प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना की सार्थकता
केन्द्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना की घोषणा से गरीब, मध्य-वर्गीय किन्तु मेधावी विद्यार्थियों की ओर से उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छाओं को नि:संदेह रूप से आशाओं के पंख लगे हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई एक बैठक में पारित की गई इस घोषणा के तहत देश भर के उच्च शिक्षा प्राप्त करने की चाहत रखने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को बिना ब्याज के दस लाख रुपये तक का ऋण दिये जाने का प्रावधान किया गया है। प्राथमिक चरण पर बेशक इस योजना की मंजूरी वित्त वर्ष 2024-25 से लेकर 2030-31 तक सात वर्ष के लिए दी गई है किन्तु इस योजना से हासिल होने वाले लाभ और इसके प्रति सार्वजनिक आकर्षण के दृष्टिगत इसके बन्द होने की कल्पना तक नहीं की जा सकती। इन वर्षों के दौरान विद्यार्थियों को दिये जाने वाले ऋण हेतु 3600 करोड़ रुपये रखे गये हैं। इस आबंटन से भी यही सिद्ध होता है कि सरकार इस योजना को लेकर सचमुच बेहद गम्भीर है। इस योजना के तहत देश भर के 850 उच्च शिक्षण संस्थान के 22 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं लाभान्वित हो सकेंगे। बैठक के बाद केन्द्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा की गई घोषणा में बेशक इसकी अनेक विशेषताओं का ज़िक्र किया गया है, किन्तु इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसके ब्याज-मुक्त होने के साथ, विद्यार्थियों अथवा उनके अभिभावकों पर गारंटी अथवा अन्य किसी शर्त को लागू न किया जाना है। इस योजना के प्रति एक और बड़ा आकर्षण यह भी है कि इस ऋण पर विद्यार्थियों को तीन प्रतिशत तक की सब्सिडी भी मिलेगी। यह सब्सिडी देश के उन एक लाख विद्यार्थियों को दी जाएगी जिनके अभिभावकों की वार्षिक आय आठ लाख रुपये तक होगी।
नि:संदेह यह योजना बड़ी व्यापक है, तथा चिरकाल से सरकारों से इस प्रकार की किसी घोषणा की अपेक्षा भी थी। अब की गई घोषणा से नि:संदेह यह आशा बंधते प्रतीत होती है कि भविष्य में देश में धनाभाव के कारण कोई भी मेधावी विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित नहीं रह सकेगा। इससे पूर्व प्राय: ़गरीब एवं मध्यम वर्गीय छात्र-छात्राएं मेधावी होने के बावजूद उच्च शिक्षा से इसलिए वंचित हो जाते थे कि उनके अभिभावकों के पास शिक्षा संस्थानों की भारी-भरकम फीस-राशि और दाखिला-फीस आदि अदा करने की क्षमता नहीं होती थी। इस कारण अक्सर ़गरीब विद्यार्थी अपने परिवार की विवशता को लेकर मन मसोस कर रह जाते थे। बैंक भी सात लाख रुपये से अधिक के ऋण पर गारंटी अथवा सम्पत्ति गिरवी रखे जाने जैसी शर्तें रख देते थे। इसके अतिरिक्त भी बैंकों की अन्य कई तरह की शर्तों की पूर्ति करनी होती थी, किन्तु मौजूदा प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना की मंजूरी से विद्यार्थी अपनी शिक्षा-योजना के अनुसार बैंकों से बिना किसी गिरवी-गारंटी के 10 लाख रुपए तक शिक्षा-ऋण प्राप्त कर सकेंगे। देश में निजी संस्थानों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि ़गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार मैडीकल, इंजीनियरिंग और वकालत आदि की शिक्षा ग्रहण करने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे। यहां तक कि सरकारी सहायता-प्राप्त संस्थानों की फीसें भी आकाश छूने लगी थीं। अब इस योजना की घोषणा से नि:संदेह ़गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अपने स्वप्नों को पूर्ण करना काफी आसान हो जाएगा। प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा स्वयं इस योजना की प्रशंसा में कसीदे काढ़े जाने से नि:संदेह इस के प्रति-जन-आकांक्षाओं में इज़ाफा होगा। बैंकों द्वारा विद्यार्थियों को ऋण उपलब्ध कराने में अधिक संकोच की ज़रूरत इसलिए भी नहीं होगी कि साढ़े सात लाख तक के ऋण को लेकर 75 प्रतिशत तक की क्रेडिट गारंटी देश का शिक्षा मंत्रालय देगा।
हम समझते हैं कि नि:संदेह इस योजना को क्रियान्वयन के धरातल पर उसी भावना से लागू किया जाना चाहिए, जिसके तहत प्रधानमंत्री ने इसकी अवधारणा को तैयार किया है। उच्च शिक्षा के महंगी और दुर्लभ होते जाने के कारण ही पिछले कुछ समय से देश के कई भागों से, होनहार छात्र-छात्राओं द्वारा अपने प्राणों को दांव पर लगाये जाने की प्रवृत्ति भी बड़ी तेज़ी से बढ़ी थी। विगत समय में उच्च शिक्षा देने वाले कोटा जैसे केन्द्रों में पिछले समय में कई बच्चों ने आत्महत्याएं कर ली थीं। इस नई योजना से नि:संदेह अतीत की इस प्रकार की प्रवृत्तियों में कमी आने की सम्भावना प्रबल होगी। तथापि हम यह भी समझते हैं कि इस योजना के फलीभूत होने का बड़ा दारोमदार अब बैंकों के कंधों पर भी आयद होता है। नि:संदेह केन्द्र सरकार, शिक्षा मंत्रालय और बैंक-प्रबन्धनों को इस योजना की कामयाबी हेतु अपने-अपने धरातल पर अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन पूर्ण प्रतिबद्धता एवं ईमानदारी से करना होगा। तभी इस योजना के मूल लक्ष्य को सहज रूप से प्राप्त किया जा सकेगा।