मात्र खानापूर्ति

पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा के बुलाये गये दो दिवसीय शीतकालीन अधिवेशन को मात्र खानापूर्ति ही कहा जा सकता है। पहले बजट अधिवेशन जारी रख कर समय-समय पर उसे पुन: स्पीकर द्वारा ही बुलाने के मामले पर राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित तथा सरकार के मध्य बड़ा विवाद छिड़ा रहा था। अधिवेशन को अनिश्चित समय के लिए उठाए  बिना ही स्थगित रखे जाने संबंधी राज्यपाल ने आपत्ति व्यक्त करते हुये कहा था कि ऐसी प्रक्रिया असंवैधानिक है। इस कारण उन्होंने कुछ ज़रूरी वित्तीय बिलों के साथ-साथ बढ़ाये गये अधिवेशन में पारित किये गये अन्य चार  बिलों की स्वीकृति को भी रोक लिया था। बात सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचने तथा उसकी टिप्पणियों के बाद राज्यपाल ने वित्तीय बिलों को तो स्वीकृति दे दी थी परन्तु अन्य बिल अभी भी पारित होने के इंतज़ार में श्री पुरोहित के मेज़ पर पड़े हैं।
सरकार द्वारा जल्दबाज़ी में इन वित्तीय बिलों संबंधी ही संक्षिप्त अधिवेशन बुलाना उसकी विवशता बन गया था। इस सन्दर्भ में विपक्ष के नेता स. प्रताप सिंह बाजवा द्वारा अधिवेशन सिर्फ दो दिनों के लिए बुलाये जाने पर की गई आपत्ति को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। विधानसभा के अधिवेशनों में प्रत्येक पक्ष से प्रदेश के हालात संबंधी गम्भीर चर्चा होनी ज़रूरी है, ताकि लोगों के समक्ष सच्चाई आ सके तथा विपक्ष द्वारा लोगों के मुद्दे भी उठाये जा सकें। नि:संदेह आज प्रदेश के समक्ष इतनी गम्भीर समस्याएं आ खड़ी हुई हैं, जो व्यापक स्तर पर चिंता का कारण हैं। सरकार द्वारा धड़ाधड़ घोषित अपनी योजनाओं की पूर्ति के लिए अपने डेढ़ वर्ष के शासन में 70,000 करोड़ से भी अधिक का ऋण ले लिया गया है। इसके अलावा उसके विद्युत निगम तथा अन्य संस्थाओं की ओर बड़ी देनदारियां भी खड़ी हैं। प्रदेश में अमन-कानून की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। लोगों के दिलों में अनेक सन्देह पैदा हो रहे हैं। सरकार बनने से पहले आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा किये गये वायदों की पूर्ति होना असम्भव प्रतीत होने लगा है। इन नेताओं ने प्रदेश में रेत-बजरी के अवैध खनन को खत्म करने तथा एक नीति बना कर हज़ारों करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा करने की घोषणा की थी परन्तु अवैध खनन अभी भी धड़ाधड़ जारी है। सरकार इसमें क्यों असफल हुई, इस संबंध में अनेक प्रश्न-चिन्ह तथा उगंलियां उठना शुरू हो गई हैं। यह सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के दावे से बनी थी परन्तु आज सत्य यह है कि हर तरफ नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। अब तो कई मंत्रियों का भी अनेक तरह के घोटालों में नाम सामने आने लगा है।
नशे के लगातार बढ़ रहे प्रचलन को खत्म करना तो एक तरफ रहा, अपितु इसका प्रसार और भी बढ़ता जा रहा है। पंजाब की जवानी का एक बड़ा भाग इसमें धंसता चला जा रहा है। प्रदेश के विकास के लिए तथा युवाओं को रोज़गार उपलब्ध करने के लिए समुचित परियोजनाएं शुरू ही नहीं की जा सकीं। इन बड़ी होती जा रही अनेकानेक समस्याओं के लिए सरकार की जवाबदेही बनती है। ऐसी जवाबदेही के लिए विधानसभा एक ऐसा महत्त्वपूर्ण स्थान है, जिसमें लोगों के चुने हुये प्रतिनिधि अपनी बात कह सकते हैं तथा सरकार को इसके लिए कटघरे में खड़ा कर सकते हैं। ऐसी जवाबदेही से कन्नी काटने के कारण ही विधानसभा के अधिवेशन को बेहद संक्षिप्त कर दिया गया है परन्तु देर या सवेर लोगों द्वारा चुनी गई सरकार को लगातार विकराल होती जा रही समस्याओं के प्रति अंतत: उत्तरदायी तो होना ही पड़ेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द