होंने चन्नई-बैंगलोर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के निकट एक लिटिल सिंगापुर विकसित करने की योजना बनाई है। भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी पर होने वाले खर्च हेतु पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल की को प्राथमिकता देने की योजना भी बनाई है, परन्तु स्मार्ट सिटी बनाते समय विशेष तौर पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत स्मार्ट सिटी में मांग प्रबंधन वित्तीय को ओपन ऊर्जा कुशलता सूचनाओं के आदान-प्रदान की समयानुकूल व्यवस्था के साथ न्यूनतम कचरा उत्पादन जैसी विशेषताओं का होना भी आवश्यक है। स्मार्ट शहरों को अपराध मुक्त रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था के तहत 24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके साथ ही संतुलित जीवन के लिए पर्यावरण संतुलन भी अत्यंत आवश्यक हो चाहिए। बड़ी संख्या में स्मार्ट सिटी स्थापित करने में नि:संदेह भारत को विकसित देशों की ओर अग्रसर होने में बहुत मदद मिलेगी। देश में व्यापक स्तर पर रोज़गार के अवसर पैदा करने की भी ज़रूरत है। इस नई परियोजना को मूर्त रूप देने में कई बाधाएं एवं चुनौतियां भी आ सकती हैं। यदि देश का प्रत्येक नागरिक सरकार के अधीन प्रोजैक्ट में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देकर अपना योगदान दे तो निश्चय ही अगले दो दशकों में भारत में सैकड़ों स्मार्ट सिटी निर्मित हो सकेंगे।

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