‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से कौन होगा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार ?

‘इडिया’ गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में किसे चुना जाएगा, इस पर चर्चा शुरू हो गई है। जद (यू) ने 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने की अपनी मांग दोहराई है। उनका कहना है कि नितीश सामाजिक न्याय के नये चैम्पियन के रूप में सामने आए हैं, क्योंकि उन्होंने जातिगत सर्वेक्षण करवाया और उसके आधार पर आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ा कर 65 प्रतिशत करने का साहसी फैसला लिया। इससे नितीश को भाजपा के धर्म तथा अति-राष्ट्रवाद के चुनावी मुद्दों का मुकाबला करने के लिए जातिगत पहचान के सामने लाने में भी मदद मिलेगी, विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए एक अभियान राज्यों से संबंधित पहचान तथा भावनाओं को दिशा देगी। 
दूसरी ओर तृणमूल कांगे्रस ने ‘इंडिया’ गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी का दावा पेश करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए ऐसे व्यक्ति को चुना जाना चाहिए, जिस ने भाजपा को कई बार हराया हो और जिसके पास लम्बा प्रशासनिक अनुभव हो जबकि शिव सेना (यू.बी.टी.) नेता संजय राऊत ने 6 दिसम्बर को 2024 के आम चुनाव के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए उद्धव ठाकरे का नाम लिया। 
कांग्रेस हाईकमान बदलेगी क्षेत्रीय नेतृत्व
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस हाईकमान द्वारा हिन्दी पट्टी में क्षेत्रीय नेतृत्व बदलने के कयास तेज़ हो गए हैं। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल जैसे चेहरों के स्थान पर पार्टी की बागडोर नौजवानों एवं मेधावी नेताओं को सौंपी जा सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मध्य प्रदेश चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर कमलनाथ के साथ गहरी निराशा व्यक्त करते हुए संकेत दिया कि पार्टी नेताओं का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि खराब परिणामों के बाद वह मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से हट जाएं। हालांकि मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वोट प्रतिशत का उपहास करने वाली कोई बात नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस नेतृत्व यह पहचानने की कोशिश कर रहा है कि यदि उसने 2024 में भाजपा को हराना है तो वह नया क्या कर सकती है। 
मुख्यमंत्री चेहरों पर विचार-विमर्श
भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में नये चेहरों को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं। राजस्थान में कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी हाईकमान बाबा बालक नाथ को प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बना सकती है। अन्य सम्भावित मुख्यमंत्रियों में गजेन्द्र सिंह शेखावत तथा दीया कुमारी शामिल हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए चेहरा माना जा रहा है। मध्य प्रदेश में जीत का श्रेय उनकी जन-कल्याण योनजाओं को जाता है, जिससे पार्टी को प्रदेश में अपना दबदबा बनाए रखने में मदद मिली। सम्भावित मुख्यमंत्री की सूची में अन्य नाम पूर्व खाद्य प्रोसैसिंग उद्योग राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीया तथा यहां तक कि ज्योतिरादित्या सिंधिया भी हैं। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की दौड़ में रेणुका सिंह सरूता सबसे आगे हैं। भाजपा नेता अरुण साओ तथा विष्णुदेयू साई को भी छत्तीसगढ़ का अगला मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिये जाने की सम्भावना है। 
प्रियंका स्टार प्रचारक के रूप में उभरीं
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा का एक स्टार प्रचारक के रूप में उभार देखा, जिसे सबसे शक्तिशाली तथा कुशल संचारक के रूप में पार्टी नेताओं की प्रशंसा मिली। कर्नाटक तथा हिमाचल प्रदेश में सफलतापूर्वक जीत प्राप्त करने के बाद मिले आत्म-विश्वास से उत्साहित प्रियंका गांधी ने भारत के सबसे नये प्रदेश तेलंगाना में भी विजय हासिल कर ली है। वह तेलंगाना में कांग्रेस की लड़ाई में एक प्रमुख नेता के रूप में उभरीं, जहां छह माह पहले तक के. चन्द्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति की पकड़ तुलनात्मक रूप में मज़बूत थी। विपक्षी पार्टियों पर प्रियंका के तीखे हमले प्रदेश की जनता के सुने और उनके मन में बस गए। केसीआर के ‘बंगारू तेलंगाना’ के दावों को खारिज करने से लेकर भूमि, रेत, शराब तथा खाद्य माफिया  के मुद्दों को उठाने तक, प्रियंका ने तेलंगाना में नेरेटिव का संचार किया, जो 2014 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के केन्द्र में रहते हुए एक नया प्रदेश बन गया था। 30 नवम्बर को जब स्थानीय लोगों ने मतदान किया तो प्रियंका की अपील लोगों पर भारी पड़ी। अब प्रियंका गांधी दिसम्बर 2024 के लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
डी.के. शिवकुमार की मेहनत रंग लाई
कर्नाटक तथा तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में जीत के क्रम से उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार जिन्होंने दोनों प्रदेशों में पार्टी की जीत में अपने अनूठे ढंग से उल्लेखनीय योगदान दिया, ने भविष्य में कर्नाटक में शीर्ष पद के लिए अपना केस प्रमुखता से पेश किया। अभियान रैलियों से लेकर तेलंगाना में चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस विधायकों को शिकारियों (दल-बदल करवाने वाले नेताओं) की पहुंच से दूर रखने तक, शिवकुमार ने संकटमोचन की विशेष भूमिका निभाई। हालांकि शिवकुमार ने जीत के लिए संयुक्त नेतृत्व को श्रेय दिया है, परन्तु तेलंगाना अभियान में शामिल लोगों ने कहा कि उनके सूक्षम प्रबंधों तथा चुनाव रणनीति ने पार्टी को जीत दिलाने में मदद की है। यह भी चर्चा है कि डी.के. शिवकुमार को लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में कोई नई ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। (आई.पी.ए.)